Law And Her: तलाक से जुड़े 5 कानून जो हर महिला को जानने चाहिए

तलाक लेना किसी भी महिला के लिए भावनात्मक और सामाजिक रूप से बहुत कठिन फैसला होता है। आइए जानें तलाक से जुड़े 5 ऐसे कानूनी अधिकार जो हर महिला को जरूर जानने चाहिए।

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Udisha Mandal
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5 Laws Related To Divorce That Every Woman Should Know

Photograph: (freepik)

5 Laws Related To Divorce That Every Woman Should Know: तलाक लेना किसी भी महिला के लिए भावनात्मक और सामाजिक रूप से बहुत कठिन फैसला होता है। यह न केवल एक रिश्ते का अंत है बल्कि कानूनी, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं से जुड़ी एक कठिन प्रक्रिया भी होती है। कई महिलाओं को उनके अधिकार नहीं पता होते। ऐसे में महिलाओं का अपने अधिकारों और कानूनों की जानकारी रखना उनके भविष्य के लिए बेहद जरूरी होता है, ताकि वे किसी अन्याय का शिकार न बन सकें और अपने हक के लिए मजबूती से खड़ी रह सकें। आइए जानें तलाक से जुड़े 5 ऐसे कानूनी अधिकार जो हर महिला को जरूर जानने चाहिए।

तलाक से जुड़े 5 कानून जो हर महिला को जानने चाहिए

1. मेंटेनेंस यानी भरण-पोषण का अधिकार

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तलाक शुदा महिला को भारतीय दंड संहिता की धारा 125 के तहत अपने पति से भरण-पोषण की राशि पाने का पूरा हक होता है। यदि वह महिला खुद अपना खर्चा नहीं चला सकती, तो कोर्ट पति को हर महीने एक निश्चित राशि देने का आदेश दे सकता है। अगर महिला का बच्चा है तो इसमें बच्चे की देखभाल का खर्च भी शामिल हो सकता है।

2. वैवाहिक संपत्ति पर महिला का अधिकार

भारत में मौजूदा समय में "मैरिटल प्रॉपर्टी लॉ" स्पष्ट नहीं है, लेकिन अदालत यह देखती हैं कि एक महिला ने शादी के दौरान घरेलू कार्यों और परिवार के लिए कितना योगदान दिया। अक्सर कई मामलों में देखा जाता है कि महिला को वैवाहिक संपत्ति का हिस्सा देने के निर्देश दिए जाते हैं, खासकर यह जब होता है जब एक महिला ने आर्थिक योगदान न दिया हो लेकिन पति का घर संभाला हो।

3. महिला को बच्चों की कस्टडी का अधिकार

महिला के तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी का अधिकार केवल पति को ही नहीं मिलता। बल्कि महिला भी अपने बच्चे की कस्टडी पाने की पूरी हकदार होती है। अदालत बच्चे के हित में क्या सही है उसको ध्यान में रखते हुए निर्णय लेती है। अक्सर माँ को छोटे बच्चों की प्राथमिक कस्टडी दी जाती है।

4. शीघ्र तलाक का अधिकार (मुस्लिम महिला के लिए ट्रिपल तलाक कानून)

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मुस्लिम महिलाओं के लिए "मुस्लिम महिला अधिनियम 2019" के तहत ट्रिपल तलाक यानी तीन तलाक के नियम को अपराध घोषित कर दिया गया है। यदि कोई पति तीन बार "तलाक" कहकर संबंध तोड़ता है, तो इसे अवैध माना जाता है और उस इंसान को 3 साल तक की जेल की सजा हो सकती है।

5. घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, जिसमें महिलाओं को सुरक्षा का अधिकार

तलाक के दौरान या उससे पहले अगर किसी महिला को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक या यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है, तो वह महिला घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत सुरक्षा और राहत की मांग कर सकती है। इसमें रहने की जगह, संरक्षण, मुआवज़ा और महिला को भरण-पोषण जैसी राहतें मिल सकती हैं।

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