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महिलाओं के आर्थिक फैसले अक्सर छोटे या निजी समझे जाते हैं। लेकिन आज के समय में बैंकिंग से लेकर हाउस मैनेजमेंट सब फैसले उनकी शक्ति को बताता हैं। यह उनके खुद पर भरोसे और आज की समय की जरूरत को भी बताता हैं। आज के समय में जब महिला एक फाइनेंशियल फैसला लेती हैं तो यह पूरी अर्थव्यवस्था से जुड़ा होता हैं जो उसे तो एमपावर करता ही हैं पर उसकी चुनाव की शक्ति को भी बढ़ाता हैं। महिला का आर्थिक फैसला परिवार से लेकर देश को मजबूती देता हैं। आज महिला घर से लेकर देश को मैनेज कर रही हैं चाहे वह घर का बजट हो या देश का। महिला आर्थिक मामलों के हर फैसले में निपुण हैं। पर आज भी कुछ महिलाएं हैं, जिन्हें छोटे-छोटे आर्थिक फैसलों के लिए परिवार पर निर्भर होना पड़ता हैं। तो ऐसे में, वे कैसे स्वयं को मजबूत बनाएं। आइए जानते हैं:
Her Money Her Choice: कैसे महिलाएं छोटे छोटे फैसलों से फ़ाइनेंशियली एमपावर हो सकती हैं?
1. खर्च का हिसाब रखना
यह हर महिला जरूर करती हैं। पर इसे जब आप बड़े लेवल तक दिखेंगी तो यह आदत आपको अपने ही खर्च को नियंत्रित रखने और फ्यूचर के लिए मनी सेव करनेमें मदत करेंगी।
2. रोजमर्रा के फैसले जो ताकत देंगे
खुद का बैंक अकाउंट होना या जब भी कोई बैंक संबंधी जरूरत हो खुद उस काम को करना हैं। और जब भी किसी मदद की जरूरत लगें बैंक कर्मचारी या किसी की भी खुल कर मदद लें पर, उस काम को खुद करना जरूर सीखे। साथ ही बच्चों और घर के खर्चे को नोट करें या अपने पास हिसाब जरूर रखें।
3."ना" कहने की ताकत
जब भी किसी को उधार देना हो या उधार लेना हो तो "ना" कहना सीखें। अधिकतर स्थिति में यह जरूरत से ज्यादा खर्च होने पर ही मांग होती हैं। रिश्तों में आर्थिक( फाइनेंस) दबाव लगे तो भी "ना" कहें। "मेरे पास पैसे हैं और मैं तय करूंगी या कैसे खर्च करना हैं" इस बात के साथ भी फैसला लें।
4. बचत और इनवेस्टमेट की शुरुआत
बैंक में सेव करना या इन्वेस्टमेंट करना शुरू करें। और अगर करती हैं तो उसे मजबूत बनाएं और नए तरीके भी सीखें। पोस्ट ऑफिस सेविंग और FD (fixed deposit) जैसी सुविधाओं को सीखें और उनका लाभ लें। बैंकों में ही अपने नाम से अलग अलग इन्वेस्टमेंट करें। साथ ही उन्हें गोल्ड या अलग अलग इन्वेस्टमेंट के तरीकों से खुद को मजबूत बनाएं।
5. आर्थिक फैसलों में भागीदारी
परिवार में होने वाले फाइनेंशियल फैसलों में खुल कर बात करें। साथ ही अपने खर्च और अपनी आवश्यकता की भी बात करें। अपने खर्चों के फैसले खुद ले न कि किसी पुरुष चाहे वह पति हो या भाई निर्भर न रहें। अपने समूह में फाइनेंशियल मुद्दों पर बात करें और उन्हें भी फैसला लेना सिखाएं।
6. सामाजिक और भावनात्मक असर
जब आप आर्थिक रूप से आजाद होती हैं तो आप आत्मविश्वास भी बढ़ाती हैं। साथ ही आप रोल मॉडल भी बनती हैं अपने आसपास के लोगों के लिए और सबसे ज्यादा अपने बच्चों के लिए। निर्भरता और घरेलू झिकझिक से भी आजाद होती हैं।
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