Mental Load: सबका ख्याल रखने वाली महिलाएं, खुद को क्यों भूल जाती हैं?

भारतीय महिलाएं दिनभर परिवार का ख्याल रखते हुए अपनी ज़रूरतें भूल जाती हैं। ये सिर्फ थकान नहीं, बल्कि एक गहरी मानसिक बोझ की कहानी है, जिसे 'mental load' कहा जाता है।

author-image
Priyanka
New Update
Five Simple Ways To Improve Your Mental Health

File Image

Women who take care of everyone why forget themselves: घर-परिवार की जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी भारतीय महिलाओं की एक सामान्य तस्वीर है सुबह से लेकर रात तक परिवार के हर सदस्य की जरूरतों का ध्यान रखती हुई, लेकिन अपनी जरूरतों को लगातार नजरअंदाज करती हुई। यह केवल शारीरिक थकान की बात नहीं, बल्कि एक गहरी मानसिक थकावट की कहानी है जिसे 'mental load' कहा जाता है।

Advertisment

सबका ख्याल रखने वाली महिलाएं, खुद को क्यों भूल जाती हैं?

अदृश्य भार का सच

महिलाओं के कंधों पर अक्सर एक अदृश्य बोझ होता है जिसमें न सिर्फ काम करना, बल्कि पूरे परिवार के लिए सोचना-समझना और योजना बनाना शामिल होता है। बच्चों की school diary check करने से लेकर घर के सामान की खरीदारी तक, सास की दवाई के टाइम से लेकर पति के ऑफिस के कपड़ों की प्रेसिंग तक, यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है जो महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को धीरे-धीरे खोखला कर देती है।

Advertisment

सामाजिक संस्कारों का दबाव

"अच्छी पत्नी", "आदर्श माँ" या "परिपूर्ण बहू" बनने का सामाजिक दबाव महिलाओं को स्वयं को पीछे रखने के लिए मजबूर करता है। बचपन से ही लड़कियों को परिवार की देखभाल करने की शिक्षा दी जाती है, जबकि आत्म-देखभाल को स्वार्थ समझा जाता है। यह सोच महिलाओं को अपनी जरूरतों को लगातार नकारने पर मजबूर करती है।

परिवार की गतिशीलता में असंतुलन

Advertisment

अधिकांश भारतीय परिवारों में घरेलू जिम्मेदारियों का बंटवारा असमान होता है। पुरुष अक्सर केवल "मदद" करने तक सीमित रहते हैं, जबकि पूरी योजना और निगरानी का भार महिलाओं पर ही रहता है। यह असंतुलन महिलाओं को एक अदृश्य प्रबंधक बना देता है जिसकी मेहनत को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है।

आत्म-उपेक्षा के परिणाम

लगातार अपनी जरूरतों को टालते रहने से महिलाओं में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं पनपने लगती हैं। शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है अनियमित पीरियड्स, सिरदर्द, हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं अक्सर इसी मानसिक भार का परिणाम होती हैं।

Advertisment

बदलाव की राह

इस स्थिति में बदलाव लाने के लिए सबसे पहले महिलाओं को यह समझना होगा कि आत्म-देखभाल स्वार्थ नहीं, बल्कि आवश्यकता है। छोटे-छोटे कदम जैसे दिन में कुछ पल अकेले बिताना, अपनी पसंद की गतिविधियों के लिए समय निकालना या मन की बात किसी से साझा करना शुरू किया जा सकता है। परिवार के स्तर पर घरेलू जिम्मेदारियों का समान बंटवारा इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।

महिलाओं को यह समझने की जरूरत है कि वे केवल देखभाल करने वाली ही नहीं, बल्कि देखभाल की हकदार भी हैं। जिस तरह वे परिवार के हर सदस्य की जरूरतों का ध्यान रखती हैं, उसी तरह उनकी अपनी जरूरतें भी महत्वपूर्ण हैं। मेंटल लोड को कम करने का पहला कदम है इसके बारे में खुलकर बात करना और मदद मांगने में संकोच न करना। याद रखें, एक खुश और स्वस्थ महिला ही पूरे परिवार को खुश रख सकती है।

Mental School