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Photograph: (wholefamilyliving)
Can we let go of our old habits and build new and better ones: हम जो आज हैं, वो हमारी आदतों का ही नतीजा है। चाहे वह सुबह देर से उठना हो, बार-बार टालने की आदत हो, या हर दिन कुछ अच्छा करने का इरादा हमारी आदतें ही तय करती हैं कि हम जीवन में कितनी तरक्की करेंगे। लेकिन क्या वाकई हम पुरानी जमी-जमाई आदतों को छोड़ सकते हैं? क्या हम खुद को फिर से गढ़ सकते हैं और एक नई सकारात्मक सोच और दिनचर्या अपना सकते हैं?
क्या हम अपनी पुरानी आदतों को छोड़कर नई और बेहतर आदतें बना सकते हैं?
हर घर में हर इंसान के जीवन में कुछ न कुछ ऐसी आदतें होती हैं जो उन्हें खुद भी पता होती हैं कि बदलनी चाहिए। जैसे कुछ लोग हर काम को टालते रहते हैं कोई सुबह जल्दी नहीं उठ पाता कोई बिना वजह फोन में लगा रहता है तो कोई बार-बार नकारात्मक बातें सोचता है। ये आदतें धीरे-धीरे हमारी दिनचर्या और फिर पूरे जीवन को प्रभावित करने लगती हैं।
अक्सर घरों में माता-पिता अपने बच्चों को समझाते हैं कि बेटा ये आदत ठीक नहीं है, या हम खुद भी सोचते हैं कि अब बहुत हुआ कल से बदलाव शुरू करना है। लेकिन सच्चाई ये है कि आदतें इतनी आसानी से नहीं बदलतीं। क्योंकि वो हमारे दिमाग और शरीर का हिस्सा बन चुकी होती हैं।
अब सवाल ये उठता है कि क्या हम सच में अपनी पुरानी आदतों को छोड़ सकते हैं? जवाब है हाँ, छोड़ सकते हैं। लेकिन इसके लिए थोड़ी समझ, थोड़ा धैर्य और सही तरीका अपनाना ज़रूरी है।
कोई भी आदत एक दिन में नहीं बनती और ना ही एक दिन में जाती है। हमें बस एक बात समझनी होती है हमें खुद को धीरे-धीरे उस बदलाव की तरफ ले जाना है। जैसे अगर कोई देर तक जागने की आदत में है तो वो एकदम से 10 बजे नहीं सो पाएगा। लेकिन अगर हर दिन 15-20 मिनट पहले सोने की कोशिश करे तो कुछ हफ्तों में शरीर खुद ही नई आदत पकड़ लेता है।
अच्छी आदतें भी इसी तरह बनती हैं एक छोटी शुरुआत से। पहले दिन सिर्फ 5 मिनट की वॉक, फिर 10 मिनट का पढ़ना, फिर मोबाइल दूर रखकर सोना यही छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़ी आदत बनते हैं।
हम सबके जीवन में एक समय आता है जब लगता है कि कुछ तो बदलना चाहिए। और वही पल सबसे सही होता है शुरुआत करने का।
कोई आदत बड़ी नहीं होती बस हमारी सोच और मेहनत से ही तय होता है कि हम उसमें कितना बदलाव ला सकते हैं। और सबसे अच्छी बात ये है कि जब एक छोटी आदत बदलती है, तो उसके साथ-साथ जीवन में कई और चीज़ें खुद-ब-खुद सुधरने लगती हैं।