Law And Her: The Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) को 2012 में भारत में एनफोर्स किया गया था। भारत में लगभग 472 मिलियन बच्चें हैं जो 18 साल के उम्र से नीचे हैं। पुरे दुनिया में भारत की आबादी में ही बच्चो की जनसँख्या सबसे अधिक है। भारत में इस कानून की ज़रूरत क्यों परी आइये समझते हैं। 2012 से पहले चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज इंडियन पीनल कोड में आता था जो की IPC की तीन धाराओं के अंदर आता है (354,375,377) जो की रपे, महिला के मॉडेस्टी को ठेस पहुंचाना और अननैचरल ओफ्फेंसेस थे। इन कानूनों में बच्चों के खिलाफ सेक्सुअली अबूसेड बच्चों को न्याय दिलवा पाना मुश्किल परता जा रहा था क्यूंकि इन धाराओं में दिक्कतें यह थी की यह लड़कों और मेल बच्चों के लिए नहीं लागू हो रहा था, उनको सुरक्षा नहीं मिल रही थी न ही ट्रेडिशनअल पेनेट्रेशन के अलावा किसी और रपे को जायज़ माना जा रहा था और ना ही अननैचरल ऑफेन्स को स्पेसिफी किया जा रहा था। इनसब मुश्किलों को सोल्व करने के लिए भारत सरकार ने POSCO का निर्माण कर उसे लागू करने का फैसला किया।
POSCO ACT क्या होता है और भारत में क्यों ज़रूरी है ?
What Is The POSCO ACT And Why Is It Important In India
भारत में बच्चों पर सेक्सुअली एब्यूज के रोज़ाना लाखों केसेस सामने आते हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए लाया गया यह क़ानून उनके हक़ और इन्साफ के लिए लड़ने में उनकी मदद करता है। इस एक्ट के मुताबिक 18 साल से नीचे चिल्ड्रन केटेगरी में आते हैं और इनके लिए यह लागू होता है। यह एक जेंडर नुएट्राल एक्ट है जिसका मतलब यह दोनों लड़के और लड़की नाबालिक के लिए बना है।
इस एक्ट के तहत भारतीय सरकार हर बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, किसी भी प्रकार के सेक्सुअल एब्यूज से और यह की उसे इन्साफ मिले जल्द से जल्द। उनके आने वाले ज़िन्दगी के लिए चीज़ें मुश्किल न हो यह भी ध्यान रखना इस एक्ट के अंदर आता है। पूरी इन्वेस्टीगेशन बच्चों के हित में सोचा-विचारा जायेगा और बच्चे के सेल्फ प्रोटेक्शन, केस प्रोसीडिंग के वक़्त सुरक्षा और कईं सारी ऐसी ज़रूरी चीज़ें भी एक्ट के तहत ध्यान रखा जाता है क्यूंकि देश के बच्चों की सुरक्षा सर्वप्रथम आती है।