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Why does a woman's body always become the topic of everyone's conversation?: आज भी हमारा समाज औरतों के शरीर को लेकर बात करने से पीछे नहीं हटता। उनकी लंबाई हो, रंग हो, वजन हो या कपड़े, हर चीज़ पर लोग अपनी राय देने लगते हैं। सोचने वाली बात ये है कि हर बार औरत का शरीर ही क्यों चर्चा का विषय बन जाता है? क्यों समाज और मीडिया हमेशा औरत की पहचान सिर्फ उसके शरीर से जोड़कर देखता?
Body Talk: क्यों औरतों का शरीर सबकी बातचीत का टॉपिक बना रहता है?
टीवी, फिल्में और सोशल मीडिया की भूमिका
टीवी, फिल्में और सोशल मीडिया ने ये सोच और बढ़ा दी है। fairness cream क्रीम के विज्ञापनों में औरतों के रंग को गलत तरह से दिखाया जाता है। फिल्मों में हीरोइन के कपड़े और शरीर पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है, चाहे फिल्म की कहानी कुछ भी हो। सोशल मीडिया पर भी औरतों की तस्वीरों को लेकर लोग खूब बातें करते हैं, "कितना मेकअप किया है", "मोटी हो गई है", "ड्रेस बहुत छोटी है" ऐसे कमेंट अब आम हो गए हैं।
शरीर को लेकर बचपन से ही सोच बनने लगती है
बचपन से ही औरत के शरीर को लेकर सोच बनने लगती है। छोटी बच्चियों को "गोरी", "पतली", "खूबसूरत" कहकर पहचाना जाता है, जबकि लड़कों को उनकी ताकत या टैलेंट से आंका जाता है। यही सोच आगे चलकर भी बनी रहती है और औरतों पर हमेशा के लिए अच्छा दिखने का दबाव बन जाता है।
आत्मविश्वास और मानसिक आज़ादी पर भी प्रभाव पड़ता है
जब औरतों के शरीर को लेकर इतनी बातें होती हैं, तो इसका असर उनके सोचने के तरीके और आत्मविश्वास पर भी पड़ता है। काफी औरतें अपने शरीर को लेकर शर्म महसूस करने लगती हैं, और हर वक्त सोचती हैं कि लोग और समाज उन्हें कैसे देखता हैं। इससे उनकी आज़ादी, सोच और दिमागी सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।
समाजिक सोच में बदलाव जरूरी है
अब औरतों के शरीर को लेकर बातें करना बंद करना ज़रूरी हो गया है। हर इंसान की पहचान उसके सोच और काम से होनी चाहिए, ना कि उसके शरीर से। जब समाज ये बात समझेगा, तभी असली बराबरी और इज़्जत की शुरुआत होगी।