Body Image Battle: क्या ‘परफेक्ट बॉडी’ का दबाव औरतों की सेहत पर भारी पड़ रहा है

Body Image Battle: आजकल पतले और आकर्षक शरीर को ही सुंदर माना जाता है, खासकर महिलाओं के लिए। जिसका असर महिलाओं के त्मविश्वास और सेहत दोनों पर पड़ता है।

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Tamnna Vats
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Negative impact of body shaming on women

Is the pressure of having a 'perfect body' affecting women's health?: आजकल पतले और आकर्षक शरीर को ही सुंदर माना जाता है, खासकर महिलाओं के लिए। हर जगह, चाहे फिल्में हों या सोशल मीडिया, बस पतली, लंबी और खूबसूरत महिलाओं को ही दिखाया जाता है। इसी वजह से कई महिलाएं अपने शरीर को लेकर दबाव महसूस करने लगती हैं। जिसका असर महिलाओं के त्मविश्वास और सेहत दोनों पर पड़ता है। 

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Body Image Battle: क्या ‘परफेक्ट बॉडी’ का दबाव औरतों की सेहत पर भारी पड़ रहा है?

परफेक्ट बॉडी का मतलब क्या है?

आजकल पतली कमर, फिट बॉडी, फ्लैट पेट और मॉडल जैसी दिखने वाली शेप को परफेक्ट बॉडी माना जाता है। वहीं सोशल मीडिया, फिल्मों, विज्ञापनों और फैशन इंडस्ट्री ने यही छवि हमारे सामने रखी है। लेकिन क्या ये सही है? क्या हर महिला का एक जैसा दिखना जरूरी है, नहिं हर महिला का अपना अस्तित्व, गुण और सुन्दरता का अलग पैमाना है। 

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परफेक्ट बॉडी के पैमाने को लेकर सामाजिक और मानसिक दबाव 

समाज ने परफेक्ट बॉडी को लेकर ऐसे पैमाने बना दिए हैं, जिसका सामाजिक और मानसिक तनाव हर महिला को झेलना पड़ता है। सोशल मीडिया और फिल्मों में अक्सर पतली और ग्लैमरस बॉडी को ही सुंदर माना जाता है। इससे कितनी ही महिलाएं खुद को लेकर असंतुष्ट और असुरक्षित महसूस करने लगती हैं, जिससे आत्मविश्वास कम होता है।

असली फिटनेस का मतलब क्या है?

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फिटनेस का मतलब सिर्फ पतले या स्लिम दिखने से नहीं होता, बल्कि अंदर से सेहतमंद और खुश रहना ज्यादा जरूरी है। अगर कोई महिला अच्छा खा रही है, एक्टिव रहती है, खुश है और मानसिक रूप से मजबूत है, तो वही असली फिटनेस मानी जाती है। हर शरीर अपनी तरह से खूबसूरत होता है, बस देखने का तरीका सही होना चाहिए। हमें अपने शरीर को स्वीकार करना और उस पर भरोसा करना सीखना चाहिए।

समाज में बदलाव की जरूरत 

हमें खुद भी समझना होगा और दूसरों को भी समझाना होगा कि सुंदरता का कोई एक तय तरीका नहीं होता। हर महिला का शरीर अलग होता है और हर किसी की खूबसूरती भी अलग होती है। समाज को चाहिए कि वो महिलाओं को परखने के बजाय उन्हें जैसा हैं वैसे ही स्वीकार करना सीखे। महिलाओं का शरीर सुंदरता और सामाजिक अपेक्षाओं से बढ़कर हैं, ये बात समाज औऱ खुद को समझनी होगी।

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