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Handle Criticism : जानें हम कैसे आलोचना को संभाल सकते हैं

blogs | issues: इस युग में एक नियम सालों से चला आ रहा है और वह नियम यह है कि जब भी आप कोई भी अलग या नए काम करते हैं तो पहले लोग आप पर हंसते हैं और फिर आपका विरोध करना शुरू कर देते हैं।

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Ayushi
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How we can handle Criticism

How we can handle Criticism: इस युग में एक नियम सालों से चला आ रहा है और वह नियम यह है कि जब भी आप कोई भी अलग या नए काम करते हैं तो पहले लोग आप पर हंसते हैं और फिर आपका विरोध करना शुरू कर देते हैं। कुछ संयमी व्यक्ति आलोचना का नकारात्मक प्रभाव अपने ऊपर नहीं पड़ने देते हैं। वह देखते और सोचते है कि उनकी आलोचना क्यों हुई। तत्पश्चात वह अपनी गलती को सुधारते हैं और आलोचक को अपना सबसे बड़ा हितैषी मानते है।

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आलोचना को कभी खुद पर हावी न होने दें बल्कि उसे चुनौती मानकर आगे बढ़ें, साथ ही अपना आत्मनिरीक्षण करें और अपनी गलतियों को सुधारें। तब आप पाएंगे कि आपने जो लक्ष्य सोच रखा था उसे आपने बड़ी तेजी से हासिल किया हैं। अनुचित आलोचना एक तरह से छिपी हुई प्रशंसा है। इसीलिए कभी भी आलोचना से घबराएं नहीं बल्कि मजबूती से अपना सर्वश्रेष्ठ दें।

आलोचना को कैसे संभाल सकते हैं

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  • गौर करें आलोचना के रचनात्मक पक्ष पर  : कई बार क्रिटिसिज्म अपने आप में रचनात्मक सुधार ले आता है। इसलिए अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना बहुत आवश्यक होता है। गुस्से में की गई गलतियां आपको पछतावे के अलावा कुछ नहीं देंगी। क्रिटिसिज्म के कारण अगर आपमें रचनात्मक सुधार होने लगा है और आपका आउटपुट पहले के मुताबिक बढ़िया आने लगा है, तो उस व्यक्ति को धन्यवाद देना न भूलें जिन्होंने आपकी आलोचना की थी। 
  • कमजोर पहलुओं पर काम करें क्रिटिसिज्म : कभी-भी दूसरों को अपने आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का मौका और अनुमति न दें। आप आराम से सामने वाले व्यक्ति से स्पष्टीकरण मांगें और उसे ध्यान पूर्वक समझें। यदि गलत इरादे से आपकी टिप्पणी की गई होगी, तो उसका अस्तित्व बैलून की तरह हवा में उड़ जाएगा। आप में कुछ कमजोरियां हैं, तो उन पर काम करना शुरू करें। ऐसा करने से आप प्रोफेशनली और पर्सनली ग्रो कर पाएंगी। सामने वाले से गलत और सही के बीच अंतर भी स्पष्ट करने को कहें और उसे समझें।
  • अपना पक्ष जरूर रखें : आलोचक को अपना पक्ष जरूर बताएं। लोगों के साथ शांति बनाए रखना बेहद जरूरी होता है। आप अपना पक्ष यदि तुरंत रखने में सक्षम नहीं हो रहें हैं, तो कुछ समय बाद ऐसा करने के बारे में जरूर सोचें।
  • खुद से जांचें कि गलती कहां हुई : कोई भी मनुष्य परफेक्ट नहीं होता और गलतियां सबसे होती हैं। हर व्यक्ति को उन गलतियों से सीख कर खुद को बेहतर बनाना चाहिए। कहा जाता है कि असफलता ही हर व्यक्ति की सबसे बड़ी शिक्षक होती है।
  • भूल जाएं बेमतलब आलोचनाओं को : अगर कोई बेमतलब आपकी आलोचना कर रहा हो तो उसे भूलने में ही आपकी भलाई है। बेमतलब की आलोचनाओं को अपने व्यक्तित्व पर हावी न होने दें। खुद पर भरोसा रखना बेहद जरूरी होता है।
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