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Why the Silence of Society on the Loneliness of the Elderly?: हमारे समाज में बुजुर्गों को हमेशा इज़्ज़त दी जाती है। ऐसा माना जाता है, कि उन्होंने ज़िंदगी के कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और उनके पास बहुत अनुभव होता है। लेकिन आजकल यही बुजुर्ग अक्सर अकेले और अनदेखे रह जाते हैं। आसपास लोग होते हैं, फिर भी वे अंदर से बहुत अकेलापन महसूस करते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है, कि उनके इस अकेलेपन पर समाज कुछ नहीं कहता।
Old Age Loneliness: उम्रदराज़ लोगों का अकेलापन, समाज की चुप्पी क्यों?
बुजुर्गों के अकेलेपन को समाज नजरअंदाज करता है
अक्सर लोग बुजुर्गों के अकेलेपन को उनका अपना मामला समझकर ध्यान नहीं देते। कई बार जब कोई बुजुर्ग परेशान या उदास रहता है, तो लोग कहते हैं कि ये तो उम्र के साथ होता है। उनकी बातों को सही से नहीं सुना जाता। इसी वजह से बुजुर्ग अपने दिल की बात अंदर ही रख लेते हैं और चुपचाप दुख झेलते रहते हैं।
डिजिटल समय बुजुर्गों की परेशानी को और बढ़ाता है
आज की दुनिया पूरी तरह डिजिटल हो गई है। बच्चे मोबाइल और सोशल मीडिया में बिजी रहते हैं और ज़्यादातर काम भी अब ऑनलाइन होता है। ऐसे में बुजुर्गों के लिए इस नई दुनिया के साथ चल पाना आसान नहीं होता। उन्हें यह सब समझने में मुश्किल होती है और उन्हें लगने लगता है कि अब उनकी कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि वो पुराने समय के लोग हैं। यही सोच उन्हें और ज़्यादा अकेला कर देती है।
बदलती पारिवारिक संरचना
पहले ज़माने में सब लोग मिलकर एक साथ रहते थे, दादा-दादी, नाना-नानी, बच्चे और पोते-पोतियाँ। सब एक-दूसरे से जुड़े होते थे और बुजुर्गों को भी रोज़ की ज़िंदगी में अहम माना जाता था। लेकिन अब ज़माना बदल गया है। ज़्यादातर परिवार छोटे हो गए हैं। बच्चे पढ़ाई या काम के लिए बाहर चले जाते हैं और बुजुर्ग अकेले रह जाते हैं। इससे उनके मन और दिल पर बुरा असर पड़ता है।
बुजुर्गों को सही देखभाल और सामाजिक साथ की ज़रूरत है
समस्या का हल ढूंढना जरूरी है। बुजुर्गों की मानसिक सेहत का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। उनसे बात करना, उन्हें फैसलों में शामिल करना और हालचाल पूछना छोटी बातें लगती हैं, लेकिन इससे उन्हें बहुत अच्छा महसूस होता है। सरकार और समाज को भी बुजुर्गों के लिए ऐसी सुविधाएं देनी चाहिए जहाँ वे लोगों से मिल सकें, कुछ नया सीख सकें और अकेलापन महसूस न करें।