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Self Care : क्यों सबका ख़्याल रखने वाले अक्सर अकेला महसूस करते हैं?

यह तो हमारे समाज की परम्परा है कि हम सब अपने जीवन में एक दूसरे का ख्याल रखते ही हैं जैसे कि माँ-बाप बच्चों का ख्याल, बच्चे बूढ़े माँ-बाप का ख्याल, पति पत्नी का ख्याल, पत्नी पति का ख्याल।

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Mandie Panesar
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People Who Take Care Of Everyone Often Feel Alone (Image Credit: freepik)

People Who Take Care Of Everyone Often Feel Alone : यह तो हमारे समाज की परम्परा है कि हम सब अपने जीवन में एक दूसरे का ख्याल रखते ही हैं जैसे कि माँ-बाप बच्चों का ख्याल, बच्चे बूढ़े माँ-बाप का ख्याल, पति पत्नी का ख्याल, पत्नी पति का ख्याल।

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क्यों सबका ख़्याल रखने वाले अक्सर अकेला महसूस करते हैं?

कुछ इंसान बहुत सेंसिटिव नेचर के होते हैं और दूसरों के दुःख-दर्द को ये बहुत ही नज़दीक से महसूस करते हैं। इसी सेंसिटिविटी की वजह से ये अपना पर्सनल दुःख भी ज़्यादा सहन नहीं कर पाते और जल्दी अकेला महसूस करने लगते हैं। ये लोग अपने-बेगाने का भेद किये बगैर ही सबका ध्यान बड़ी शिद्दत से रखते हैं। जब बात इनके सबसे प्यारे लोगों की आती है तब तो ये अपनी जान तक लगा देते हैं। लेकिन कुछ बातें हैं जो सब लोग इनसे बिना सोचे-समझे बोल देते हैं जिनसे इन्हें यही लगता है कि इन्हें कोई नहीं समझता और ये अकेला महसूस करने लगते हैं। 

तुम तो दुखी ही रहते हो

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जब किसी की भी पूरी बात सुने बगैर यह बोल दिया जाए कि तुम तो हर वक़्त दुखी ही रहते हो तो किसी भी इंसान को यह लग सकता है कि उसे कोई नहीं समझता और वे इस दुनिया में किसी से कितना भी प्यार और देखभाल क्यों न करें वे अकेले ही रहेंगे। इस तरह की बातों से हम न सिर्फ अपनी ज़िंदगी के किसी प्यारे इंसान को दुखी कर रहे हैं, बल्कि शायद उन्हें गँवा भी रहे हैं। 

रोने के इलावा कोई काम नहीं है क्या

सबका ध्यान रखने वाले लोग ओवर-सेंसिटिव होने की वजह से किसी बात पर  जल्दी रो देते हैं और फिर अपने मन की बात कह ही नहीं पाते। इस तरह से दूसरे लोग यह समझते हैं कि ये तो बिना बात के ही रोते रहते हैं, कुछ देर रोयेंगे और फिर नार्मल हो जायेंगे। लेकिन इस दौरान इनके मन पर ऐसे घाव हो जाते हैं कि वो कभी भर ही नहीं पाते और वे हमेशा के लिए अकेला महसूस करते हैं। 

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तुम्हें तो हमेशा अटेंशन चाहिए

लोग यह समझते हैं कि उनके पार्टनर को अटेंशन चाहिए इसी लिए ये हमशा दुखी रहने का नाटक करते हैं लेकिन उनकी बात को इत्मीनान से सुनकर समझने की कोशिश कभी नहीं करते। जब उनकी बात को कोई समझ नहीं पाता तो वे अकेला महसूस तो करेंगे ही न। 

समय नहीं है मेरे पास इस सब के लिए 

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जिसका आप दिनरात ख्याल रखें, अगर वही आपको ज़रूरत पड़ने पर बोल दे कि उनके पास आपकी बातें सुनने के लिए समय ही नहीं है तो आपको भी बुरा लग सकता है न। इससे ज़्यादा किसी और चीज़ की ज़रूरत ही नहीं किसी को अकेला महसूस करवाने में। 

निष्कर्ष अगर आपके भी इर्द गिर्द या फिर आपका कोई अपना ऐसा है जो कभी-कभी रो देता है या दुखी महसूस करता है तो एक पल रुक कर उसकी बात सुन कर देखें तो आपको समझ में आएगा कि इससे उन्हें कितना अच्छा फील होता है। इमोशनली किसी की हेल्प करना भी किसी पुण्य से काम नहीं होता।  

 

अकेला Feel Alone
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