Know about these 5 tribal women: भारत में ऐसी कई आदिवासी महिलाएँ हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता से असाधारण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। ये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रेरणा स्रोत बनी हैं। इन सफल आदिवासी महिलाओं की कहानियाँ न केवल प्रेरणादायक हैं बल्कि यह भी दिखाती हैं कि कैसे दृढ़ संकल्प, मेहनत और समर्पण के साथ कोई भी व्यक्ति असाधारण उपलब्धियाँ हासिल कर सकता है। वे सभी अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता की मिसाल हैं और उन्होंने अपनी संस्कृति और समुदायों को गर्वित किया है।
इन 5 आदिवासी महिलाओं के बारे में जानिए
1. द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। द्रौपदी मुर्मू भारतीय राजनीति की एक प्रमुख शख्सियत हैं। वे झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रहीं और इस पद को संभालने वाली पहली आदिवासी महिला भी। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने जनजातीय अधिकारों, शिक्षा और महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया। 2022 में, उन्हें भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के रूप में चुना गया, जिससे वे इस पद को संभालने वाली दूसरी महिला भी बनीं। द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी है। उन्होंने अपने समुदाय के लिए कई प्रेरणादायक कदम उठाए और कई महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं।
2. बिमला प्रधान
बिमला प्रधान ओडिशा की एक आदिवासी महिला हैं और उनका जन्म 8 मार्च 1961 को कंधमाल जिले में हुआ था। वे एक खोंड आदिवासी समुदाय से आती हैं। बिमला प्रधान ओडिशा विधान सभा में मंत्री रह चुकी हैं और उन्होंने राज्य में महिला और बाल विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे 2009 में कंधमाल जिले से विधायक बनीं और उसके बाद 2014 में मंत्री बनीं। उनके कार्यकाल में उन्होंने आदिवासी अधिकारों और शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। बिमला प्रधान ने आदिवासी समुदायों के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए निरंतर काम किया है, और वे आदिवासी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बनी हैं।
3. जसवंत सिंह राठौर
जसवंत सिंह राठौर, जिन्हें जेसिका के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म राजस्थान के एक भील आदिवासी परिवार में हुआ था। जेसिका एक सफल बॉक्सर हैं जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने बॉक्सिंग में कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं और अपने क्षेत्र में एक प्रेरणादायक शख्सियत बनी हैं। उनकी कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प ने उन्हें सफलता के शिखर पर पहुँचाया है। जेसिका की कहानी यह दिखाती है कि किसी भी बाधा को पार कर सफलता प्राप्त की जा सकती है। वे आदिवासी महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं जो खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हैं।
4. मेघा माझी
मेघा माझी एक संथाल आदिवासी महिला हैं और झारखंड के दुमका जिले से आती हैं। मेघा माझी एक प्रसिद्ध समाजसेविका हैं जिन्होंने झारखंड के आदिवासी समुदायों के लिए काम किया है। वे स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं, विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण और बालिका शिक्षा के लिए। उन्होंने अपने क्षेत्र में कई स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी पहल शुरू की हैं, जिससे आदिवासी समुदायों को सीधा लाभ मिला है। मेघा माझी का काम आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण और उनके जीवन में सुधार लाने के लिए प्रेरणादायक है।
5. तिंगु सुकृतम
तिंगु सुकृतम का जन्म तमिलनाडु के कोटागिरी में हुआ था और वे टोड़ा जनजाति से हैं, जो नीलगिरि पहाड़ियों में रहते हैं। तिंगु सुकृतम एक प्रख्यात शिक्षिका और सांस्कृतिक संरक्षक हैं। उन्होंने अपनी जनजाति की पारंपरिक कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए अनगिनत प्रयास किए हैं। उनकी प्रमुख उपलब्धि है कि उन्होंने टोड़ा बुनाई और कढ़ाई के शिल्प को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। उन्होंने इस कला को बचाने और बढ़ावा देने के लिए काम किया है, जिससे उनकी जनजाति की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षण मिला है। तिंगु सुकृतम ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के साथ-साथ अपने समुदाय के लिए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न किए हैं, जिससे वे आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।