क्यों रहती हूँ इतनी चिड़चिड़ी? पेरिमेनोपॉज़ और मूड स्विंग्स का सच

पेरिमेनोपॉज़ वो ट्रांज़िशन है जो 8 से 15 साल तक चलता है, जब आपके ओवरी धीरे-धीरे स्लो हो जाती हैं। मेनोपॉज़ तब होता है जब आपके पीरियड्स पूरे एक साल के लिए रुक जाते हैं।

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The Meno Coach
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अगर आप 40 की उम्र में हैं और अचानक ज़रा-ज़रा सी बात पर झल्ला जाती हैं, ऐसी चीज़ों पर रो पड़ती हैं जिन्हें पहले आसानी से नज़रअंदाज़ कर देती थीं या फिर अपने पार्टनर की साँसों की आवाज़ से ही चिढ़ जाती हैं तो आप अकेली नहीं हैं और नहीं, आप पागल भी नहीं हो रही हैं। ये पेरिमेनोपॉज़ हो सकता है कि वो हार्मोनल रोलरकोस्टर जो मेनोपॉज़ से पहले आता है।

क्यों रहती हूँ इतनी चिड़चिड़ी? पेरिमेनोपॉज़ और मूड स्विंग्स का सच

असल में हो क्या रहा है?

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पेरिमेनोपॉज़ वो ट्रांज़िशन है जो 8 से 15 साल तक चलता है, जब आपके ओवरी धीरे-धीरे स्लो हो जाती हैं। मेनोपॉज़ तब होता है जब आपके पीरियड्स पूरे एक साल के लिए रुक जाते हैं। उससे पहले का पूरा सफ़र पेरिमेनोपॉज़ कहलाता है और हाँ, ये काफ़ी परेशान करने वाला और स्ट्रेसफुल हो सकता है।

इस दौरान आपके हार्मोन, ख़ासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन, काफ़ी उतार-चढ़ाव करते हैं। कभी गिरते हैं, कभी अचानक बढ़ जाते हैं। आपका दिमाग और शरीर इस नए बैलेंस को एडजस्ट करने की कोशिश करता है, और यही गड़बड़ी बाहर नज़र आती है—

  • मूड स्विंग्स
  • चिड़चिड़ापन
  • एंग्ज़ाइटी या पैनिक
  • ब्रेन फॉग
  • ओवरवेल्म्ड महसूस करना

क्यों होता है ऐसा?

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इसका जवाब एस्ट्रोजन है। ये सिर्फ़ प्रजनन प्रणाली को ही रेगुलेट नहीं करता, बल्कि आपके दिमाग़ के न्यूरोट्रांसमीटर, जैसे सेरोटोनिन (यानि "फील-गुड" हार्मोन), को भी प्रभावित करता है। जब एस्ट्रोजन गिरता है, तो सेरोटोनिन भी गिरता है।

और तब आप महसूस कर सकती हैं—

  • बार-बार मूड बदलना
  • इमोशनली नाज़ुक महसूस करना
  • छोटी-सी बात पर झल्ला जाना
  • चीज़ों को आसानी से नज़रअंदाज़ न कर पाना

आप अचानक अधीर नहीं हो गईं बल्कि आपके केमिकल सिग्नल बदल गए हैं। और ये सचमुच परेशान करने वाला हो सकता है। अब आती है बारी प्रोजेस्टेरोन की जिसे “कैल्मिंग हार्मोन” भी कहा जाता है। पेरिमेनोपॉज़ में इसका स्तर भी नीचे गिर जाता है। नतीजा? कम नेचुरल शांति, ज़्यादा बेचैनी, और पुराने PMS जैसे लक्षण—भले ही आपको सालों से PMS न हुआ हो और सिर्फ़ हार्मोन ही नहीं…ज़िंदगी भी!

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40s और 50s में औरतें ज़िंदगी की कई भूमिकाएँ एक साथ निभा रही होती हैं और ये स्ट्रेस को और बढ़ा देता ह—

  • बूढ़े हो रहे माता-पिता की देखभाल
  • टीनएज बच्चों की चुनौतियाँ
  • करियर या बिज़नेस का दबाव
  • रिश्तों में बदलाव
  • नींद की गड़बड़ी (जो फिर से हार्मोन की देन है)

तो अगर आप थकी हुई, चिड़चिड़ी और हर चीज़ से ओवरवेल्म्ड महसूस करती हैं तो ये आपकी कल्पना नहीं है। ये आपकी हकीकत है।

आप क्या कर सकती हैं?

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  • अपने लक्षण ट्रैक करें: अपने पैटर्न जानना पॉवरफुल होता है। Gytree को फॉलो करें और 40+ महिलाओं के लिए उनके प्रोडक्ट रेंज एक्सप्लोर करें।
  • हार्मोनसपोर्टकरें: सही न्यूट्रिशन, सप्लीमेंट्स (जैसे Gytree का 40+ कैप्सूल) और प्लांट-बेस्ड प्रोटीन मूड को स्थिर करने और इंफ्लेमेशन कम करने में मदद करते हैं।
  • मूवयोरबॉडी: एक्सरसाइज़ कोर्टिसोल बैलेंस करता है और सेरोटोनिन बढ़ाता है।
  • बातकरें: आप ड्रामेबाज़ नहीं हैं। बात करना सचमुच मदद करता है।
  • नींदकोप्राथमिकतादें: यही आपका हीलिंग ज़ोन है।

याद रखें

पेरिमेनोपॉज़ की चिड़चिड़ाहट “मुश्किल इंसान” होने की निशानी नहीं है। ये आपके शरीर का सिग्नल है। हार्मोन शिफ्ट होते हैं तो सब कुछ डगमगाता लगता है।

पर ये दौर स्थायी नहीं है और मदद मौजूद है। आप पागल नहीं हो रही हैं। आप बदल रही हैं और सही टूल्स और सपोर्ट से, आप इस सफ़र को ताक़त, स्पष्टता और ख़ुशी के साथ पार कर सकती हैं।