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Emotional Numbness: जीवन में एक्साइटमेंट नहीं है? कहीं इमोशनल नंबनेस तो नहीं

इमोशनल नंबनेस (Emotional numbness) एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति को अपने भावनाओं का कोई एहसास नहीं होता, या फिर वे अपने भावनाओं को नेचुरल तरीके से सामने रखने में मुश्किल महसूस करता हैं।

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Kavya Gupta
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Emotional Numbness (freepik)

(Image Source: freepik)

What Is Emotional Numbness and its symptoms: हर व्यक्ति अलग होता है और हर किसी के लिए अपनी भावनाओं को दिखाने के अलग- अलग तरीके हो सकते है जैसे कोई अपनी मन को बात बहुत ही आसानी से बोल देता है तो वही दूसरी तरफ कोई इसमें झिझकता है। लेकिन कई बारी यह न बोलने की वजह इमोशनल नंबनेस जैसी स्तिथि भी हो सकती है। इमोशनल नंबनेस (Emotional numbness) एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति को अपने भावनाओं का कोई एहसास नहीं होता, या फिर वे अपने भावनाओं को नेचुरल तरीके से सामने रखने में मुश्किल महसूस करता हैं। यह अक्सर तनाव, डिप्रेशन या बहुत ज्यादा तनाव के बाद होता है, लेकिन यह कई कारणों से यह हो सकता है। यह शारीरिक, मानसिक या सामाजिक दिक्कतों का परिणाम हो सकता है। इसे सुलझाने के लिए, ध्यान और साथ ही सहायता होती है।

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जीवन में एक्साइटमेंट नहीं है कही इमोशनल नंबनेस तो नहीं 

1. भावनात्मक संवादों की कमी

इस स्तिथि में व्यक्ति अपने भावों को किसी के साथ बताने में कठिनाई महसूस करता है और अपने भावों को सामने लाने से बचता है। इमोशनल नंबनेस की स्थिति में व्यक्ति को अपने मन की बात को बताने की कमी महसूस हो सकती है। वे अपने ही लोगो से बात करने में कठिनाई महसूस करते हैं और अपने उनसे बचते हैं।

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2. जीवन में एक्साइटमेंट की कमी

 इमोशनल नंबनेस की स्थिति में व्यक्ति अपने जीवन की बातों के प्रति रुचि नहीं रख पाता है। वे आमतौर पर अपनी पसंदीदा एक्टिविटीज या रुचियों में रुचि नहीं रखते हैं और उन्हें उन बातों में रुचि नहीं होती जो पहले उन्हें आनंद और संतोष दिलाती थीं। इसके बजाय, वे अक्सर उदास, उदास, या उत्साहहीन हो सकते हैं जब वे अपने जीवन की बातों को सोचते हैं।

3. उदासी रहने की प्रवृत्ति

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ऐसे लोग हर अवस्था में दुखी व उदास रहते है। उनकी अपने जीवन में रुचि कम हो सकती है और वे अक्सर अपने ख्यालों में ही खोये रहते है और ऐसी बातों या भावनाओ के बारें में सोचते है जिनसे उन्हें दुख पहुंचा हो। ऐसे लोगो में मोटिवेशन की कमी हो सकती है और वे अपने दिनचर्या को पूरा करने में नाकाम  महसूस कर सकते हैं। 

4. पत्थर दिल हो जाना

व्यक्ति अपने साथ- साथ दूसरों की भावनाओ का सम्मान करना भी भूल जाता है और पत्थर दिल हो जाता है। ऐसी स्तिथि में ऐसे लोग दूसरो की खुशी और दुख से कोई कनेक्शन फील नहीं करते। उन्हे दुनियादारी से अलग होकर ही अपने दुखो के साथ जीना पसंद आने लगता है।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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