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Photograph: (freepik)
Do Daughters Have Equal Rights As Sons On Their Parents' Property: भारतीय समाज में बेटियों को माता-पिता कि संपत्ति पर पहले कोई अधिकार नहीं था। जिस कारण उन्हें लंबे समय तक संपत्ति के अधिकार से वंचित रखा गया। लोगों की पारंपरिक सोच यह रही है कि बेटियों की शादी के बाद उनके मायके से संबंध सीमित हो जाते हैं, इसलिए उन्हें संपत्ति में हिस्सा देने की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन समय के साथ कानूनों में बदलाव हुआ है और अब बेटियों को भी बेटों के बराबर अधिकार मिलता हैं। समाज में यह बदलाव न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि महिलाओं के प्रति सामाजिक समानता की दिशा में भी एक बहुत बड़ा कदम है।
क्या बेटियों का भी माता पिता की प्रॉपर्टी पर बेटों के बराबर हक होता है
1. बेटियों का संपत्ति पर अधिकार
2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम जो 1956 में संशोधन किया गया था, यह हर हिंदू भारतीय महिलाओं को लिए एक ऐतिहासिक कदम था। इस संशोधन के तहत बेटियों को भी पिता की संपत्ति में बेटे के समान अधिकार प्रदान किए गए।
इस ऐतिहासिक कदम के अंतर्गत-
- बेटी को पिता की पैतृक संपत्ति में जन्म से ही बराबरी का हक दिया गया है।
- बेटियों की शादी होने के बाद भी पिता की संपत्ति पर अधिकार मिलता है।
- बेटी को परिवार की कॉपार्सनरी यानी सहदायिक संपत्ति में हिस्सा लेने, उसे बेचने, उपहार देने या वसीयत में शामिल करने का पूरा अधिकार होता है।
2. यह है कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. संतान के रूप में बेटी को समान अधिकार
बेटा और बेटी, दोनों को पिता की संपत्ति में समान उत्तराधिकारी माना गया है। अगर समान अधिकारों से बेटियों को वंचित किया जाता है, तो वह परिवार वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकती हैं।
2. शादीशुदा बेटियों को भी समान अधिकार
बेटी की शादी होने के बाद भी अपने माता-पिता की संपत्ति पर उसका पूरा हक होता है और यह अधिकार उनसे कोई नहीं छीन सकता।
3. सुप्रीम कोर्ट का 2020 का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को स्पष्ट किया था कि बेटियों को यह अधिकार बिना किसी शर्त के प्राप्त है, भले ही पिता की मृत्यु 2005 से पहले या बाद में हुई हो।
4. वसीयत के न होने पर
अगर पिता की मृत्यु बिना किसी वसीयत के होती है, तब भी बेटी को उनकी संपत्ति में कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में हिस्सा मिलता है।
5. स्व-अर्जित संपत्ति होने पर
अगर संपत्ति स्व-अर्जित है और पिता ने वसीयत में बेटी को हिस्सा नहीं दिया है, तो उस स्थिति में बेटियों का पिता की संपत्ति पर हक सीमित हो सकता है। लेकिन अगर वसीयत नहीं होती है तो उस समय उस पर उत्तराधिकार कानून लागू होगा।