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Patriarchal Society: पितृसत्तात्मक सोच क्या है? कैसे इससे हर महिला है परेशान

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Swati Bundela
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अपनी रोजमर्रा के जीवन में प्रत्येक महिला किसी ना किसी रूप में पितृसत्तात्मक सोच का शिकार होती रहती है। हमारा समाज एक पितृसत्तात्मक समाज है। जहां पुरुषों को महिलाओं के जीवन पर हक होता है और पुरुष ही घर का मुखिया माना जाता है। ऐसे में बहुत सी बातें और बहुत से काम का ऐसे हैं जो महिलाएं अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में करती है लेकिन इस बात पर उनका ध्यान नहीं जाता कि वे काम पितृसत्तात्मक सोच से प्रेरित है।

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1. घर में खाना बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ आपकी

खाने बनाने का काम केवल महिलाओं का नहीं है। लेकिन अगर आपके घर में हमेशा आपको भी खाना बनाना पड़ता है या बच्चों की देखभाल करनी पड़ती है और इसके लिए आपको अपने पति या घर के किसी भी पुरुष से कोई सहायता नहीं मिलती है तो यह है एक पितृसत्तात्मक सोच है। क्योंकि हमारे समाज का मानना है कि पुरुष घर के काम करते हुए अच्छे नहीं लगते।

2. बाहर रहने के समय पर पाबंदी

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घर का पुरुष जब चाहे जिस समय चाहे घर से बाहर रह सकता है वह जितनी देर तक चाहे उतनी देर तक घर से बाहर रह सकता है। लेकिन महिलाओं को यह इजाजत नहीं होती। अगर आप महिला है तो आपको भी कभी ना कभी अपने परिवार के सदस्यों से यह सुनने को मिला होगा कि शाम को एक तय समय से पहले घर पर आ जाना है।

3. आप क्या पहनेगी 

आप अपने घर में या घर के बाहर भी उस तरह के कपड़े पहनती हैं जिसमें आपके परिवार के पुरुषों की हामी होती है। अनजाने में ही सही पर आपके कपड़े पहनने के अधिकार को भी सीमित किया जाता है। लेकिन आपको बुरा ना लगे इसलिए यह एहसास कराया जाता है कि यह सब आपकी भलाई और आप के बचाव के लिए जरूरी है।

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4. महिला और पुरुष की सैलरी में अंतर

समाज में महिलाओं को घर के बाहर काम करने की कभी से ही छूट नहीं दी जाती थी। लेकिन अब जब महिलाएं घर से बाहर निकल कर अपनी खुद की एक पहचान बना रही है, खुद के पैसे कमा रही हैं तो यह भी समाज को अखरता है। इसीलिए आपने अक्सर देखा होगा कि महिला और पुरुष की तनख्वाह में काफी अंतर होता है जबकि वह दोनों भले ही एक काम क्यों ना करते हो।

5. आप पराए घर की है

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'तुझे अगले घर जाना है, यह तेरा घर नहीं है!', 'कुछ काम सीख ले अगले घर जाना है'। इस तरह के ताने सुनना महिलाओं के लिए आम बात होती है। उन्हें यह अहसास कराया जाता है कि वह किसी पराए घर की है। जहां उन्हें बताया जाता है कि उनकी जिंदगी शायद उनकी खुद की नहीं है और उन्हें हमेशा दूसरों के लिए ही बलिदान करते हुए अपना जीवन जीना है। यही कारण भी है कि महिलाएं अक्सर अपनी चीजों को प्राथमिकता नहीं दे पाती है।

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