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सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के साथ Gen Z (1997-2012 के बीच जन्मी पीढ़ी) के ध्यान अवधि को लेकर कई सवाल उठते हैं। क्या वे अब सिर्फ 30-60 सेकंड की रील्स, शॉर्ट वीडियो और स्नैपचैट स्टोरीज़ तक सीमित रह गए हैं? क्या लंबी फॉर्मेट की सामग्री उनकी रुचि खो चुकी है या फिर यह सिर्फ एक नई मीडिया खपत शैली है?
क्या Gen Z का ध्यान केवल 30-60 सेकंड की रील्स तक ही सीमित रह गया है?
Gen Z और शॉर्ट फॉर्म कंटेंट का आकर्षण
- इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन की आदत – Gen Z डिजिटल युग में पली-बढ़ी है जहां किसी भी जानकारी या मनोरंजन को पाने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता। शॉर्ट वीडियो कंटेंट तेजी से डोपामिन रिलीज करता है जिससे बार-बार स्क्रॉल करने की लत लग सकती है।
- एल्गोरिदम का प्रभाव – फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब शॉर्ट्स जैसे प्लेटफॉर्म्स ऐसे एल्गोरिदम पर काम करते हैं जो हर यूज़र को उसकी पसंद के अनुसार लगातार नया कंटेंट दिखाते हैं। इससे Gen Z का ध्यान बार-बार बदलता रहता है।
- माइक्रो-लर्निंग का ट्रेंड – ये पीढ़ी सिर्फ एंटरटेनमेंट ही नहीं बल्कि शॉर्ट-फॉर्म लर्निंग को भी पसंद करती है। वे 60-सेकंड की रील्स में हेल्थ टिप्स, करियर गाइडेंस, फैक्ट्स और अन्य शैक्षिक जानकारी भी देखना पसंद करते हैं।
क्या यह ध्यान क्षमता को कम कर रहा है?
कुछ रिसर्च बताती हैं कि निरंतर शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट देखने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। जब मस्तिष्क हर 30 सेकंड में नई जानकारी प्रोसेस करता है तो उसे लंबी और गहरी सोच की आदत डालने में दिक्कत हो सकती है।
लेकिन दूसरी ओर यह कहना कि Gen Z केवल शॉर्ट वीडियो ही देखती है पूरी तरह सही नहीं होगा।
Gen Z अभी भी लंबी फॉर्म कंटेंट देखती है
- पॉडकास्ट और डिटेल्ड वीडियो – Spotify और YouTube पर यह पीढ़ी बड़ी संख्या में पॉडकास्ट और डिटेल्ड वीडियो कंटेंट देख रही है जिससे पता चलता है कि वे लंबी अवधि के कंटेंट में भी रुचि रखते हैं।
- वेब सीरीज़ और डॉक्यूमेंट्रीज़ – नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम और यूट्यूब पर लंबी वेब सीरीज़ और डॉक्यूमेंट्रीज़ भी इस पीढ़ी के बीच पॉपुलर हैं। वे एक बार में पूरी सीरीज़ बिंज-वॉच करने के लिए घंटों दे सकते हैं।
- ई-बुक्स और ब्लॉग्स – कई युवा ऑनलाइन ब्लॉग्स, रिसर्च पेपर्स और ई-बुक्स पढ़ने में रुचि रखते हैं खासकर जब विषय उनकी रुचि का हो।
तो क्या वाकई Gen Z का ध्यान सिर्फ 30-60 सेकंड तक ही सीमित है?
Gen Z की ध्यान अवधि कम हुई है लेकिन यह पूरी तरह से छोटी नहीं हुई है। वे जानकारी को तेजी से प्रोसेस करने के आदी हो गए हैं लेकिन जब विषय दिलचस्प होता है तो वे लंबी अवधि तक भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
Gen Z को सिर्फ शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट तक सीमित मानना गलत होगा। वे माइक्रो-कंटेंट को पसंद जरूर करते हैं लेकिन जब कोई चीज़ गहराई से समझनी हो तो वे लंबी फॉर्मेट की सामग्री भी देख सकते हैं। उनका कंटेंट कंजम्पशन पैटर्न बदला है लेकिन रुचि और सीखने की प्रवृत्ति अभी भी बरकरार है।