महिलाओं के लिए घर की चारदीवारी से बाहर पहचान बनाना क्यों हैं आवश्यक?

चारदीवारी हमेशा से ही महिलाओं के लिए सुरक्षित और सीमा मे रहने का प्रतीक रहीं है। लेकिन जब महिला इससे बाहर कदम रखने का सोचती हैं तो उसे डर के साथ-साथ समाज की निंदा का भी समान करना पड़ता हैं।  क्या सिर्फ माँ, पत्नी और बहन यहीं रिश्ते उसकी पहचान है? 

author-image
Nainsee Bansal
New Update
safest city for working women

file image

चारदीवारी हमेशा से ही महिलाओं के लिए सुरक्षित और सीमा मे रहने का प्रतीक रहीं है। लेकिन जब महिला इससे बाहर कदम रखने का सोचती हैं तो उसे डर के साथ-साथ समाज की निंदा का भी समान करना पड़ता हैं।
क्या सिर्फ माँ, पत्नी और बहन यहीं रिश्ते उसकी पहचान है? 
या अपने पैरों पर खड़े होकर अपने मन चाहे संस्था मे कार्यरत होना या अपना व्यवसाय चलाना समाज की निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन हैं?
यह सवाल हर महिला को जीवन मे एक बार कचोटता हैं हीं, ऐसें में जरूरी हो जाता हैं कि महिलाएं निधारित सीमाओं को लांगकर अपने लिए पहचान बनाए, लेकिन फिर भी हर सवाल का सही सार्थक जबाब आवश्यक हैं। 

Advertisment

महिलाओं के लिए घर की चारदीवारी से बाहर पहचान बनाना क्यों हैं आवश्यक?

आइए जानते हैं कि महिलाओं का घर की चार दीवारी से बाहर पहचान बनाना आवश्यक क्यों है:

1.आत्मनिर्भर होना आत्मसम्मान की पहली सीढ़ी 

जब महिलाएं अपने लिए कदम उठाएंगी और निर्धारित सीमाओं से बाहर निकलेगी  तब वह आत्मनिर्भर बनेगीं और स्वयं पर विश्वास बढ़ेगा, जिससे आप स्वयं को और मजबूत पाएंगी। जब महिलाएं बाहर निकल कर काम करती हैं तो नए अनुभव पाती हैं, और यह उन्हे आर्थिक मजबूती के साथ-साथ आंतरिक मजबूती भी देता हैं जो उन्हे और सशक्त बनाता हैं।  

2. पित्रसत्ता की दीवारे तोड़ना 

महिलाओं को घर की इज्जत का हवाला देकर उन्हें घर पर ही सीमित रहने को कहा जाता हैं। उन्हे चार दीवारी मे रहकर ही अपने परिवार का ख्याल रखना ही उनकी जीवन की सार्थकता का होना बताया जाता है। ऐसे में आवश्यक हैं कि रुढ़िवादी परंपरा और पितृसत्ता को तोड़कर महिलाएं घर से बाहर निकलकर अपने लिए कदम उठाएं।  

Advertisment

3. creativity और leadership का निर्माण 

महिलाएं जब बाहर निकलती हैं तो नई जिम्मेदारी के चलते नए तरीकों से उन्हे हल करना सीखती हैं। महिलाएं जब निर्धारित परंपरा से आगे बढ़ती हैं तो अपनी सृजन क्षमता के साथ अपनी रचनात्तमकता को भी निखार पातीं हैं। यह समाज को नया परिदृश्य और विचार देता हैं। 

4. अगली पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बनना 

जब बच्चे अपनी माँ को बेहतर तरीके से खुद को प्रस्तुत करते देखते हैं तो उनके मन में भी उनके जैसे बनने का और उनसे प्रेरणा लेने का जज्बा उठता हैं। बच्चे के लिए परिवार ही पहली संस्था होता हैं जहां वो स्वयं को निखारता हैं और समाज के समक्ष प्रस्तुत करता हैं। माँ जब समाज मे बेहतर भूमिका अदा करती हैं तो बह अपनी बेटी के लिए सबसे बड़ी रॉल मॉडल होती है। 

5. स्वयं को सशक्त बनाना 

महिलाओ को स्वयं को और मजबूत बनाने के लिए आवश्यक हैं कि वे बाहर निकलें और नई चुनौतियों का सामना करें, यह उन्हें सशक्त बनाता हैं, जब महिला मजबूत बनती हैं तो समाज उससे मजबूत होने के साथ साथ ने आयाम मे स्वयं को प्रस्तुत कर पाता हैं।

Advertisment
leadership पितृसत्ता