नींद की कमी से जूझ रहे हैं आप? प्रोजेस्टेरोन की कमी हो सकती है इसका बड़ा कारण

प्रोजेस्टेरोन की कमी से महिलाओं में नींद की समस्याएं, मूड स्विंग्स और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। जानिए इसे संतुलित करने के आसान उपाय और बेहतर नींद के लिए सुझाव।

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Photograph: (faceyoga)

प्रोजेस्टेरोन, महिला शरीर का एक अहम हार्मोन है, जो मुख्य रूप से Menstrual Cycle को नियंत्रित करने और गर्भावस्था में सहारा देने के लिए जाना जाता है। लेकिन, इसका असर सिर्फ प्रजनन तक ही सीमित नहीं है। प्रोजेस्टेरोन mood stability, नींद की गुणवत्ता और समग्र हार्मोनल संतुलन में भी अहम भूमिका निभाता है। Menopause के दौरान प्रोजेस्टेरोन का स्तर काफी गिर जाता है, जिससे कई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जो जीवन की गुणवत्ता पर असर डालते हैं।

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नींद की कमी से जूझ रहे हैं आप? प्रोजेस्टेरोन की कमी हो सकती है इसका बड़ा कारण

प्रोजेस्टेरोन का क्या काम है?

प्रोजेस्टेरोन और एस्त्रोजेन मिलकर Hormonal equilibrium बनाए रखते हैं। आइये, जानते हैं इसके कुछ महत्वपूर्ण कार्य:

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1. मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करना

प्रोजेस्टेरोन गर्भाशय की परत को गर्भधारण के लिए तैयार करता है। यदि गर्भाधान नहीं होता है, तो यह periods को शुरू करने में मदद करता है। जैसे ही menopause का समय करीब आता है, प्रोजेस्टेरोन का स्तर घटने लगता है और इससे irregular cycles हो सकती हैं।

2. आरामदायक नींद में मदद करना

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प्रोजेस्टेरोन मस्तिष्क पर शांतिपूर्ण प्रभाव डालता है, जिससे महिलाओं को गहरी और शांत नींद आती है। जैसे ही प्रोजेस्टेरोन का स्तर घटता है, नींद की समस्या, जैसे इंसानोमिया और रात में बार-बार उठना, शुरू हो सकती है। इसका एक आसान समाधान है Try these Sound Sleep Gummies।

3. मूड संतुलन बनाए रखना

प्रोजेस्टेरोन मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स के साथ इंटरैक्ट करके चिंता को कम करता है और मानसिक संतुलन बनाए रखता है। जब प्रोजेस्टेरोन का स्तर कम होता है, तो महिलाएं irritability, mood swings, और चिंता जैसी समस्याओं का सामना कर सकती हैं।

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4. एस्त्रोजेन के प्रभाव को कम करना

जब प्रोजेस्टेरोन का स्तर एस्त्रोजेन की तुलना में जल्दी गिरता है, तो महिलाओं को पेरिमेनोपॉज के दौरान ब्लोटिंग, स्तन में दर्द, और भारी पीरियड्स जैसी समस्याओं का सामना हो सकता है।

मेनोपॉज के दौरान प्रोजेस्टेरोन का स्तर क्यों गिरता है?

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जैसे-जैसे महिलाएं मेनोपॉज के करीब पहुंचती हैं, ओव्यूलेशन की प्रक्रिया कम हो जाती है और शरीर प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन घटा देता है। जब मेनोपॉज की स्थिति आती है (12 महीने तक पीरियड्स न आना), तब प्रोजेस्टेरोन का स्तर काफी कम हो चुका होता है। हालांकि, एस्त्रोजेन का स्तर धीरे-धीरे घटता है, लेकिन प्रोजेस्टेरोन का स्तर अचानक से गिर सकता है।

इसके कारण आपको क्या समस्याएं हो सकती हैं?

1. नींद में कमी

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प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी के कारण महिलाओं को सोने में कठिनाई हो सकती है या वे रात में बार-बार उठ सकती हैं।

2. चिंता और चिड़चिड़ापन

प्रोजेस्टेरोन की कमी से मानसिक तनाव बढ़ सकता है, और महिलाएं मूड स्विंग और बढ़ी हुई चिंता का सामना कर सकती हैं।

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3. गर्मी की लहरें और पसीना

हालांकि एस्त्रोजेन का मुख्य रोल शरीर के तापमान को कंट्रोल करना है, लेकिन प्रोजेस्टेरोन की कमी से गर्मी की लहरें और रात में पसीना आ सकता है।

4. पीरियड्स में बदलाव

पेरिमेनोपॉज के दौरान प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के कारण मासिक धर्म चक्र में बदलाव आ सकता है, जैसे भारी या हल्के पीरियड्स।

प्रोजेस्टेरोन के स्तर को कैसे बनाए रखें?

मेनोपॉज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन कुछ सरल बदलावों से आप प्रोजेस्टेरोन से जुड़ी समस्याओं को नियंत्रित कर सकती हैं:

1. अच्छी नींद पर ध्यान दें

नींद की अच्छी आदतें, विश्राम तकनीक और प्राकृतिक नींद सहायक उत्पाद प्रोजेस्टेरोन की कमी के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।

2. तनाव को कम करें

मेडिटेशन, गहरी सांस लेना, और हल्के व्यायाम से तनाव को कम किया जा सकता है, जिससे हार्मोनल असंतुलन को कम किया जा सकता है।

3. प्रोजेस्टेरोन थेरेपी पर विचार करें

कुछ महिलाएं बायोइडेंटिकल प्रोजेस्टेरोन या हार्मोन थेरेपी का सहारा लेती हैं, लेकिन यह केवल डॉक्टर की सलाह पर किया जाना चाहिए।

4. हार्मोनल संतुलन के लिए आहार

मैग्नीशियम, विटामिन B6 और जिंक जैसे पोषक तत्व हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। नट्स, बीज और हरी पत्तेदार सब्जियां भी शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती हैं।

प्रोजेस्टेरोन महिला शरीर के संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। Menopause के दौरान प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी असुविधा पैदा कर सकती है, लेकिन इसके प्रभावों को समझकर महिलाएं इस प्रक्रिया को बेहतर तरीके से संभाल सकती हैं। नींद पर ध्यान देने, तनाव को कम करने और चिकित्सकीय सहायता लेने से महिलाएं इस समय को आत्मविश्वास और शांति से पार कर सकती हैं।

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