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Women Lifestyle : इन चीजों के लिए औरतें कभी ना करें गिल्टी फील

समाज वीमेन से काफ़ी एक्सपेक्टेशंस रखता है। इन सामाजिक एक्सपेक्टेशंस को पूरा करते करते खुद के चॉइसेस पर ताला भी लगाना पड़ता है। पर अब समय आ गया है जब औरतों को अपने हक और चॉइस को प्रायोरिटी देने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

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Shruti
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(Image Credit - Pinterest)

Things Which Women Should Never Feel Guilty About : समाज वीमेन से काफ़ी एक्सपेक्टेशंस रखता है जिनपे आज तक वो सदियों से खड़ी भी उतरी हैं। इन सामाजिक एक्सपेक्टेशंस को पूरा करते करते खुद के चॉइसेस पर ताला भी लगाना पड़ता है। पर अब समय आ गया है जब औरतों को अपने हक और चॉइस को प्रायोरिटी देने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। ये कुछ बातें हैं जिनके लिए वीमेन को कभी गिल्टी फील नहीं करना चाहिए 

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इन चीजों के लिए औरतें कभी ना करें गिल्टी फील

1. अस्सेर्टिव होना

समाज वीमेन को हमेशा 'हाँ जी' 'ना जी' की अपेक्षा से देखता है। महिलाओं को अपने मूल, लीडरशिप या बॉसी स्वभाव के लिए सॉरी फील करने की ज़रुरत नहीं होनी चाहिए। वो अच्छे लीडर बनने के लिए पूरी सक्षम हैं। उनके अपने ओपिनियन और बातें हो सकती हैं। ऐसे में औरतों से केवल हां या ना की अपेक्षा रखना और अपनी बातों को अपने तक ही रखने की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। ना ही औरतों को ऐसी बातों पर ध्यान देना चाहिए या उनके लिए गिल्टी फील करना चाहिए।

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2. हेल्थ को इम्पोर्टेंस देना

अक्सर ही वीमेन की हेल्थ को नज़रअंदाज़ किया जाता है। वीमेन को अपनी सेहत का पूरा ख्याल रखना चाहिए और उसको प्रायोरिटी देनी चाहिए। यह सेल्फिशनेस नहीं है बल्कि एक हेल्दी समाज बनाने के लिए इम्पोर्टेन्ट स्टेप है। जब तक इंसान खुद के स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देगा तब तक वह समाज को भी सुधारने में मदद नहीं कर सकता या किसी और का भी ध्यान नहीं रख सकता इसलिए महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का खास ध्यान रखना चाहिए।

3. करियर को प्रायोरिटी देना

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वीमेन के सामने एक धर्म संकट रख दिया जाता है परिवार और करियर का। महिलाओं के लिए अपने सपनों का पालन करना और अपने लक्ष्यों की दिशा में काम करना महत्वपूर्ण है। वे अपनी नौकरी में ऊंचे लक्ष्य रख सकती हैं, अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकती हैं या वह कर सकती हैं जो भी उन्हें पसंद है। उनमें सफल होने और अपने करियर में खुशी पाने की शक्ति है, और उन्हें इसके बारे में बुरा महसूस नहीं करना चाहिए।

4. बच्चे करना या न करना

माँ बनना एक चॉइस है, ज़रुरत नहीं। बच्चा पैदा करना एक बड़ी ज़िम्मेदारी है और इसके लिए तैयार रहना ज़रूरी है। यदि कोई व्यक्ति बच्चा पैदा नहीं करना चाहता है तो किसी को उसे बुरा फील नहीं कराना चाहिए। खासकर कि औरतों को अपने लिए कभी भी बुरा महसूस नहीं करना चाहिए। बच्चा करना या ना करना उनकी अपनी सोच और चॉइस है उन्हें किसी के दबाव में भी कोई डिसीजन नहीं लेना चाहिए।

5. अपनी बॉडी

समाज में आइडियल बॉडी की परिभाषा बदलती रहती है। हर इंसान का बेसिक बॉडी स्ट्रक्चर अलग है। महिलाओं को अपनी बॉडी की सामाजिक बॉडी एक्सपेक्टेशंस से तुलना नहीं करनी चाहिए। ना ही अपनी नेचुरल बॉडी पे गिल्ट होना चाहिए। बस उसका अच्छे से ख्याल रखना ज़रूरी है। हर इंसान जैसा होता है वह वैसे ही बहुत खूबसूरत है।

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