Dr. Sheetal Jindal Interview: प्रसूति एवं स्त्री रोग अक्सर डॉक्टर की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए एक ऐसा विषय होता है। जिसमें जाना लोगों को कठिन लगता है। लेकिन यह सबके साथ हो ऐसा नही कहा जा सकता है। कुछ लोगों ना सिर्फ इस विषय को पढ़ना चाहते हैं बल्कि इस कठिन विषय को लोगों के लिए आसान भी बनाना चाहते हैं। ऐसी ही एक सख्स हैं डॉ. शीतल जिंदल। डॉ. शीतल जिंदल के पास MBBS की डिग्री है और उन्होंने महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित डीवाई मेडिकल कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी से प्रसूति एवं स्त्री रोग में MD की डिग्री हासिल की है। वह लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में व्यापक अनुभव के साथ-साथ रिप्रोडक्टिव एंडोक्राइनोलॉजी, बांझपन प्रबंधन और भ्रूण चिकित्सा में माहिर हैं। डॉ. शीतल जिंदल ने अपनी शैक्षणिक योग्यता पूरी करने के बाद जिंदल आईवीएफ में अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। SheThePeopleHindi टीम के साथ बात करते हुए उन्होंने अपनी जर्नी के बारे में बात की साथ ही IVF से जुड़े कुछ जरूरी सवालों के जवाब भी दिए। तो आइए जानते हैं डॉ. शीतल जिंदल के इस प्रेरक सफर के बारे में और जानते हैं IVF से जुड़े कुछ बेहद अहम सवालों के जवाब।
मिलिए डॉक्टर डॉ. शीतल जिंदल से, जानिए उनकी IVF स्पेशलिस्ट बनने की जर्नी और IVF से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब
SheThePeopleHindi के साथ एक इंटरव्यू में, डॉ. शीतल जिंदल ने अपनी जर्नी शेयर की। कि कैसे उन्होंने Obstetrics and Gynecology को अपने करियर के रूप चुना और किस तरह वे एक IVF स्पेशलिस्ट बनीं। उन्होंने इन्फर्टिलिटी से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए और इन्फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में आने वाली समस्याओं और इन्फर्टिलिटी फेस कर रही महिलाओं से जुड़े सवालों का जवाब दिया और भारत में इनफर्टिलिटी को लेकर जागरूकता पर भी बात की।
डॉ जिंदल, आपके पास कई Institutions से डिग्री के साथ एक बेहतरीन एजुलेशनल बैकग्राउंड है। आपको प्रसूति और स्त्री रोग (Obstetrics and Gynecology) में करियर बनाने के लिए किस बात ने प्रेरित किया, स्पेशली IVF के क्षेत्र में?
डॉ. जिंदल कहती हैं कि, "इसका जवाब मैं ऐसे दूंगी कि जब मैं अपनी MD कर रही थी। Obstetrics and Gynecology में आपके पास कई ऑप्शन होते हैं जो आप कर सकते हो। एक तो Obstetrics होती है जो कि मेनली प्रेगनेंसी और डिलीवरी से डील करती है और एक Gynecology होती है जो कि आउटसाइड ऑफ़ प्रेगनेंसी जो भी फीमेल की प्रॉब्लम होती हैं वो Gynecology में आती हैं (Gynecology को थोडा डिफिकल्ट माना जाता है Obstetrics के मुकाबले) तो मुझे हमेशा ये लगता था कि मुझे कुछ डिफिकल्ट चीज को आसान बनके करना है लाइफ में। (मेरा बायोकेमेस्ट्री काफी स्ट्रांग सब्जेक्ट है) उस टाइम पर मुझे रिप्रोडक्टिव एंडोक्राइनोलॉजी में काफी इंटरेस्ट आया था मुझे ये नहीं पता था कि मैं कभी इन्फर्टिलिटी की तरफ जाउंगी, बस मुझे रिप्रोडक्टिव एंडोक्राइनोलॉजी बहुत अच्छी लगती थी। उस टाइम पर जब मैंने MD किया था तब लोग रिप्रोडक्टिव एंडोक्राइनोलॉजी की बुक भी नही लेते थे। लेकिन मैंने उस टाइम में जो बेस्ट बुक मानी जाती थी जो आज भी बेस्ट है वो पढ़ी।(loan speros जिसके ऑथर हैं) वो मैंने स्पेशली खरीदी और पूरी बुक एक एक पेज करके पढ़ी जिसकी वजह से मेरे जो बेसिक्स थे क्लियर हो गये और उसमें इन्फर्टिलिटी और हार्मोन्स का इंटरप्ले जो है वो बहुत अच्छे से दिया गया है। तो ये चीजें मुझे बहुत इंटरेस्टिंग लगीं। तो इसलिए मुझे अपॉर्चुनिटी मिलती गई और इन्फर्टिलिटी मुझे समझ भी बहुत आसानी आ गई क्योंकि मेरा पहले बेस स्ट्रांग हो चुका था। बहुत बार लोग MD में ये पढ़ते भी नही हैं। इन्फर्टिलिटी का एक छोटा सा चैप्टर होता है स्टैण्डर्ड गाइनी की बुक में लेकिन मैंने उसे पूरा पढ़ा उसे समझा और टाइम दिया तो उसके बाद मुझे डॉ. उमेश जिंदल मिल गये जिन्होंने मेरे उस नॉलेज को और सपोर्ट किया कि तुम्हारा बेस अच्छा है तो तुम ये करो इस फील्ड में आगे काम, तो उससे मुझे बहुत हेल्प हुई। फिर मैंने इन्फर्टिलिटी की फेलोशिप की। उन्हीं की गाइडेंस में और फिर मेरा सब्जेक्ट स्ट्रांग बन गया और मैंने इन्फर्टिलिटी में प्रैक्टिस करना स्टार्ट कर दिया।
आप आप अपने कुछ PGIMER चंडीगढ और SGPGI लखनऊ के सबसे यादगार अनुभव या पल शेयर कर सकती हैं जिन्होंने IVF के क्षेत्र में आपके करियर को आकार दिया है?
MD करने के बाद मेरा ड्रीम था कि मुझे PGIMER चंडीगढ जैसे इंस्टिट्यूट में काम करने को मिले क्योंकि PGI में आप हर तरह की कॉम्प्लिकेशन देखते हैं। डिफिकल्ट से डिफिकल्ट केस प्रेगनेंसी में भी नॉन-प्रेगनेंसी में भी इन्फर्टिलिटी में भी। PGI एक ऐसी जगह है जहां पर हर सुपर स्पेसिलाइजेसन है। तो वहां मेरी काम करने की बहुत इच्छा थी मैने वहां पे एग्जाम दिया इंटरव्यू हुआ और मेरा वहां पर सिलेक्शन हो गया। वहां की प्रैक्टिस में मेरे को बाद में बहुत हेल्प किया है। PGI में ये बहुत आसान होता है कि आप किसी महिला का IVF कर सकते हो और PGI में एक पेसेंट को देखने की अप्रोच बहुत यूनिक है। हमें ये कहा जाता है कि अपने मरीज को पूरी तरह देखना है ऐसा नही कि पेसेंट आपके पास सिर्फ इन्फर्टिलिटी के लिए आया है तो आप बस उसको सीधा IVF लिख दो। पेसेंट का पूरा वर्कअप प्रोपर करना, पेशेंट को अगर आप कोई ट्रीटमेंट दे रहे हो तो ऐसा नही है कि आप सिर्फ ट्यूबलर विजन के बाद देखो पेशेंट को इंप्रोटार्लिटी पूरी तरीके से देखो।
जैसे इनफर्टिलिटी वाले पेसेंट्स को कई बार और तरह की प्रॉब्लम भी होती हैं। तो ये नही है कि आप उन प्रॉब्लम को इग्नोर कर दो और सीधा IVF लिख दो। तो ये एक जर्नी है, वो एक चीज और हर एक कॉम्प्लिकेशन को हैंडल करना और पेसेंट को इंप्राटार्लिटी देखना वो मैने PGI से सीखा है और वो मुझे प्रैक्टिस में बहुत ज्यादा हेल्प करता है। वो एक एक्सपीरियंस है हर तरह के पेसेंट को हैंडल करना हर प्रॉब्लम को इंटिसिपेट करना, क्योंकि प्रॉब्लम होने के बाद उसको ट्रीट किया गया तो वो सॉल्यूशन नही होता। आपको पेसेंट को किसी प्रॉब्लम में लैंडअप करने से प्रिवेंट करना होता है। मैंने बहुत तरह की बीमारियां बहुत तरह की कॉम्प्लिकेशन वहां हैंडल करनी सीखी और वो मेरा ईमेंस एक्सपीयंस है जो मुझे आजीवन हेल्प करेगा और कर रहा है।
उसके बाद मैं SGPGI लखनऊ में ट्रेनिंग लेने के लिए गई थी। जब मैं प्रैक्टिस में आई तो बहुत से लोग महंगी महंगी मशीन हमारे पास बेचने के लिए आ रहे थे। क्योंकि हमारा IVF का एक प्रीमियर सेंटर है नॉर्थ इंडिया में तो जब उन्होंने कहा कि आप मैडम जेनेटिक्स की मशीन खरीदिए जेनेटिक्स में बहुत कुछ है तो मुझे लगा की मुझे तो जेनेटिक्स की अभी पूरी नॉलेज नही है। तो मैं ऐसे कोई मशीन लगा लूं तो मैं पेसेंट की हेल्प कैसे करूंगी। जब तक आप किसी भी ब्रांच में किसी भी चीज में डेफ्थ तक नही जाते उसको प्रॉपर्ली सीखते नही आप पेसेंट पर उसको प्रॉपर्ली अप्लाई नही कर सकते हैं। SGPGI में तब एक कोर्स था तो वो मैं कर के आई ये मेरे लिए बहुत ही फायदेमंद शाबित हुआ।
ये पहला इंस्टीट्यूट है जहां के जेनेटिक्स के स्टूडेंट्स पूरे इंडिया में जाते थे। तो वहां से मैने ये रियालाइज किया कि जेंटिक्स में अगर कुछ अच्छा IVF में PGT करनी है और जेनेटिक्स करना है तो मुझे एक अच्छी सी टीम बिल्ड करनी पड़ेगी। तो फिर हमने क्लिनिकल जेनेटिसिस्ट वहां की मेरी नॉलेज ने मुझे प्रेरित किया मैने बहुत किताबें पढ़ीं जेनेटिक्स की। फिर उसके बाद मैंने वो कोर्स बहुत ध्यान से किया वहां पर फिर मैंने अपनी जेनेटिक्स की एक टीम बनाई। जिसमे हम 3 डॉक्टर्स हैं जो मिलकर जेनेटिक्स का डिपार्टमेंट हमारे हॉस्पिटल में चला रहे हैं। हम किसी भी तरह का डिफिकल्ट केस हैंडल कर सकते हैं और फिर मैंने वापस आकर यहां पर IVF में PGT (Prime Plantation Genetic Testing) शुरू किया और इसमें हमने एक ऐसा केश किया जो इंडिया में सेकंड रिपोर्टेड केस है। तो ये सब एक लंबी जर्नी रही है। सबका सपोर्ट मिला तब ये हो पाया।
इंडिया में इन्फर्टिलिटी ट्रीटमेंट को लेकर अवेयरनेस कमी पर आप क्या करेंगी?
इस सवाल जा जबाव देते हुए डॉ. जिंदल कहती हैं कि, "IVF अब फिर भी पहले से बहुत बेटर हो गया है। पहले तो ये था कि IVF की लोगों को अवेयरनेस ही नही थी। IVF को और जिस फीमेल को बच्चा नही होता था उसे एक टैबू माना जाता था। कि ये औरत बांझ है और जिस औरत को बच्चा नही होता है उसे देखा भी ऐसे जाता था कि इसको कोई प्रॉब्लम है। इनफैक्ट दुनिया का पहला IVF बेबी इंडिया में पैदा हुआ था लेकिन उनके पैरंट्स से डिस्क्लोज नही किया। इस लड़की का नाम दुर्गा है। इंडियन डॉक्टर्स ने डिस्क्लोज नही किया क्योंकि पैरंट्स नहीं चाहते थे कि डिस्क्लोज किया जाए। क्योंकि उनका बहुत जीना मुस्किल हो जायेगा। तो इसलिए इंडिया ने अपना पहला वर्ल्ड का IVF बेबी प्रोड्यूस करने का क्रेडिट भी खोया। Louise Brown जो हैं जो इंग्लैंड में हुआ था वो फर्स्ट IVF बेबी (First IVF baby Louise Brown) कहलाया। तो इंडियन में थोड़ी सी अवेयर की कमी है अब फिर भी इसमें सुधार हुआ है और पहले से अब अवेयरनेस बढ़ गई है।"
इन्फर्टिलिटी ट्रीटमेंट को लेकर अवेयरनेस, लागत और प्राइवेट सेंटर में इलाज का कारण
इस टॉपिक पर बात करते हुए डॉ. जिंदल ने बताया, "देखिए एक बच्चे की जरूरत सबको होती है। तो अब इसमें ये है कि रीजन्स तो हम यही कह सकते हैं कि इन्फर्टिलिटी एक सुपर सा ट्रीटमेंट है ये अपने आप में एक सुपर स्पेसिलाइजेसन है। तो पहले तो ये है कि इसमें अवेयरनेस है और लोगों को ये नही पता कि इन्फर्टिलिटी का ट्रीटमेंट किया जा सकता है इसको बहुत ही प्राइवेट और पर्सनल इसू माना जाता है और थोड़ा सा ये सच भी है। मैं इस बात को कहूंगी कि जब तक हमारे आस-पास और विलेज एरिया में भी लोगों को अवेयरनेस नही होगी तब तक ज्यादा लोग इस फैसिलिटी का इस्तेमाल नही पाएंगे।दूसरा एक लागत भी मैं कह सकती हूं। इन्फर्टिलिटी की इंडिया में लागत 2 से 3 लाख तक होती है। बहुत बड़े शहरों में 4 लाख भी हो जाती है। तो ये जो ट्रीटमेंट है थोड़ा सा प्राइवेट सेंटर ने ट्रीटमेंट ज्यादा पिक किया है। क्योंकि सरकारी अस्पताल पहले ही इतने ज्यादा व्यस्त हैं बाकी ट्रीटमेंट और फेसेलिटी से।"
सरकारी विभाग में इन्फर्टिलिटी ट्रीटमेंट क्यों नही हो पा रहा या प्राइवेट में अधिक क्यों है? इसकी वजह?
इस सवाल के जवाब में डॉ. जिंदल ने कहा, "IVF एक सुपर स्पेसिलाइजेसन डेवलप करने के लिए काफी टाइम, पैसा और एनर्जी चाहिए। तो अगर ये गवर्नमेंट सेटअप में आएगी तो जरूर थोड़ा सा फर्क पड़ेगा कि आम लोगों को हेल्प मिलेगी। लेकिन होता ये है कि सरकारी में इतना टाइम नही दे पाते हैं डॉक्टर्स जिसकी वजह से शायद मैं ये कहूंगी कि पेसेन्ट को सही रिजल्ट ना मिल पाए। इन्फर्टिलिटी रिजल्ट ओरियेंटेड ट्रीटमेंट है। किसी पेसेंट का डेढ़ दो या तीन लाख रुपया लग गया और बाद में रिजल्ट नही आया या नेगेटिव आया तो यहाँ समस्या होती है। इसमें डॉक्टर की टाइम इन्वॉल्वमेंट बहुत है और पर्सनल इन्वॉल्वमेंट भी ज्यादा होती है इसमें तो कई बार ये सब इसूज की वजह से सरकारी विभाग में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट उतने आसान नही हैं। कि आप इतनी वेटिंग एक-एक इंजेक्शन लगाने के लिए कर पाएं। ये एक लंबी जर्नी है अगर देखा जाए तो मैं ये देखती हूं कि इसके लिए 24*7*365 डेडीकेशन चाहिए क्योंकि हम नेचर के अगेंस्ट खेल रहे हैं। अगर महिला को प्रेगनेंसी नही हो रही है और हम कुछ एक्स्ट्रा कर रहे हैं तो।
इन्फर्टिलिटी ट्रीटमेंट मिथ (क्या IVF आर्टिफिशियल है?)
डॉ. जिंदल ने कुछ मिथकों पर बात कि और कहा, "हालाकि अब दुनिया की लगभग 2 बिलियन जनसंख्या IVF से जरिए जन्म ले रही है और लेकिन ये भी है कि कुछ लोगों को IVF टैबू लगता है उनको लगता है कि IVF आर्टिफिशियल है। बहुत से पेसेंट ऐसे होते हैं जिन्हें लगता है कि IVF आर्टिफिशियल है ये एक बहुत बड़ा मिथ है कि IVF आर्टिफिशियल है। "हम कोई जानवर के एग्स ये स्पर्म से थोड़ी ना बच्चा कर रहे हैं, पेसेंट के ही स्पर्म और एग्स को थोड़ा सा बूस्ट करके जो प्रॉब्लम हैं उसको बायपास करने बस यूट्रस में बच्चा से देते हैं तो ये असिस्टेंट मेथड हैं कंसेप्शन का ये आर्टिफिशियल नही है।" तो लोग इस बात को समझते नहीं हैं। कई लोगों को इंजेक्शन से डर लगता है बहुत इंजेक्शन लगते हैं या IVF प्रेगनेंसी में बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है, बहुत ज्यादा रेस्ट है, तो ये सब जो मिथ हैं सारे IVF से रिलेटेड जो धीरे-धीरे लोगों के मन से निकल रहे हैं इसलिए अब काफी अवेयरनेस तो पहले से बढ़ी हैं।"
लेट प्रेगनेंसी प्लानिंग
डॉ.जिंदल कहती हैं कि, "अगर हम थोड़े से हाई इकोनॉमिक स्टेटा में जाएं तो वहां पर लोग करियर की वजह से बहुत लेट बच्चा प्लान करते हैं। उनको लगता है अभी हम और सेटल डाउन हो जाएं लेकिन उस टाइम तक जो फीमेल की ओवरी होती है वो थोड़ी सी वीक होने लगती है। तो भगवान ने भी फीमेल को प्रेग्नेंट होने के लिए एक लिमिटेड टाइम दिया है। ये फीमेल की हेल्थ प्रोटेक्शन के लिए है। इंडिया में 45 से 47 तो एवरेज उम्र है मेनोपॉज की। तो उससे लगभग 10 साल पहले से आपकी ओवरी कमजोर होने लगती है। क्योंकि अगर उम्र ज्यादा होगी तो प्रेग्नेंट होने के साथ-साथ प्रेगनेंसी के नौ महीने बच्चे को कैरी करके डिलीवरी भी होके बच्चा हाथ में आना चाहिए और मां-बाप में उस बच्चे को पालने की क्षमता होनी चाहिए तो इन सब रीजंस की वजह से भगवान ने भी फीमेल की बेस्ट उम्र जो दी है बच्चा प्लान करने की वो 20 से 40 साल ही होती है बल्कि 20 से 35 ही होती है। 35 के बाद तो आप प्रेग्नेंट होंगे और कितना टाइम आपको लगेगा प्रेग्नेंट होने में वो बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।"
35 की उम्र में मेनोपॉज (प्रीमेच्योर मेनोपॉज)
35 के बाद मेनोपॉज को प्रीमेच्योर मेनोपॉज बोलते हैं अगर फीमेल को 40 की उम्र से पहले पीरियड बंद होने शुरू हो जाएं तो मुझे ऐसा लगता है कि इसमें कई बाद तो जेनेटिक फैक्टर्स होते हैं और कई बार हमे कारण नही पता होते कि क्यों एग्स जल्दी डिप्लेट हो जाते हैं। तो उस केस में लाइफस्टाइल का रोल या डाइट का रोल हो सकता है अब ये सब बहुत हिडेन चीजें हैं जिनका कोई डायरेक्ट लिंक हो सकता है लेकिन अगर हम ये कहें कि बहुत एविडेंट है कि उस वजह से मेनोपॉज जल्दी हो रहा है। स्ट्रेस भी एक फैक्टर है आज की डेट में, लेकिन हम ये 100% नही कह सकते हैं। लेकिन ये है कि कुछ कंट्रीब्यूशन इनका होता है। जिसकी वजह से मेनोपॉज जल्दी हो जाता है या फिर कुछ जेनेटिक प्रॉब्लम हैं जिनकी वजह से कुछ महिलाओं को मेनोपॉज जल्दी हो जाता है। जैसे कि फ्रेजाइल एक्स वगैरह है तो उसकी स्क्रिनिंग करानी पड़ती है और फिर डोनर एग्स ऐसे केस में इस्तेमाल करके प्रेगनेंसी की पॉसिबिलिटीज होती हैं।
बाँझपन के लिए सिर्फ महिला जिम्मेदार होती है! क्या है सच्चाई?
इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. शीतल जिंदल ने कहा कि-
नही, ये इंफैक्ट बहुत अच्छा सवाल है। तो मैं एक लाइन अक्सर इस्तेमाल करतीं हूं, मैं कहती हूं कि इन्फर्टिलिटी एक कपल प्रॉब्लम है। ये एक ऐसी ट्रीटमेंट है जिसके लिए अगर मेरे पास सिर्फ महिला आती है तो मैं महिला को ये बोलती हूं कि आप अगली बार अपने पति को लेकर आना और विजिट में हर विजिट में कोशिश करिए कि दोनो आएं और दूसरा जो रूल नंबर 2 है जो मैं हमेशा फॉलो करती हूं। वो ये है कि "प्रॉब्लम अगर 1 पार्टनर में है इसका मतलब ये नही है कि दूसरा पार्टनर बिलकुल नॉर्मल है।" ऐसा नही होता है। मेल्स में भी प्रॉब्लम होती हैं जैस- एज़ोस्पर्मिया और कई इशूज होते हैं सुक्राणु नहीं बनते हैं 30% से 40% केसेज में मेल पार्टनर जिम्मेदार होता है इन्फर्टिलिटी के लिए।
IVF ट्रीटमेंट से गुजर रही महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर बात करना कितना जरूरी है?
IVF और मेंटल हेल्थ से जुड़े सवाल का जवाब डॉ. जिंदल ने कुछ ऐसे दिया, "इंफार्टिलिटी ट्रीटमेंट में टाइम, पैसा और एनर्जी तीनों चीजें लगती हैं। तो फीमेल को कई बार फील होता है कि ये तो एक एग्जाम की तरह है। जैसे कई अलग-अलग तरह से जांच और रिजल्ट आने होते हैं तो पेसेंट को बहुत स्पोर्ट की जरूरत होती है। क्योंकि सारा काम फीमेल पर ही किया जाता है इंजेक्शन लेती हैं एम्ब्रायो ट्रांसफर कराना है। उसी का बार-बार अल्ट्रासाउंड होता है। तो फिजिकली भी ये थोड़ा सा प्रॉब्लम है और क्योंकि इसका सक्सेस रेट भी 50% है तो मायूसी भी होती है क्योंकि पैसा भी खर्च होता है और दूसरा ये कि अगर मां नही बनती तो अधूरेपन की फीलिंग रहती है फीमेल में तो इस कपल को बहुत सपोर्ट की जरूरत होती है टाइम टू टाइम और उनकी इमोशनल वेलबीइंग और मेंटल वेलबीइंग का तो बहुत ध्यान रखना पड़ता है। इंफेक्ट साइकोलॉजिकल काउंसलिंग भी बहुत ही जरूरी है।"
इन्फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की इच्छुक महिलाओं के लिए सलाह
दो बातें बोलना चाहूंगी कि "एक तो अगर आपको IVF का ट्रीटमेंट लेना है अर्ली लेना अच्छा होता है। अगर आपको IVF की जरूरत है तो अगर आप जल्दी कराएंगे तो सक्सेज रेट उतना ज्यादा अच्छा हो सकता है।" दूसरी बात ये है कि "आप हर चीज को डील कर सकते हैं उम्र को डील नही कर सकते हैं तो प्रेगनेंसी प्लान करने का जो बेस्ट टाइम है वो 25 से 35 वर्ष है" और तीसरा ये कि "अगर आप IVF कराएं तो किसी अच्छे रिप्यूटेड सेंटर में कराएं और बहुत मनी गेम में नही जाना चाहिए ये एक ऐसा ट्रीटमेंट है जो क्वालिटी में डिपेंड करता है तो आप किसी एक्सपीरियंस सेंटर में अच्छी सेंटर में देख के कुछ पैसे ज्यादा या कम लगते हैं तो इससे फर्क नही पड़ता है। अच्छी जगह से अपना IVF ट्रीटमेंट कराएं।"