Meet Real Estate Entrepreneur Yukti Nagpal And Know About Her Dynamic Journey: रियल एस्टेट सेक्टर एक ऐसा बिजनेस और काम जहाँ पर पुरुषों का आधिपत्य अब तक कायम है। ना सिर्फ बिजनेस की शुरुआत करने में बल्कि काम करने वालों की संख्या में भी महिलाओं का नंबर अब तक भी बहुत छोटा है। जिसकी कई वजहें भी हैं। लेकिन इन वजहों को दरकिनार कर एक ऐसी सख्सियत से हमारी बात हुई जो इस रियल एस्टेट सेक्टर में अपना नाम बना रही हैं और इतना ही वे अपने करियर के साथ ही अपने पिता के सपने को भी आगे बढ़ा रही हैं। रियल एस्टेट एंटरप्रेन्योर युक्ति नागपाल जो कि उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित गुलशन ग्रुप की डायरेक्टर हैं। US से मार्केटिंग में डिग्री प्राप्त करने के बाद युक्ति ने अपने पिता द्वारा बनाई गई कम्पनी की कमान सम्भाली और कंपनी को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। रियल एस्टेट के साथ युक्ति महिला सशक्तिकरण की भी वकालत करती हैं।
युक्ति ने SheThePeopleHindi के साथ इंटरव्यू में अपनी जर्नी के बारे में बताया, अपने करियर के ड्रीम प्रोजेक्ट्स पर बात की साथ ही महिलाओं के लिए रियल एस्टेट बिजनेस में करियर बनाने और तमाम जरूरी चीजों पर अपनी बात रखी। पढ़िए उनकी जर्नी के बारे में-
युक्ति नागपाल के साथ बातचीत के कुछ अंश (Yukti Nagpal Interview)
युक्ति नागपाल का बचपन
अपने बचपन के बारे में बात करते हुए युक्ति कहती हैं कि, मेरा बचपन बहुत ही खुशहाल गुजरा है मैं एक बहुत ही अच्छी फैमिली में बड़ी हुई हूं और मेरे पैरेंट्स हमेशा से ही बहुत पैसिनेट रहे हैं लाइफ में। पापा को बचपन से आर्किटेक्चर का बहुत शौक था। पुराने जमाने के आर्किटेक्चर के जो ड्राइंग बोर्ड्स होते थे जो रूलर्स होते थे जिनपर ड्राइंग बनती थी ब्लू कलर की मैने पूरा बचपन वो सब देखा है। मैं अक्सर स्कूल के बाद पापा के पास ऑफिस चली जाती थी। वहां मैं उनके साथ चीजों के बारे में समझती थी। जिससे मुझे पता चला कि घर कैसे बनते हैं, बाहर जाते थे अंडर कंट्रक्शन साइट्स पर कभी-कभी सीमेंट और गिट्टियों से खेलते थे। तो बचपन का ज्यादातर टाइम कंस्ट्रक्शन साइटों पर गुजरा है।
रियल एस्टेट बिजनेस में करियर बनाने की प्रेरणा कहाँ से मिली?
इस सवाल का जवाब देते हुए युक्ति ने कहा, ये मुझे लगा नही था कि मुझे इसमें करियर बनाना है मैं एडवरटाइजिंग में जाना चाहती थी मैने मार्केटिंग में ही मास्टर्स डिग्री भी की है। लेकिन मेरे पिता चाहते थे मैं वापिस घर आ जाऊं और मैं जब आई तो मुझे पता चला कि यहां पर मेरी काफी ज्यादा जरूरत है। एक नई सोच की जरूरत थी इस ऑर्गेनाइजेशन को और तब मुझे अहसास हुआ कि मेरे लिए वापिस आना कितना इंपॉर्टेंट है। मैं वापिस आई और इस कंपनी को चेंज किया, ट्रांसफॉर्म किया, मेरी आइडियोलॉजी के हिसाब से और ऐसे प्रोडक्ट्स बनाएं जो मुझसे प्रतिध्वनित थे न कि इसस कि बाजार आज क्या कर रहा है। तो ऐसे मुझे अहसास हुआ कि रियल एस्टेट या कोई भी दूसरा बिजनेस हो मार्केटिंग उसकी रीड़ की हड्डी होती है और अगर मेरे अंदर स्किल्स और नॉलेज है कि मैं किसी बिजनेस को आगे बढ़ा सकती हूं तो मैं अपने स्किल्स और नॉलेज को अपने लेगेसी ब्रांड पर लगाना चाहूंगी। जो मेरे पिता जी ने खुद क्रिएट किया है।
युक्ति अपने रियल एस्टेट में करियर बनाने को लेकर जो दूसरी बात शेयर करती हैं कुछ ऐसे कि,
वैसे देखा जाए तो एक बड़े अमाउंट की बात है लेकिन एक बहुत ही भावनात्मक खरीदारी होती है रियल एस्टेट। तो उसकी पूरी जो एक लाइफ सायकल होती है उसमे मै एन्जॉय करने लगी और इसलिए मुझे लगा मैं इस इंडस्ट्री के लिए ही बनी हूं। जब मैने इसमें काम करना शुरू किया। आप एक सपना देखते हो उसे कागज पर उतारते हो और 3,4 साल उस कागज की चीज को आप रियलिटी में उतारने की कोशिश करते हो और वो जब असलियत में दिखाई देती है। तो वो जो फीलिंग आती है वो शब्दों में बयां करना बहुत मुश्किल है कि हे भगवान ये सिर्फ एक ख्याल था और आज ये हमारे सामने धरती पर खड़ा है। वो जो पूरी लाइफ सायकल है उसकी यह एक बहुत ही रोमांचक यात्रा है जिसे मैं इस कंपनी में शामिल होने के बाद ही जान पाई।
पहला प्रोजेक्ट
हमने युक्ति से उनके पहले प्रोजेक्ट के बारे में बात जिसके बारे में युक्ति कहती हैं कि, जब मैं इस कंपनी को ज्वाइन कर रही थी तो गुलशन मिड सेगमेंट होम्स पर काम कर रहा था। उनका रेंज था 50 लाख से 1 करोड़ के बीच तक का, लेकिन लगभग 10 साल पहले गुलशन अग्रणी था लग्जरी प्रोडक्ट्स बनाने में और GC ग्रैंड इंदिरापुरम, इंदिरापुरम का शिखर जो आज भी प्राइज में सबसे ज्यादा हाईएस्ट है। जब मैं US से वापिस आई और मैंने स्टार्ट किया कंपनी में इंटरेस्ट लेना तो मुझे पता चला कि जो मेरे पिता को करना पसंद था उन्हें खुशी देता था वो हम कर ही नही रहे हैं। मेरे पिता जो बड़े स्पेस और लग्जरी स्पेस पसंद था। लेकिन वो भी मार्केट की भेड़ चाल में चल पड़े थे और तब मैंने मार्केट रिसर्च की यह जानने के लिए कि इस मार्केट को किस चीज की ज्यादा जरूरत है। वो नीस क्या है जिसको गुलशन पकड़ सकता है और अपनी वैल्यू बना सकता है।
बात को आगे बढ़ाते हुए युक्ति कहती हैं कि, मैं एक और बात यहां पर बताना चाहूंगी कि गुलशन डायनेस्टी से पहले 25 साल हो जाने के बाद भी नोएडा के ज्यादातर लोग गुलशन के बारे में नहीं जानते थे। तो मेरा गोल ये था कि गुलशन का नाम पूरी दुनिया को कैसे बताया जाए। ज़ाहिर तौर से एक अच्छा प्रोडक्ट्स बनाकर और एक अच्छा प्रोडक्ट को मार्केट को चाहिए भी तो मेरी रिसर्च में निकलकर आया कि लग्जरी आज के लोगों की जरूरत है। बहुत लोग लग्जरी बनाने की कोशिश कर रहे हैं पर डिलीवर किसी ने भी नही किया। मैं वो अवसर लेना चाहती थी और एक बेहतरीन प्रोडक्ट बनाना चाहती थी।
मैंने अपना आइडिया शेयर किया और हमारी पूरी टीम लग गई इसमें मेहनत करने में और साथ में अपने बॉसेज को कन्वेंस करना इतना आसान नही था। बहुत सारे हर्डल को पार किया एक कठिन यात्रा रही। एक बार जब मेरे पिता इसके लिए मान गए। इसके बाद से हमने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। हमने अपना पूरा जी जान लगाकर एक प्रोडक्ट बनाया। गुलशन सर ने अपना 30 साल का एक्सपीरियंस उस प्रोडक्ट में लगा दिया और मैने अपने नए विचार और आइडियाज लगा दिए और आज हम देखते हैं कि यह टॉप प्रोडक्ट है न सिर्फ नोएडा में बल्कि पूरे उत्तर भारत में। तो गुलशन डायनेस्टी यह मेरे दिमाग की उपज है यह मेरे दिल के बहुत करीब है (Gulshan Dynasty Is My Brain Child It Is Very Very Close To My Heart) और अब जो सपना हमने 2020 में देखा था वो कागज पर था आज वो बिल्डिंग तैयार खड़ी है हमारे सामने और ये सच कहूं तो एक बहुत बड़ी अचीवमेंट है जो मैने महसूस की है अपने जीवन में।
पिता-पुत्री और गर्व का अनुभव
युक्ति ने इस पर बात करते हुए कहा कि, मैं और मेरे पिता बचपन से बहुत क्लोज फ्रेंड्स हैं और मैं बहुत खुशी से और बहुत गर्व से सबसे कहती हूं वो मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। जिनके सामने मैं कोई भी बात कर सकती हूं। वो भी मुझसे कोई भी बात कर सकते हैं। हमारे बीच में पिता और बेटी के रिश्ते का बैरियर नही है। इसलिए हम दोनों के लिए साथ में काम करना बहुत ही कंफर्टेबल हो जाता है। क्योंकि वो भी मेरी बात सुनते हैं जितनी मैं उनकी सुनती हूं। अगर हम बात करें कि गर्व का अनुभव कब हुआ तो जब हमने गुलशन डायनेस्टी स्टार्ट किया था। तो उनको बहुत डाउट था कि क्या ये मार्केट रेडी है इतने महंगे प्रोडक्ट के लिए इतने बड़े साइज प्रोडक्ट के लिए तो गुलशन डायनेस्टी के लॉन्च के एक महीने बाद में कोविड का पहला लॉकडाउन आ गया था। तो बहुत बेचैनी थी हमारी लाइफ में हमें लगने लगा कि हम बहुत मुश्किल में पहुंच जाएंगे अब अगर हमारा प्रोडक्ट फेल हो गया। क्योंकि कोविड में कोई भी घर से बाहर निकल कर इतनी महंगी शॉपिंग नही कर रहा था।
लेकिन कहते हैं ना डेस्टिनी में जो होता है वो तो हो के ही रहता है। जैसे ही कोविड का पहला लॉकडॉन खुला प्रॉपर्टी रेट बहुत हाई हो गए और गुलशन होम्स के इतिहास में पहली बार हमने सिर्फ एक महीने के अंदर 200 करोड़ की सेल की थी। जो हमारे लिए बहुत बड़ी थी और हमें अहसास हुआ कि हमारे प्रोडक्ट में वास्तविक क्षमता है। तो जो गर्व का अहसास था कि जिस चीज पर हमने इतने टाइम काम किया है उसकी मार्केट प्रशंसा करना कर रही है और स्वीकार कर रही है। और मेरे पिता को तब गर्व का अहसास हुआ कि ये मेरी बेटी का आइडिया था। वो हमने बहुत बार एक साथ बैठ कर शेयर किया है पूरी दुनिया के सामने, अपने कमचारियों के सामने, और अब ये कुछ ऐसी चीज है जो लगभग हम डेली एक्सपीरियंस करते हैं।
महिलाओं का आगे आना और चुनौतियों को समझना
जब हमने रियल एस्टेट को महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में पूछा तो युक्ति का जवाब कुछ ऐसा था:
मुझे लगता है 2024 में हम लोग ये बातें करते अच्छे नहीं लगते हैं। ऐसा कौन सा काम है दुनिया में जो महिलाएं नही कर सकती हैं। "मुझे लगता है औरतों की सबसे बड़ी दुश्मन औरतें हैं। अगर आप पुरुषों को सही शिक्षा देंगे तो महिलाएं सुरक्षित रहेंगी। इसी तरह अगर आप महिलाओं को बोलना सिखाएंगे, अगर आप महिलाओं को खुद के लिए खड़े होना सिखाएंगे और इस अवसर का लाभ उठाना सिखाएंगी कि वो इसकी हकदार हैं, उन्हें ये करना चाहिए तो कोई भी पुरुष या महिला इस बात से इनकार नहीं कर सकता है। तो अपनी आवाज उठाओ अवसर अपने आप निकल आएंगे।"
चुनौतियों को लेकर युक्ति कहती हैं कि, "हम अपने आप से ही डर कर बैठे रहते हैं कि अगर हमने इनसे ज्यादा पैसे मांग लिए तो हमें भी मिलेंगे, शायद अगर मैने कंस्ट्रक्शन कंपनी में जॉब अप्लाई की तो मुझे नही मिलेगी। शायद मिल भी गई तो मुझे ग्रोथ नही मिलेगी। ये सब हमारे खुद के डर हैं। दुनिया ऐसे नही चलती, दुनिया ऐसे चलती है कि जिसकी बात में दम है उसकी सुनो चाहे को लड़की हो चाहे लड़का हो।"
कैसे बढ़ाई जा सकती है रियल एस्टेट में महिलाओं की संख्या
महिलाओं की संख्या रियल एस्टेट में आज भी कम है जब हमने युक्ति से ये सवाल किया तो उन्होंने कहा, "मुझे लगता है इसके बारे में अवेयरनेस बढ़ाना जरूरी है। जब लोगों ने मुझे कम्पनी को लीड करते देखा जो बहुत पुरानी है और बहुत फेमस है तो जब मैं सामने आई और मैंने बोलना शुरू किया इसके बारे में तो लोगों को लगता है कि नहीं ये भी हो सकता है। जो अपने आप में प्रेरणादायक है मुझे लगता है। इसके साथ में मुझे ये लगता है कि एक अच्छी पालिसी जो है जो ऑफिस में बनाई जा सकती है कि किसी रोल के लिए आप एक वूमेन को ही काम पर रखेंगे ना कि मेन को। कोई भी चलेगा ऐसा नही करेंगे। थोड़ी सी पॉलिसी अगर कम्पनी कर ले तो हम एक बहुत बड़ा नंबर देख सकते हैं इसमें। लेकिन इंस्पायर करने के लिए हमारे जैसे लोगों को आगे आना पड़ेगा और बातें करनी पड़ेंगी दुनिया को अपनी कहानी बतानी पड़ेगी।
"हमें साथ में भारत की महिलाओं को ये विश्वास दिलाना पड़ेगा कि कोई ऐसा रोल नही है जो सिर्फ पुरुषों के लिए है महिलाओं के लिए नही है। जो पुरुष कर सकते हैं वो महिलाएं भी कर सकती हैं। तो आगे बढ़ो अपने अवसर को गले लगाओ और जीत जाओ।"
रियल एस्टेट में महिलाओं को क्यों करियर बनाना चाहिए
हमने महिलाओं के लिए रियल एस्टेट में महिलाओं के करियर बनाने के फायदों के बारे में जानने की कोशिश की जिसपर युक्ति का जवाब बहुत ही दिलचस्प था।
ये उनके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है क्योंकि जो ग्रोथ रियल एस्टेट कंपनी दे सकती है। वो शायद ही कोई बेसिक कॉपरेट जॉब दे सकती है। बाकी सेक्टर में इतना हाई मार्जिन नही होता और रियल एस्टेट में डिजाइनिंग और डिलीवरी में अधिक महिलाएं हो सकती हैं क्योंकि जैसे कहते हैं ना घर की जान एक औरत होती है। एक महिला जो घर बना भी सकती है और बिगाड़ती भी सकती है (A women that makes or breaks home)। तो आप सोचो अगर डिजाइन स्टेज पर एक महिला के विचार होते हैं तो वो घर कितना खूबसूरत बनता है। तो मुझे लगता है ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को आगे आना चाहिए इस लाइन में क्योंकि बहुत जल्दी आप इस इंडस्ट्री को देश की सबसे ज्यादा ग्रोथ करने वाली इंडस्ट्री के रूप में देखेंगे।
महिलाओं के लिए फाइनेंसियल इंडिपेंडेंस का महत्त्व
महिलाओं के लिए फाइनेंसियल इंडिपेंडेंस परर बात करते हुए युक्ति कहती हैं कि,"बहुत ज्यादा जरूरी है बहुत ही ज्यादा जरूरी है। क्योंकि जब तक फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट नही होंगी रीड़ की हड्डी नही होगी और जब तक रीड़ की हड्डी नही होगी तब तक जुबान से आवाज नही निकलेगी। फाइनेंशियल इंडिपेंडेस उस आत्म विश्वास को पाने की कुंजी है जिसकी इस देश की हर महिला को आवश्यकता है और जिसकी वह हकदार है। ताकि उनको किसी के आगे दो रूपये के लिए हाथ न फैलाना पड़े।