Reasons For Irregular Periods: आमतौर पर, पीरियड्स चार से सात दिनों तक रहते हैं। पीरियड्स में कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं। पीरियड्स में ऐसा टाइम पीरियड शामिल है जो 21 दिनों से कम या 35 दिनों से ज़्यादा समय तक होती है और मेंस्ट्रुअल फ्लो जो नार्मल से ज़्यादा या हल्का होता है।
इर्रेगुलर पीरियड्स क्या है और इसके क्या कारण हैं?
ज्यादातर महिलाओं में पीरियड्स चार से सात दिनों तक रहते हैं। एक महिला के पीरियड का फ़र्क आमतौर पर हर 28 दिनों का होता है, लेकिन नार्मल मेंस्ट्रुअल साईकल 21 दिनों से 35 दिनों तक हो सकता है।
पीरियड्स की समस्याओं के उदाहरणों में शामिल हैं:
- पीरियड्स जो 21 दिनों से कम या 35 दिनों से ज़्यादा समय के बाद होते हैं।
- एक साथ तीन या ज़्यादा पीरियड्स मिस होना।
- नार्मल से कम या ज़्यादा मेंस्ट्रुअल फ्लो।
- पीरियड्स जो सात दिनों से अधिक समय तक चलते हैं।
इर्रेगुलर पीरियड्स के 5 कारण: Reasons For Irregular Periods
इर्रेगुलर पीरियड्स के कई कारण हैं, जिनमें स्ट्रेस से लेकर कई सीरियस मेडिकल कंडीशंस शामिल हो सकती हैं:
1. स्ट्रेस और लाइफस्टाइल
वजन बढ़ना, एक्सरसाइज़ दिनचर्या में बदलाव, यात्रा, बीमारी, या किसी महिला की डेली रूटीन में किसी भी तरह के बदलाव का उसके पीरियड्स पर असर पड़ सकता है।
2. कंट्रासेप्टिव पिल्स
ज़्यादातर कंट्रासेप्टिव पिल्स में हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन का कॉम्बिनेशन होता है। गोलियां यूट्रस को एग छोड़ने से रोककर प्रेगनेंसी को रोकती हैं। कंट्रासेप्टिव गोलियां लेना या बंद करना पीरियड्स पर असर कर सकता है। कुछ महिलाओं को कंट्रासेप्टिव गोलियां बंद करने के बाद छह महीने तक इर्रेगुलर या मिस्ड पीरियड्स होते हैं।
3. यूटेराइन पॉलिप्स या फाइब्रॉएड
यूटेराइन पॉलिप्स यूट्रस की लाइनिंग में मौजूद छोटे छोटे ऑर्गन होते हैं। यूटेराइन फाइब्रॉएड ट्यूमर होते हैं जो यूट्रस की दीवार से जुड़ जाते हैं। एक या कई फाइब्रॉएड हो सकते हैं जो एक सेब के बीज से छोटे से लेकर अंगूर के साइज़ तक के होते हैं। ये ट्यूमर आमतौर पर जेंटल ही होते हैं, लेकिन ये पीरियड्स के दौरान हैवी फ्लो और दर्द का कारण बन सकते हैं। अगर फाइब्रॉएड बड़े हैं, तो वे ब्लैडर या रेक्टम पर दबाव डाल सकते हैं, जिससे डिस्कम्फर्ट हो सकता है।
4. पेल्विक स्वेलिंग
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ (पीआईडी) एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो महिला के रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर असर करता है। बैक्टीरिया सेक्सुअल कॉन्टैक्ट से वजाइना में जा सकते हैं और फिर यूट्रस और अपर जेनिटल ट्रैक्ट में फैल सकते हैं। बैक्टीरिया बच्चे के जन्म या मिसकैरेज से भी रिप्रोडक्टिव सिस्टम में भी प्रवेश कर सकते हैं। पीआईडी के लक्षणों में एक बदबू वाला वजाइनल डिस्चार्ज, इर्रेगुलर पीरियड्स, पेल्विक और पेट के निचले हिस्से में दर्द, बुखार, नौसिआ, उल्टी या दस्त शामिल हैं।
5. प्रीमैच्योर ओवेरियन इनएफ़्फीसिएन्सी
यह स्थिति 40 साल से कम उम्र की महिलाओं में होती है जिनके ओवरीज़ नार्मल काम नहीं करते हैं। मीनोपॉज़ की तरह मेंस्ट्रुअल साईकल रुक जाता है। यह उन पेशेंट्स में हो सकता है जिनका कीमोथेरेपी और रेडिएशन के साथ कैंसर का इलाज किया जा रहा है।
लेकिन ध्यान रहे, किसी भी प्रॉब्लम में आपको सबसे पहले डॉक्टर के पास ज़रूर जाना चाहिए।