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Why are women turning to weightlifting? Understanding the Link Between Strength, Confidence, and Gender Expectations: वेटलिफ्टिंग को पहले केवल पुरुषों का खेल समझा जाता था, क्योंकि इसे ताकत और मर्दानगी का प्रतीक माना जाता था। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। आज की महिलाएं इन सोच को पीछे छोड़कर वेटलिफ्टिंग अपना रही हैं। यह बदलाव सिर्फ खेल तक नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं की बढ़ती आत्मनिर्भरता को भी दिखाता है।
Strength Over Size: महिलाएं वेटलिफ्टिंग की तरफ क्यों बढ़ रही हैं? ताकत, आत्मविश्वास और समाज की उम्मीदों के बीच के रिश्ते को समझना
आत्मविश्वास और ताकत
महिलाएं अब समझ चुकी हैं कि असली ताकत सिर्फ शरीर की नहीं, मानसिक और भावनात्मक भी होती है। वेटलिफ्टिंग के जरिए वे न सिर्फ खुद को फिट बना रही हैं, बल्कि आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता भी बढ़ा रही हैं। जब महिलाएं भारी वजन उठाती हैं, तो वो समाज की पुरानी सोच को भी चुनौती देती हैं।
वेटलिफ्टिंग से मानसिक मजबूती
वेटलिफ्टिंग महिलाओं को आत्मविश्वास और नई ऊर्जा देती है। जब वे अपनी सीमाओं को पार करती हैं, तो उनका हौसला बढ़ता है। इसका असर उनकी पढ़ाई, नौकरी और परिवार पर भी पड़ता है। कई महिलाओं का कहना है कि इससे वे मानसिक रूप से मजबूत बनी हैं और अपने फैसले खुद लेने लगी हैं।
जेंडर स्टिरियोटाइप्स तोड़ती महिलाएं
समाज में महिलाओं को नाजुक मानने की सोच अब बदल रही है। वेटलिफ्टिंग में उनकी बढ़ती भागीदारी इन धारणाओं को चुनौती देती है। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो और तस्वीरें दिखा रही हैं कि ताकत किसी एक जेंडर तक सीमित नहीं। अब छोटे शहरों और गांवों की लड़कियां भी आगे आ रही हैं।
वेटलिफ्टिंग से बदलती सोच
वेटलिफ्टिंग सिर्फ फिटनेस का जरिया नहीं, बल्कि सोच बदलने का माध्यम भी बन रही है। यह महिलाओं को सिखा रही है कि वे अपने शरीर की मालिक हैं और उन्हें किसी खूबसूरती के पैमाने पर खरा उतरने की जरूरत नहीं। अब मसल्स बनाना गर्व की बात मानी जा रही है, न कि शर्म की।
समाज में बदलती सोच
शुरुआत में कई महिलाओं को घर से विरोध झेलना पड़ता है, लेकिन जब वे सफल होती हैं तो परिवार और समाज की सोच भी बदलती है। अब कोच और जिम ट्रेनर भी उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं और सरकार भी सहयोग दे रही है।