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क्यों आज भी समाज पीरियड्स को समझने में नाकाम हो जाता है?

आज भी पीरियड्स के बारे में अफवाहें भर भर के लोगों के दिमाग में है। यह माहौल तब तक सही नहीं होगा जब तक इसके बारे में खुलकर बातचीत नहीं करेंगे और इसे नॉर्मलाइज नहीं किया जाएगा।

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Rajveer Kaur
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Why society Fails to Understand the Menstruation (Image Credit: Pinterest)

Why society Fails to Understand the Menstruation: हमारे समाज में पीरियड्स आज भी एक टेबू टॉपिक है जिसके ऊपर बात नहीं की जाती। जब हम किसी भी ग्रुप में पीरियड्स की बात करना शुरू करते हैं, लोग अक्सर ही शर्मा जाते हैं या इस बात को अवॉयड कर देते हैं। इसके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं है। आज भी पीरियड्स के बारे में अफवाहें भर-भर के लोगों के दिमाग में है। यह माहौल तब तक सही नहीं होगा जब तक इसके बारे में खुलकर बातचीत नहीं करेंगे और इसे नॉर्मलाइज नहीं किया जाएगा।

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क्यों आज भी समाज पीरियड्स को समझने में नाकाम हो जाता है?

माहवारी से नफरत मत करो

पीरियड्स कोई बीमारी या श्राप नहीं है। यह एक नॉर्मल प्रक्रिया है जो महिलाओं को हर महीने होती है। यह प्रक्रिया महिलाओं को पूरी उम्र नहीं होती। एक उम्र के बाद महिलाओं को माहवारी आनी बंद हो जाती है जिसे menopause कहा जाता है। हैरानी की बात यह है कि महिलाएं खुद भी पीरियड्स के बारे में पूरी तरह अवेयर नहीं होती। उनके बीच में इस टॉपिक को लेकर बहुत सारी गलतफहमियां है और खुद ही इसके बारे में बात करने से डर जाती है।

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जब किसी  महिला को पहली बार पीरियड आते हैं तब मां के द्वारा पहले कोई नहीं दी जाती। पीरियड आने के बाद घर और बाहर कैसे इसे छुपाना है उसके बारे में जरूर बताया जाता है। इसके उल्ट पीरियड से कैसे निपटना है, क्या प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने हैं, इसके बारे में बिल्कुल भी नहीं बताया जाता। 

Periods leave

कुछ दिनों से पीरियड अवकाश का मुद्दा फिर से शुरू हो गया। इस पर अभी सरकार को पुनर्विचार करने की जरूरत है क्योंकि महिलाओं को पीरियड्स के दिनों में छुट्टी की जरूरत है। कई बार पीरियड के लक्षण इतने ज्यादा बुरे हो जाते हैं कि महिला दिन के काम भी नहीं कर सकती। अगर इसके ऊपर काम का प्रेशर भी पड़ेगा तो यह महिला की मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा।

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हर महिला का महावारी का अनुभव बिल्कुल अलग होता है। इन दिनों में स्वभाव के अंदर भी बहुत सारे बदलाव आते हैं जिस कारण कई बार  काम करने को बिल्कुल भी मन नहीं करता या काम की तरफ ध्यान भी नहीं लगता। कई वजहें है जिसके कारण सरकार को पीरियड्स लीव के उपर सोचने की जरूरत है। 

खुलकर बात

हम सबको भी पीरियड्स के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। इसके ऊपर से जब तक शर्म का पर्दा नहीं उठेगा तब तक लोग इसे नॉर्मलाइज नहीं करेंगे। लड़कियों के साथ-साथ लड़कों को भी  एजुकेटेड करना चाहिए क्योंकि सही एजुकेशन ना मिलने के कारण वे पीरियड्स के दिनों की लड़कियां की स्थिति को नहीं समझ पाते। इस कारण महिलाएं भी लड़को से बात करने में शर्म आती है। 

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