Bhog For All 9 Avatars Of Godess Durga: नवरात्रि जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। यह पर्व वर्ष में चार बार आता है, लेकिन मुख्य रूप से चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही विशेष रूप से मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह शरद ऋतु के दौरान आती है और इसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भक्तगण व्रत, पूजा और साधना के माध्यम से देवी की कृपा प्राप्त करते हैं।
नवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठानों का पर्व ही नहीं है, बल्कि यह एक अवसर है जब लोग अपने भीतर की शक्ति और ऊर्जा को जागृत करने का प्रयास करते हैं। देवी दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है और नवरात्रि के दौरान उन्हें विशेष प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं। हर दिन देवी के एक अलग रूप की पूजा होती है और प्रत्येक रूप का अपना महत्व और शक्ति होती है। यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान देवी को अर्पित किए जाने वाले भोगों का भी विशेष महत्व होता है।
जानते हैं नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों को अर्पित किए जाने वाले भोगों
1. प्रथम दिन - शैलपुत्री माता
मां शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं। मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों के जीवन में स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन देवी को घी का भोग अर्पित किया जाता है। घी अर्पित करने से भक्त को आरोग्य की प्राप्ति होती है और जीवन में समृद्धि आती है।
2. द्वितीय दिन - ब्रह्मचारिणी माता
नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता की पूजा की जाती है। इनके पूजन से व्यक्ति के जीवन में संयम, धैर्य और संकल्प की शक्ति बढ़ती है। इस दिन देवी को मिश्री या चीनी का भोग अर्पित किया जाता है। मिश्री का भोग अर्पित करने से भक्त को संयम और शांति प्राप्त होती है, साथ ही जीवन में स्थिरता आती है।
3. तृतीय दिन - चंद्रघंटा माता
मां चंद्रघंटा नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाती हैं। इस दिन मां चंद्रघंटा को दूध से बने व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। खीर, दूध या मिठाई अर्पित करना इस दिन विशेष फलदायक माना जाता है। इससे साधक के जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
4. चतुर्थ दिन - कूष्मांडा माता
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कूष्मांडा को मालपुआ का भोग अर्पित किया जाता है। मालपुआ का भोग बुद्धि के विकास और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अर्पित किया जाता है। यह भोग सृजनशीलता और ज्ञान की वृद्धि का प्रतीक है।
5. पंचम दिन - स्कंदमाता
पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। इस दिन मां को केले का भोग अर्पित किया जाता है। केले का भोग अर्पित करने से साधक को संतान सुख की प्राप्ति होती है और परिवार में शांति एवं समृद्धि बनी रहती है।
6. षष्ठम दिन - कात्यायनी माता
षष्ठम दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है, जो महिषासुर मर्दिनी के रूप में जानी जाती हैं। इस दिन देवी को शहद का भोग अर्पित किया जाता है। शहद का भोग अर्पित करने से साधक को स्वास्थ्य लाभ होता है और जीवन में सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। शहद का भोग मिठास और स्वास्थ्य का प्रतीक है, जो जीवन में मिठास और समृद्धि लाता है।
7. सप्तम दिन - कालरात्रि माता
मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत उग्र और भयंकर है, लेकिन वे अपने भक्तों के सभी दुखों और कष्टों को हरने वाली हैं। सप्तम दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है और उन्हें गुड़ का भोग लगाया जाता है। गुड़ का भोग अर्पित करने से रोग और शोक से मुक्ति मिलती है, और साधक के जीवन में साहस और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
8. अष्टम दिन - महागौरी माता
अष्टम दिन मां महागौरी की पूजा होती है। इस दिन मां को नारियल का भोग अर्पित किया जाता है। नारियल का भोग अर्पित करने से मानसिक शांति और शुद्धता की प्राप्ति होती है। नारियल शुद्धता और समर्पण का प्रतीक है।
9. नवम दिन - सिद्धिदात्री माता
नवम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। इस दिन मां को तिल से बने व्यंजनों का भोग अर्पित किया जाता है। तिल से बने व्यंजनों का भोग अर्पित करने से जीवन में समृद्धि और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।