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Domestic Violence (Image Credit: Forbes India)
Society Normalize Domestic Violence: हमारे समाज में औरतों और पुरुषों के लिए अलग-अलग मापदंड हैं जैसे अगर कोई पुरुष महिला को मारे तो इसे नार्मल माना जाता हैl शादी से पहले अभी भी कई लड़कियों को यही शिक्षा दी जाती है कि अगर पति थोड़ी बहुत मारपीट कर भी ले तो यह जायज़ है। महिला को अपना सुसराल छोड़कर वापस मायके नहीं आना चाहिए। यह भी नहीं कह सकते कि ऐसी शिक्षा सिर्फ कम पढ़ी-लिखी या अनपढ़ महिलाओं को दी जाती है या फिर ऐसी घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में ही होती हैं। नहीं, ऐसी घटनाएँ बड़े शहरों में और पढ़े-लिखे लोगों के बीच भी होती है जहाँ महिलाएं आर्थिक रूप से आजाद भी होती हैं फिर भी वे हैरासमेंट, घरेलू हिंसा और सेक्सुअल अब्यूज का शिकार होतीं हैं।
पति का पत्नी को मारना क्यों समाज में जायज़ है?
आंकड़े क्या कहते हैं?
2019 से 2021 की NFHS 5 रिपोर्ट अनुसार 32% विवाहित महिलाएं (जिनकी उम्र 18-49 वर्ष) पति से शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा का शिकार होती हैं। पति-पत्नी की हिंसा में सबसे आम शारीरिक हिंसा (28%) है, इसके बाद भावनात्मक हिंसा (14%) और यौन हिंसा आती है।
NFHS 5 में यह भी बताया गया है कि कैसे पार्टनर के द्वारा हिंसा की जाती है। इसमें सबसे ज्यादा 25 प्रतिशटी को थप्पड़ मारा जाता है। उसके बाद 12 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उन्हें धक्का दिया, हिलाया या उन पर कुछ फेंका गया। 10 प्रतिशत ने बताया उनका हाथ मरोड़ा गया या बाल खींचे गए और 8 प्रतिशत ने मुक्का मारे जाने की सूचना दी। यौन हिंसा के मामले में महिलाओं ने सबसे ज़्यादा यह बताया कि इंटरकोर्स के लिए पति ने शारीरिक बल का प्रयोग किया जबकि पत्नी का मन नहीं था।
महिलाओं को 'नहीं' कहने की जरूरत
जब पति के द्वारा पहली बार ही पत्नी पर हाथ या कोई हिंसा का कार्य किया जाता है तब ही महिला को उस टॉक्सिक माहौल से बाहर निकल जाना चाहिए और उसे पुलिस में शिकायत करनी चाहिए। अगर उसे लगता है कि ऐसा उसके साथ दोबारा हो सकता है तब उसे डिवोर्स ले लेना चाहिए। बार-बार अपने पति की मारपीट को सहन कर उसके हौसले को बिलकुल भी बढ़ावा नहीं देना चाहिए। इससे तकलीफ आप ही को होगी क्योंकि उन्हें इस बात का एहसास हो जाएगा कि आप उनके खिलाफ कभी नहीं बोलेंगी।