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क्या होता है Overgeneralization? जानिए इससे संबंधित कुछ जरूरी बातें

कई बार हमारी सोच का पैटर्न ऐसा हो जाता है जो हमें भावनात्मक दर्द देकर जाता है और गलतफहमी का कारण बनता है इसे ही हम कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन कहते हैं जिसका ओवर-जनरलाइज एक पार्ट है। आज हम उसके बारे में आपके साथ बात करेंगे-

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Rajveer Kaur
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(Image Credit: Freepik)

Important Things About Overgeneralization: ह्यूमन ब्रेन बहुत अद्भुत है। इसके कारण ही हम इतनी चीजें सोच सकते हैं। यह विचारों का भंडार है। इसी से नई जानकारी पैदा होती हैं और जो जानकारी हम इकट्ठा करते हैं उसे भी स्टोर करता है। ह्यूमन ब्रेन की इतनी क्षमता है कि यह अपने पास प्राप्त जानकारी और नए विचारों को मिलाकर कोई भी नवाचार कर सकता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि हमारा दिमाग सिर्फ अच्छी चीजें ही सोचे। कई बार हमारी सोच का पैटर्न ऐसा हो जाता है जो हमें भावनात्मक दर्द देकर जाता है और गलतफहमी का कारण बनता है इसे ही हम कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन कहते हैं जिसका ओवर-जनरलाइज एक पार्ट है। आज हम उसके बारे में आपके साथ बात करेंगे-

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क्या है Overgeneralization? जानिए इससे संबंधित कुछ जरूरी बातें

क्या होता है?

यह एक ऐसा कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन है जिसमें हम एक इवेंट के अनुभव को आने वाले सभी अनुभव के साथ जोड़ देते हैं। इसे ही ओवर जनरलाइजेशन कहा जाता है। इसमें हम ऐसा भी नहीं सोचते हैं कि जिन दो इवेंट्स को हम कंपेयर कर रहे हैं क्या इनका आपस में कोई रेलीवेंस है या इनकी तुलना हो सकती हैं।

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Very well Mind के अनुसार, यदि कोई भी ओवर जनरलाइजेशन का अनुभव करता है, तो वह किसी भी नकारात्मक अनुभव को गलतियों के इनएविटेबल पैटर्न के हिस्से के रूप में देख सकते हैं। यह ज्यादातर उन लोगों को प्रभावित जिन्हें एंजायटी और डिप्रेशन डिसऑर्डर होता है।

उदाहरण

मान लीजिए आपका इंटरव्यू था और आप उसमें सिलेक्ट नहीं हुए। ओवर जनरलाइजेशन में आप उसे अनुभव को आने वाले सभी जॉब इवेंट के साथ जोड़ देंगे और आपको लगेगा कि अभी मेरी जिंदगी में कुछ नहीं हो सकता। 

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अगर आपने किसी को मैसेज किया और उन्होंने आपके मैसेज का रिप्लाई नहीं दिया तो आप उसे भी ओवर- जनरलाइजेशन कर देंगे। अब आप सोचेंगे कि मेरे मैसेज का कोई रिप्लाई ही नहीं देगा। मेरी किसी की लाइफ में कोई वैल्यू नहीं है। 

ओवरजनरलाइजेशन का क्या प्रभाव पड़ता है?

  • निजी जिंदगी बहुत प्रभावित होती हैं। आपके व्यक्तित्व, नजरिए और व्यावहार पर इसका असर देखने को मिलता है।
  • आप नेगेटिव सेल्फ टाॅक करते हैं जो आपकी सोच को आगे बढ़ने नहीं देते हैं।
  • आप हर बात के लिए खुद को ही दोषी मानते हैं।
  • पहले से ही चीजों को अनुमान लगा लेते है कि मेरे साथ ही बुरा ही होगा।
  • आप खुद को कम आंकने लग जाते हैं। आप अपनी क्ष्मता को नहीं पहचान पाते।
  • आप अपनी सोच को सिर्फ एक परिप्रेक्ष्य तक सीमित कर लेते हैं।
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अंत में, यह एक विचारों का पैटर्न है जिसे आप कुछ चीजों को बदलकर इससे राहत पा सकते हैं। जैसे आप रिफ्रेंमिंग तकनीक को इस्तेमाल करके ओवर जनरलाइजेशन को ठीक कर सकते हैं। इसके साथ ही थेरेपी भी आपके लिए बहुत मददगार रहेगी।

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