It’s OK To Cry :जब भी हम मेंटली या फिजिकली हर्ट होते हैं तो आँसू आना एक नार्मल सी बात है, लेकिन फिर भी औरतों के रोने को आज तक नॉरमलाइज़ नहीं किया गया। आज भी यह समझा जाता है कि औरतें कमज़ोर होतीं हैं इसलिए वे जल्दी से रो देतीं हैं।
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यह समझना ज़रूरी है कि रोना इंसान के इमोशन्स को व्यक्त करने का एक तरीक़ा है और इसका मैंटली स्ट्रॉन्ग या फिर वीक होने से कोई लेना-देना नहीं है। आइए आज जानते हैं कि रोने के क्या-क्या फ़ायदे हो सकते हैं।
1. ख़ुद को शांत करना
जब भी कभी आप किसी चीज़ पर फ्रस्ट्रेटेड फील करें या फिर चिड़चिड़ा महसूस करें तो एक कोने में जाकर रो लें तो आप कुछ देर बाद बहुत ही शांत और हल्का सा महसूस कर पाएँगीं। इससे आपको बेचारी फील करने की कोई ज़रूरत नहीं है। कुछ देर बाद आपको लगेगा कि मैं स्ट्रॉंग हूँ, मैं यह कर सकती हूँ।
2. आपके मूड को अच्छा करता है
कई बार आप का mood अच्छा न हो तो ऐसा लगता है कि इस दुनिया से कहीं दूर चले जायें। उस वक़्त आप अगर कोई सैड मूवी देखें या फिर सैड सॉंग सुन लें जिससे आप के आँसू निकल सकें तो आप दिलो दिमाग़ को तरोताज़ा पाएँगीं।
3. दर्द को कम करता है
यह एक नेचुरल सा इमोशन है कि जब भी हमें कोई शारीरिक चोट लगती है तो हम रो देते हैं और उसी से हमें दर्द में बहुत राहत लगती है।इसी तरह जब हमें मेंटली हर्ट हो तब भी आँसू बहा लेने से दिल के दर्द में भी आराम मिलेगा।
4. इमोशनल बैलेंस को रिस्टोर करता है
हम सिर्फ़ दुखी होने पर ही नहीं, बल्कि डर, चिंता या खुश होने पर भी तो पड़ते हैं। कई बार हमारे इमोशनल इक्विलीब्रियम को बनाये रखने के लिए भी रोना ज़रूरी हो जाता है।
5. नींद अच्छी आती है
जब हम अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश करते हैं क्योंकि कोई हमें कमज़ोर समझेगा तो हमें इन्सोमैनिया भी हो सकता है। ऐसी हालत से बचने के लिए अच्छा है कि रोकर आप अपने मन का ग़ुबार निकाल लें और अच्छी सी नींद लें।
याद रखें कि हर चीज़ कि एक लिमिट होती है, अगर आपको रोना एक्सट्रीम लेवल पर ज़रूरी लगे तो मेंटल हेल्प लेना ज़रूरी है। लेकिन यह किसी भी जेंडर से जुड़ा हुआ या फिर इमोशनल कमज़ोरी की निशानी नहीं है।