समाज में लड़कियों का सिगरेट पीना ज़्यादा इसलिए अच्छा नहीं लगता कि उनकी सेहत पर असर पड़ता है बल्कि इसलिए नहीं लगता क्योंकि सिगरेट या और कोई भी नशा करना लड़कियों के किरदार को शोभा नहीं देता। औरतों के लिए भारती समाज की हमेशा प्रतिगामी रही है।
Alcohol And Women: क्या ड्रिंक करने वाली लड़कियां होती हैं कैरेक्टरलेस?
औरत ने जो भी काम समाज के नियमों को तोड़कर किया उस पर समाज ने उसका विरोध किया है चाहे वे औरतों का घर से बाहर निकालकर काम करना हो, अपनी मर्ज़ी के कपड़े पहनने हो आदि। जिन भी औरतों ने समाज में खुलेआम नशे किए है समाज ने उनकी बुराई की है।
नशा करना किसी के लिए भी अच्छा नहीं है चाहे वो लड़का हो या लड़की लेकिन समाज का दोगलापन अच्छा नहीं है। लड़का चाहे नशा करने के बाद अपने माँ-बाप का निरादर करें अपनी बीवी बच्चों को मारे पीटे फिर भी उनका समाज में किरदार ख़राब नहीं होता लेकिन लड़की का नशे को हाथ लगाने से किरदार ख़राब हो जाता।
लड़कों को माँ- बाप भी नही रोकते
लड़कों अगर कम उम्र में भी शराब पीना शुरू करदे तो परिवार वाले बड़ी आसानी से कह देते है इतना तो लड़के करते ही है। अब नहीं पीएगा तो फिर क्या बूढ़ा होकर पीएगा?
जो कोई नशा नहीं वह असली मर्द नही
समाज के लिए आज भी वह असली मर्द है जो शराब या सिगरेट पीता है।जिस पुरुष को शराब नहीं पचती लोग उसका मज़ाक़ उड़ाते है।मर्द चाहे नशे करके अपनी पत्नी को पीटे फिर भी लोग उस लड़की की ही कमी निकलते है।
नशे करने वाली औरतें ग़लत नहीं होती
अगर कोई लड़की शराब या सिगरेट पीती है समाज को कोई हक़ वो उसके किरदार पर सवाल उठाए।अगर किसी लड़की ने शराब पी होती है तो लड़के समझ लेते है कि शायद अब हमें लड़की की कन्सेंट के बिना सेक्स करने का हक़ मिल गया लेकिन यह बिल्कुल भी सही नही है।
नशे का कोई जेंडर नहीं
नशे का कोई जेंडर नही होता। नशे का सेवन किसी को भी ज़्यादा और कम मर्द नहीं बनाता।इसका किसी के किरदार से भी कोई लेन-देन नहीं है। जितना किसी औरत के लिए नशे करना ग़लत बात है उतना ही म