Overthinking In Teenagers: बच्चों में ओवरथिंकिंग की समस्या इतनी आम क्यों होती जा रही है

Overthinking in Teenagers: आज कल के बच्चों में चिंता और डिप्रेशन की समस्याएं बढ़ती जा रही है। टीनएजर्स चिंता करते है कि उनका करियर कैसे बनेगा क्या वो आगे बढ़ पाएंगे खासकर जब सोशल मीडिया का दौर हो जहां हर कोई परफेक्ट बनने की होड में लगा हुआ है।

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Tamnna Vats
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Photograph: (Pinterest)

Why is the problem of overthinking becoming so common among children?: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां लोग करियर, ग्रोथ, सक्सेस, लग्जरी, और उम्मीदों के पीछे भाग रहे है। वहां तीन एज के बच्चों के लिए एक साधारण सा समय रह ही नहीं गया है। हर तरफ कंपीटिशन, भाग दौड़, करियर बनाना बच्चे इन सब में ही उलझ कर रह गए है। यही कारण है, की आज कल के बच्चों में चिंता और डिप्रेशन की समस्याएं बढ़ती जा रही है। टीनएजर्स चिंता करते है कि उनका करियर कैसे बनेगा क्या वो आगे बढ़ पाएंगे खासकर जब सोशल मीडिया का दौर हो जहां हर कोई परफेक्ट बनने की होड में लगा हुआ है। 

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Overthinking in Teenagers: बच्चों में ओवरथिंकिंग की समस्या इतनी आम क्यों होती जा रही है

सोशल मीडिया और पहचान की तलाश 

सोशल मीडिया जहां लोग अपने एक्सपीरियंस शेयर करते है कि उन्होंने क्या पाया है, और आगे बढ़ने के लिए क्या क्या किया है। हर तरफ एक परफेक्ट लाइफस्टाइल, करियर और इंसान का चित्रण कुछ ऐसे दिखाया जाता है कि आप मजबूर हो जाते है खुद को दूसरे से कंपेयर करने पर, और ये सोचने पर की ऐसी लाइफ मेरी क्यों नहीं है? क्या मैं ये डिजर्व नहीं करता? मुझे परफेक्ट लाइफस्टाइल के लिए क्या करना चाहिए? टीनएजर्स सनकी सवालों में उलझ कर रह जाते है।

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समाज किस तरह से बच्चों के मन पर असर करता है

समाज का बच्चों के मन पर गहरा असर पड़ता है। बच्चे अपने आसपास के लोगों, परिवार, स्कूल और सामाजिक माहौल से बहुत कुछ सीखते हैं। अगर समाज में सकारात्मक और सहयोग का वातावरण हो, तो बच्चे आत्मविश्वास और अच्छे संस्कारों के साथ बड़े होते हैं। वहीं, नकारात्मक माहौल, जैसे झगड़े, भेदभाव या तनाव, बच्चों के मन में डर, चिंता या गलत सोच पैदा कर सकता है। समाज में देखे गए व्यवहार और बातचीत बच्चों के विचारों और व्यक्तित्व को आकार देते हैं, इसलिए उन्हें अच्छा और सकारात्मक माहौल देना बहुत जरूरी है।

पढ़ाई और करियर बनाने का तनाव 

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पढ़ाई और करियर बनाने का तनाव आज बच्चों और युवाओं के लिए बड़ी चुनौती है। स्कूल, कॉलेज, समाज की अपेक्षाएँ और सफल करियर बनाने का दबाव बच्चों पर अक्सर रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और थकान हो सकती है। माता-पिता और शिक्षकों का साथ, समय प्रबंधन और सकारात्मक सोच इस तनाव को कम कर सकते हैं। बच्चों को मेहनत के साथ खुशी और संतुलन का महत्व समझाना भी जरूरी है।

भावनात्मक बदलाव और अकेलापन कैसे ओवरथिंकिंग को बढ़ाता है 

भावनात्मक बदलाव और अकेलापन ओवरथिंकिंग को काफी बड़ा देते है। चिंता, उदासी या तनाव के कारण बच्चे एक सी ही सोच में उलझ जाते है। और इससे अकेलापन अधिक महसूस होने लगता है। ऐसे में बच्चे किसी से बात नहीं कर पाते और अपने मन की बात खुद ही खुद से कर के, ओवरथिंकिंग करने लगते है। 

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आखिर इसका समाधान क्या है?

टीनएजर्स में ओवरथिंकिंग की समस्या आम है, ये सोचकर इस समस्या को नजरअंदाज करना सही नहीं है। माता-पिता और मेंटोर को बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए, उन्हें बच्चों के मन की बात जानने की कोशिश करनी चाहि। बच्चों को वैल्यूएबल महसूस करना चाहिए। स्कूलों में काउंसलिंग की सुविधा होनी चाहिए, ताकि बच्चे अपनी समस्या और मन की बात पर खुलकर बात कर सक सकें। साथ ही मेडिटेशन, योगा और सही नींद लेने से भी ओवरथिंकिंग की समस्या कम हो सकती है।

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