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Photograph: (freepik)
नई भारतीय रिसर्च में दक्षिण भारत की महिलाओं में ओरल कैंसर को बढ़ावा देने वाले कुछ जीन म्यूटेशन पाए गए हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, यह खोज उन मरीजों पर ध्यान खींचती है जिन्हें आमतौर पर कम देखा जाता है और यह पुरुष-केंद्रित अध्ययन से अलग जैविक कारणों को उजागर करती है।
नई भारतीय रिसर्च में महिलाओं में Oral Cancer का शुरुआती पता लगाने के लिए जेनेटिक सुराग मिले
बेंगलुरु के जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च और कल्याणी के BRIC नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया। उन्होंने कर्नाटक के कोलार स्थित श्री देवराज उर्स अकादमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च के मेडिकल टीम के साथ काम किया।
अध्ययन में उन महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया जो नियमित रूप से कद्दिपुड़ी का इस्तेमाल करती हैं। यह तंबाकू और अन्य सामग्री का स्थानीय मिश्रण है, जो कोलार क्षेत्र में आम है और ओरल कैंसर का खतरा बढ़ाता है।
अध्ययन का महत्व
भारत में दुनिया में सबसे अधिक ओरल कैंसर के मामले हैं। कर्नाटक के कुछ हिस्सों और उत्तर-पूर्वी राज्यों की महिलाएं इस रोग के विशेष रूप से अधिक खतरे में हैं, क्योंकि तंबाकू चबाने की प्रथाएँ यहां आम हैं।
हालांकि यह बीमारी महिलाओं में होती रही है लेकिन ज्यादातर रिसर्च पुरुषों पर ही हुई है। इस वजह से यह समझना मुश्किल था कि महिलाओं में ओरल कैंसर क्यों ज्यादा तेज़ और खतरनाक होता है।
इसलिए शोध टीम ने ओरल कैंसर से पीड़ित महिलाओं से ट्यूमर और खून के सैंपल इकट्ठा किए फिर उन्होंने जीन की जांच की और पाया कि 10 जीन में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं।
दो महत्वपूर्ण जीन
दो जीन सबसे महत्वपूर्ण पाए गए। TP53, जो शरीर का एक अहम सुरक्षा जीन है, में अक्सर नुकसान देखा गया। जब यह जीन ठीक से काम नहीं करता, तो कैंसर को रोकने वाले प्राकृतिक नियंत्रण कमजोर पड़ जाते हैं।
CASP8, जो सेल डेथ (कोशिका मृत्यु) को नियंत्रित करता है, में भी बार-बार म्यूटेशन मिले। जब यह जीन सही काम नहीं करता, तो असामान्य कोशिकाएं जीवित रह सकती हैं और बढ़ सकती हैं।
सबसे खास बात यह मिली कि CASP8 कई महिलाओं में ड्राइवर म्यूटेशन के रूप में काम कर रहा था, जबकि पहले किए गए अध्ययन, जो ज्यादातर पुरुष मरीजों पर आधारित थे, ने अन्य जैविक रास्तों को ही उजागर किया था।
इस महिला समूह में मिले बदलाव से पता चलता है कि महिला-विशेष जैविक कारण और स्थानीय तंबाकू की आदतें बीमारी को जीन स्तर पर अलग ढंग से प्रभावित कर सकती हैं।
महिलाओं में ओरल कैंसर
इस अध्ययन से पता चला कि महिलाओं में ओरल कैंसर पर जैविक कारण और स्थानीय तंबाकू की आदतें असर डालती हैं। शोधकर्ताओं ने ट्यूमर ऊतक को डीप लर्निंग से देखा और मरीजों को दो समूहों में बांटा।
एक समूह में इम्यून सिस्टम ज्यादा सक्रिय था, जबकि दूसरे में कमजोर। ये पैटर्न इस बात को समझने में मदद कर सकते हैं कि कुछ ट्यूमर जल्दी फैलते हैं और इलाज के नतीजे क्यों अलग-अलग होते हैं।
जिन महिलाओं में TP53 और CASP8 दोनों जीन में म्यूटेशन थे, उनमें बीमारी सबसे गंभीर थी। उनके ट्यूमर ज्यादा तेजी से लौटने वाले और आक्रामक थे।
यह जीन संयोजन डॉक्टरों के लिए चेतावनी संकेत के रूप में काम कर सकता है। यह दिखाता है कि सिर्फ लक्षणों पर भरोसा करने के बजाय म्यूटेशन पैटर्न को देखकर स्क्रीनिंग करना जरूरी है। ये निष्कर्ष Clinical and Translational Medicine में प्रकाशित हुए हैं।
शोध टीम क्या कर रही है?
शोध टीम अब यह जानने की योजना बना रही है कि TP53 कमजोर होने पर CASP8 म्यूटेशन ट्यूमर की वृद्धि को कैसे बढ़ाता है।
इन जैविक रास्तों को समझकर शोध टीम नए इलाज के लिए लक्ष्य ढूँढने की उम्मीद कर रही है। ऐसे लक्ष्य दवाओं के विकास में मदद कर सकते हैं, जो ट्यूमर बनने की शुरुआती प्रक्रिया को रोक सकें। अध्ययन एक महत्वपूर्ण बात उजागर करता है: महिलाओं में ओरल कैंसर को सिर्फ पुरुषों पर किए गए शोध से नहीं समझा जा सकता।
महिलाओं का अपना जीन प्रोफाइल होता है, जो विशेष शोध की मांग करता है।
भारत के कुछ हिस्सों में तंबाकू चबाने की प्रथा अब भी आम है और महिलाओं में स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहे हैं, इसलिए विशेष रूप से महिलाओं के लिए रोकथाम और इलाज की रणनीतियों की जरूरत अब और भी जरूरी हो गई है।
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