/hindi/media/media_files/DYEdiRYBa2OC9ej3N19C.png)
Why are women who speak up called “attention seekers”?: आज भी हमारे समाज में जब कोई औरत खुलकर बोलती है, अपनी राय रखती है या अपने हक की बात करती है, तो लोग उसे अक्सर 'अटेंशन सीकर' कह दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि वो बस सबका ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहती है। लेकिन क्या अपनी बात कहना मतलब ध्यान खींचना होता है? या ये बस औरतों को चुप कराने का एक तरीका है?
‘Too Bold’ Label: अपनी बात रखने वाली औरतों को ही क्यों कहा जाता है ‘attention seeker’?
औरतों को 'अटेंशन सीकर’ का टेग देकर चुप कराने की कोशिश
औरत को 'अटेंशन सीकर' कहना बहुत आसान होता है। इससे उसकी बात की अहमियत कम कर दी जाती है और उन्हें अंदर से तोड़ने की कोशिश की जाती है। जब उन्हें बार-बार ये सुनने को मिलता है कि वो बस सबका ध्यान चाहती है, तो वो खुद ही चुप रहने लगती है। चाहे वो घरेलू हिंसा हो या किसी गलत बात का विरोध, लोग कह देते हैं कि "ये तो बस दिखावा कर रही है" या "पब्लिसिटी चाहिए इसे"।
एक औरत के चुप्पी तोड़ने से समाज क्यों असहज हो जाता है
हमारे समाज में औरतों को हमेशा से सिखाया गया है कि उन्हें ज्यादा नहीं बोलना चाहिए और चुपचाप रहना चाहिए। लेकिन जब कोई औरत इस चुप्पी को तोड़कर अपनी बात खुलकर कहती है, तो लोगों को ये अजीब लगने लगता है। उन्हें लगता है कि वो बस सबका ध्यान खींचना चाहती है। जबकि बात तो ये है कि, जिस तरह मर्द अपनी बात रखते हैं, वैसे ही औरतों को भी अपनी बात कहने का पूरा हक़ है।
औरतों का चुप्पी तोड़ना बदलाव की ओर एक कदम है
जब कोई औरत अपनी बात कहती है, तो वो सिर्फ अपने लिए नहीं, कई और चुप औरतों के लिए भी बोलती है। बदलाव तभी होगा जब औरतें बेझिझक अपनी बात कहेंगी। इसलिए उनकी बात को समझना और उन्हें बराबरी का हक देना ज़रूरी है। औरत की आवाज़ को दबाने के बजाय उसका साथ देना चाहिए, क्योंकि उसकी बात से समाज की सोच बदल सकती है।
औरतें ‘अटेंशन सीकर’ नहीं होतीं, बस उन्हें बहुत समय से चुप कराया गया है। इसलिए जब वो बोलती हैं, तो लोग इस बात को स्वीकार नहीं करते हैं। अब औरतों को समझने का समय है ना कि चुप कराने का। अपनी बात कहना उनका हक है, कोई गलती नहीं। जब हर किसी को बोलने की आज़ादी है, तो औरतों को क्यों चुप कराया जाए?