Teacher-Changemaker: सुनंदा ताई महाराष्ट्र के रूरल जीवन की चेंजमेकर

शीदपीपल के साथ बातचीत में, सुनंदा ताई पवार ने ग्रामीण महाराष्ट्र में जीवन बदलने की अपनी 20 साल की यात्रा और महिलाओं के अधिकारों, जल संरक्षण और स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ कम्युनिटीज पर उनकी पहल के इम्पैक्ट को दर्शाया।

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Mandie Panesar
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Teacher-Changemaker Reshaping Lives In Rural Maharashtra (Image Credit: SheThePeople)

Teacher-Changemaker Reshaping Lives In Rural Maharashtra: शीदपीपल के साथ बातचीत में, सुनंदा ताई पवार ने ग्रामीण महाराष्ट्र में जीवन बदलने की अपनी 20 साल की यात्रा और महिलाओं के अधिकारों, जल संरक्षण और स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ कम्युनिटीज पर उनकी पहल के इम्पैक्ट को दर्शाया।

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सुनंदा ताई महाराष्ट्र के रूरल जीवन की चेंजमेकर 

सुनंदा ताई पवार ने कम्युनिटीज की अपलिफ्टमेंट और औरतों की एम्पावरमेंट करने वाले इम्पैक्टफुल प्रोजेक्ट्स को शुरू करने में दो डिकेडस से ज़्यादा समय बिताया है। रूरल एरियाज में एक टीचर ट्रेनिंग अफसर के रूप में शुरुआत करने वाली पद्मश्री अप्पासाहेब पवार की गाइडेंस से उनके जीवन में एक असाधारण मोड़ आया। होस्टल्स के मैनेजमेंट से लेकर महिलाओं को एम्पोवर करने तक, सामाजिक परिवर्तन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनके जीवन का उद्देश्य बन गई।

Becoming A Catalyst For Change

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सुनंदा ताई पवार की यात्रा श्रीमती निर्मलताई पुरंदरे की मदद से गांवों में नर्सरी और प्राइमरी स्कूल्ज के लिए एक टीचर ट्रेनिंग अफसर के रूप में शुरू हुई। उनकी गति तब बदली जब उनके ससुर, पद्मश्री अप्पासाहेब पवार ने उन्हें हॉस्टल ऑपरेशन्स को मैनेज करने और लड़कियों की चिंताओं को दूर करने का काम सौंपा। इस ट्रांजीशन पर विचार करते हुए पवार साझा करती हैं, "मेरी यात्रा कोलैबोरेशन के साथ एक शिक्षक प्रशिक्षण अधिकारी के तौर पर शुरू हुई। अप्पासाहेब के निधन के बाद हमने वर्कशॉप्स और डिसकशंस के माध्यम से महिलाओं को एमपॉवर करने, आत्म-सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया।"

Inspiration Amidst Bias

वीमेन एम्पावरमेंट की चैंपियन के रूप में, सुनंदा ताई उन स्ट्रांग और पैशनेट ग्रामीण महिलाओं से प्रेरणा लेती हैं, जिनका सामना वे ग्रामीण जीवन में निहित जेंडर बायस से जूझते हुए करती हैं।

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इस पर विचार करते हुए वे कहती हैं, समाज तय करता है कि महिलाओं को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। 99% मामलों में, माँ और परिवार की अन्य महिलाएँ ही बेटी को बताती हैं कि क्या करना है और क्या नहीं करना। समाज द्वारा उन पर लगाई गई रेस्ट्रिक्शन्स के कारण महिलाएं अपनी स्ट्रेंथ और पैशन का 100% उपयोग नहीं कर पातीं। वे हमेशा यही सोचती हैं कि अगर मैं समाज द्वारा निर्धारित इन सभी नियमों को तोड़ दूं तो समाज मेरे परिवार, मेरी मां के बारे में क्या कहेगा। 

Water Conservation: A Legacy In Progress

सुनंदा ताई की लिगेसी वाटर कंज़र्वेशन प्रोजेक्ट्स से जुड़ी हुई है। वे इन प्रोजेक्ट्स में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करती हैं क्योंकि ग्रामीणों को आत्मनिर्भरता का महत्व समझने की जरूरत है। "मेरा सबसे सफल वाटर कंज़र्वेशन काम ग्रामीणों और हमारे इंस्टीटूशन के साथ समान साझेदारी के कारण रहा है। कार्य करना बेहद आसान है और इसे बनाए रखना मुश्किल।"

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वे लोकल पॉलिटिक्स और ईमानदार पहल के खिलाफ काम करने वाले ग्रुप्स को स्वीकार करती हैं और गांव विकास के लिए कलेक्टिव एफ्फोर्ट्स की ज़रूरत पर जोर देती हैं। वे ग्रामीणों द्वारा खुद जल संरक्षण परियोजनाओं को बनाए रखने की ज़रूरत समझने पर जोर देती हैं - "लोगों को समझना चाहिए कि बेहतरी के लिए एक साथ आना ज़रूरी है, एक छत्ते के रूप में सोचें और अपने या ग्रुप के बजाय गाँव के विकास के बारे में सोचें।"

Celebrating Women Entrepreneurs

भीमथडी जात्रा, सुनंदा ताई द्वारा शुरू किया गया एक सांस्कृतिक कार्निवल, वीमेन एंट्रेप्रेन्योर्स के लिए एक महत्वपूर्ण मंच रहा है। ट्रेनड महिला सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स के लिए बाजार उपलब्ध कराने की ज़रूरत से शुरू हुई उनकी पहल, महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने की पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुई है।

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Inspiring The Next Generation

स्टूडेंट्स को निपुण व्यक्तियों से इनसाइट्स प्रदान करने की सुनंदा ताई की पहल अर्बन और रूरल एजुकेशनल ओपोर्चुनिटीस के बीच भारी असमानता को संबोधित करती है। "शहरी भारत की तुलना में, ग्रामीण भारत में, ख़ास कर लड़कियों को उन सभी बेसिक फसिलिटीज़ से वंचित किया जाता है, जिन्हें शहरी भारत की बहुत सी लड़कियाँ हल्के में लेती हैं। इन ग्रामीण लड़कियों को सफल लोगों से मिलने और उनकी कहानियाँ सुनने का मौका नहीं मिलता," वे कहती हैं। 

Tackling Menstrual Hygiene Challenges

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सुनंदा ताई बताती हैं, "ग्रामीण भारत में महिलाएं और लड़कियां अभी भी सैनिटरी पैड के बजाय कपड़ा यूज़ करती हैं।" इसलिए उन्होंने लो-कॉस्ट और एक-फ्रेंडली सैनिटरी पैड 'सोबती' लॉन्च किया। "इस परियोजना की मुख्य चुनौती उन्हें पैड का उपयोग करने में सहज बनाना और सैनिटरी पैड के प्राइस पर उन्हें कॉंफिडेंट करना था।"

स्वच्छता को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित बीमारियों को रोकने में इसका प्रभाव महत्वपूर्ण रहा है।

Empowering Village Girls Through Police Training

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पवार कहती हैं, ''अभी भी ग्रामीण भारत में माता-पिता 16-17 साल की उम्र में लड़कियों की शादी कर देते हैं और उन्हें 12वीं कक्षा के बाद की शिक्षा नहीं देते।'' लड़कियों की जल्दी शादी करने की सामाजिक प्रवृत्ति और उनके जीवन में फिनांशियल प्रेशर को देखते हुए फ्री ट्रेनिंग, स्वास्थ्य और डाइट सपोर्ट प्रोवाइड करते हैं, जिससे 800 लड़कियां महाराष्ट्र पुलिस फाॅर्स में काम कर रही हैं।

Healthcare Initiatives: A Lifeline for Rural Women

सुनंदा ताई के एफ्फोर्ट्स स्वास्थ्य देखभाल तक फैले हुए हैं जिसमें मुफ्त सर्जरी, कैंसर उपचार और हेल्थ कैम्प्स शामिल हैं। वे बताती हैं, "2010 से हेल्थ कैम्प्स का हजारों लोगों को फायदा हुआ है। प्रिवेंटिव केयर, सर्जरी और अवेयरनेस प्रोग्राम्स पर हमारा ध्यान रूरल एरियाज में ओवरआल वेल-बीइंग को बढ़ाता है।"

20 Years Of Learning And Ongoing Visions

अपने 20 वर्षों के डेडिकेटेड वर्क को दर्शाते हुए, सुनंदा ताई ग्रामीण महाराष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करती हैं। वे शिक्षा की कमी, पुअर फिनांशियल कैपबिलिटी और किसानों पर जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव पर प्रकाश डालती हैं।

किसानों को एफेक्ट करने वाले क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियों के बावजूद वे ग्रामीण महाराष्ट्र की वृद्धि और विकास में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। "मैं इन सभी चुनौतियों को हर दिन अपने सामने देखती हूं लेकिन रुकने और हार स्वीकार करने के बजाय मैं अपने क्षेत्र में काम करना जारी रखूंगी और ग्रामीण महाराष्ट्र, जो पूरे राज्य का भोजन का कटोरा है, के लिए जितना संभव हो उतना योगदान दूंगी।"

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