फेमिनिस्म जिसका नाम सुनते है हम अक्सर यह समझ लेते है कि शायद यह टर्म औरतों के लिए यूज़ होती है जिसका मतलब है सिर्फ़ औरतों के हक़ों की बात करना है। कुछ लोग फेमिनिस्म को यह भी समझ लेते है कि इसका मतलब है मर्दों को औरतें से नीचे रखना या फिर उन्हें नफ़रत करना है। आज हम आपके सारे शकों को दूर करेंगे और जानेंगे कि असल में फेमिनिस्म होता क्या है? घर पर हम यह कैसे शुरू कर सकते है।
What Is Feminism?
इसका मतलब सभी लिंगो को बराबर के अधिकार मिले चाहे वे राजनीतिक, समाजिक और आर्थिक हो। उनको बराबर अवसर मिलने चाहिए। फेमिनिस्म यह नहीं कहता कि औरत और मर्द एक जैसे होते है वे शारीरिक तौर पर अभिन्न होते है इसका मतलब यह नहीं है उनको बराबर अधिकार नहीं मिलने चाहिए।
कौन सी ऐसे चीजें है जिनसे हम घर से फेमिनिस्म शुरू कर सकते है-
1. घर का काम बाँटकर-
हमारे घरों में आज भी यह आज भी चलता है कि घर का काम सिर्फ़ औरतें करेंगी चाहे वे नौकरी भी करती हो।अगर आप अपने काम में फेमिनिस्म लाना चाहते हो तो सबसे पहले घर का काम बाँटकर करें।अगर लड़की रसोई में काम कर रही है तो लड़का घर की साफ़ सफ़ाई करें।अगर पत्नी आज ऑफ़िस से आने में लेट हो गई तो पति खना बना ले।
2. इसके बारें में खुलकर बात करके-
आप अपने बच्चों से या घर में इसके बारे में बात करें।आज भी बहुत से लोगों को इसके बारे में सही और पूरी जानकारी नहीं है। आप लैंगिक समानता के बारे में बात करें।आप उनके मन में यह भेदभाव वाली बातें आने ही ना दे।
3. स्टीरियोटाइपिंग बंद करके-
जब आप यह बातें करना बंद कर देंगे कि यह काम सिर्फ़ लड़के कर सकते है लड़के नहीं। लड़कियों को घर से बाहर नही जाना चाहिए, ऐसे कपड़े नहीं पहनने चाहिए, लड़के मेकअप नहीं कर सकते है और भी ऐसी बहुत सी बातें है जो घरों में होती है।जब आप ऐसे बात करते है तो बच्चों के मन में असमानता की भावना आती है। उनको अपना आप इक्स्प्रेस करने दे।उन्हें जो वे चाहते है वे चीजें करने दे।इसलिए घर पर स्टीरियोटाइपिंग बंद कर दे अपने आप ऐसी बातें खतम हो जाएँगी।
4.जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करें-
हमारे घरों में बॉडी शेम होती है। तेरा रंग कितना काला है, फ़ेस पे कितने दाग है,कितनी मोटी हो, तुमसे शादी कौन करेगा कभी शीशे में अपने आप को देखा है जब आप ऐसी बातें करना बंद कर देंगे तो समाज में बदलाव अपने आप आ जाएगा। आप बच्चों को सिखाए हर कोई अपने आप में सुंदर होता है आप जैसे हो वैसे सुंदर हो। अपने आप को स्वीकार करो।
5.बच्चों को समर्थ बनाए-
बच्चों को इतना समर्थ बनाए कि वे अपने लिए बोल सके। कब उनके साथ कोई ग़लत करे तब वे चुप-चाप सहे ना बल्कि उसका डटकर सामना करे। सिर्फ़ यह कहकर ना उसे चुप करा दिए जाए कि तुम एक लड़की हो।उन्हें लैंगिक असमानता के ख़िलाफ़ बोलना सिखाए।उनकी सोच को खुला रखे। उन्हें जो वे चाहते करने दे।ऐसे घुट-घुट कर ना आप ज़िन्दगी जिए ना बच्चों को जीने दे।