Bihar Case: भारत में चिकित्सकीय लापरवाही (Medical Negligence)की घटना अब बहुत ज्यादा आम होती जा रही हैं और कई मामलों में तो इन लापरवाही का परिणाम इतना घातक साबित होता है कि मरीज की जान तक चली जाती है। अभी कुछ समय पहले बिहार के खगड़िया जिले में नसबंदी नामक एक गर्भनिरोधक विधि के साथ आगे बढ़ने वाली कई महिलाओं को अपनी प्रक्रियाओं के बाद असुविधा और दर्द का सामना करना पड़ा बाद में यह पता चला कि महिलाओं को इतना परेशान डॉक्टर की लापरवाही के कारण होना पड़ा।
बिहार का स्वास्थ्य विभाग गैर-सरकारी संगठनों को सर्जन, डॉक्टर, पैरामेडिक्स सहित महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा आयोजित करने की अनुमति देता है, और नसबंदी की प्रक्रिया का संचालन करने के लिए उपकरण प्रदान करता है, क्योंकि राज्य में इसके लिए विशेषज्ञों की कमी है। आपको बता दें बिहार में दो सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में तेईस महिलाओं को बिना लोकल एनेस्थीसिया दिए किए गए नसबंदी ऑपरेशन से जुड़े विवाद की जांच के आदेश दिए गए हैं।
बिहार पब्लिक हेल्थ सेंटर में बिना एनेस्थीसिया के नसबंदी(Tubectomy) की गई
बिहार के एक सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी कराने वाली 30 वर्षीय एक महिला ने शिकायत की कि उसे ट्रीटमेंट के दौरान भारी दर्द सहना पड़ा। उसने बताए की उसे सर्जरी से पहले लोकल एनेस्थीसिया नहीं दिया गया था। ऐसी ही स्थिति से गुजरने वाली कई और भी महिलाओं ने यह आरोप लगाया कि डॉक्टर्स ने उनके साथ जानवरों की तरह व्यवहार किया और जब वे दर्द की शिकायत कर रही थीं तब डॉक्टर ने उनकी इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया।
बिहार के टॉप अधिकारियों ने अब इससे संबंधित विभाग को मामले को देखने का निर्देश दिया है, जिसके बाद उसी के लिए जांच का आदेश दिया गया है। बात दें की महिला के आरोपों की जांच के निर्देश सिविल सर्जन अमर नाथ झा को दिए गए हैं। यह भी आरोप लगाया गया है कि इस मुद्दे को चलाने वाले गैर-सरकारी संगठनों ने भी गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार किया और मामले में हस्तक्षेप नहीं किया। 2 NGO फाउंडेशन फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज एंड ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव्स को अलौली और परबट्टा के स्थानों में इसेआयोजित करने के लिए ये संबंधित लाइसेंस दिए गए थे।
अधिकारी ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट आलोक रंजन घोष के आदेश के बाद मामले की जांच शुरू हो गई है। यह प्रक्रिया पूरी होने के तुरंत बाद स्थानीय मीडिया द्वारा घटना की सूचना देने के बाद मामला सामने आया। अधिकारी झा ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि वह अगले दो दिनों में अपनी डिटेलेड रिपोर्ट सबमिट करेंगे। इसमें शामिल एनजीओ की ओर से भी लापरवाही की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "रिपोर्ट दर्ज होने के बाद अगले दो दिनों में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।" झा ने आगे कहा कि अगर उनकी प्रक्रिया में चूक करने का दोषी कोई पाया गया तो दोनों संगठनों का लाइसेंस दुरंत रद्द कर दिया जाएगा।
इससे पहले भी बिहार में हो चुका है ऐसा लापरवाही वाला केस
आपको बता दें कि 2015 में बिहार में हुई थी इस तरह की एक और घटना, यह घटना बिहार शहर अरनिया की घटना थी। जहां पर 53 महिलाओं को लोकल एनेस्थीसिया दिए बिना ही नसबंदी कराई गई थी उस समय पर घटना की सूचना दी गई और अधिकारियों ने 3 लोगों को इस अपराध का दोषी ठहराया था क्योंकि उनकी इस गैर जिम्मेदार व्यवहार के कारण लोगों की जान पर बन गई थी। राज्य स्वास्थ्य विभाग इन संगठनों को हर नसबंदी के लिए लगभग ₹2150 का भुगतान करता है।