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क्या कारण है कुछ लोगों में महिलाओं और Feminism के प्रति नेगेटिव ऐटिटूड होने का?

आजकल के कईं सारे युवाओं को महिलाओं के खिलाफ मज़ाक बनाने में या उन्हें इन्फीरियर या डम्ब बुलाने में बहुत ही हलकी बात लगती है और यह करते हुए में अगर कोई महिला ऑफेंड हो जाये तो उनसे मज़ाक को इजी लेना सीखने को कहते हैं।

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Ayushi Jha
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Feminism

(Image source: The Statesman)

What Contributes To Negative Attitudes Towards Feminism In Some People: आजकल के कईं सारे युवाओं को महिलाओं के खिलाफ मज़ाक बनाने में या उन्हें इन्फीरियर या डम्ब बुलाने में बहुत ही हलकी बात लगती है और यह करते हुए में अगर कोई महिला ऑफेंड हो जाये तो उनसे मज़ाक को इजी लेना सीखने को कहते हैं। फेमिनिस्ट और फेमिनिज्म का नाम सुनते ही वो अपने नेगेटिव ओपिनियन देने लगते हैं और बेहद क्रिटिसाइज़ करते हैं इस गलतफेहमी में की फेमिनिज्म महिलाओं का मर्दों के खिलाफ नफरत फ़ैलाने का तरीका है और महिलाओं को मर्द से ऊँचा दर्जा देने का मोटो है जबकि फेमिनिज्म का मर्दों से नफरत करने का कोई लेना देना नहीं है। फेमिनिज्म महिलाओं को पुरुषों से आगे नहीं बल्कि समाज में महिलाओं को बराबर के इज़्ज़त का दर्जा दिलाने की एक सोच है। फेमिनिस्ट मर्दों के खिलाफ मोर्चा नहीं बल्कि महिलाओं के लिए आवाज़ उठाने की जज़्बा और सोच रखतीं हैं। 

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क्या कारण है कुछ लोगों में महिलाओं और Feminism के प्रति नेगेटिव ऐटिटूड होने का?

काफी समय से महिलाओं को शक्ल से सुन्दर लेकिन दिमाग से कमज़ोर दिखते आए कहानिओं और फिल्मों ने, समाज के दिमाग को ऐसे ही करप्ट करते आया है। आज के समय तक भी ये चलता ही आ रहा है। सोशल मीडिया और एंटरटेनमेंट ऍप्लिकेशन्स पर भी ऐसा बहुत होता है कि लोग महिलाओं पर फनी कंटेंट बना तो देते हैं व्यूज के लिए लेकिन ये नहीं रेअलाइज़ करते हैं की उसे देखने वाले लाखों लोगो के दिमाग पर भी सबकॉन्सियस्ली महिलाओं के खिलाफ एक नेगेटिव ऐटिटूड को बनाने की चेतना बना देते हैं। रोज़ाना 50 ऐसे मिम्स और वीडियोस भी छोटे बच्चें और युवाओं के सोच को एफेक्ट करने के लिए काफी होती है। 

कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो सदियों से चलते आए सामाजिक मानदंडों को ना मानने से इंकार करते हैं। उन्हें लगता है की महिलाओं को समाज में पुरुषों के नीचे ही रहना चाहिए क्यूंकि हमेशा से यही चलता आया है। ऐसे सोच रखने वाले लोगों के लिए ये सुझाव है की समय अब बदल गया है, कोई किसी के नीचे नहीं है, समाज बराबरी से चले तो ही शांति से चलने की क्षमता रखेगा और विकास तभी होगा और यदि समय के साथ साथ सोच को ना बदला जाए तो तकलीफ खुदको ही होती है। महिलाओं को लेकर इन नेगेटिव बातों को बदलने के लिए सबको सही बातों से शिक्षित करना बहुत ही अनिवार्य है।

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