Friendhsip Day: क्या लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते?

"लड़का और लड़की में रोमांटिक रिलेशनशिप हो सकता है, लेकिन वे कभी दोस्त नहीं हो सकते," यह बात हमें अक्सर सुनने को मिलती है। लड़का और लड़की की दोस्ती पर हमेशा शक किया जाता है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है कि लड़का और लड़की कभी सच्चे दोस्त नहीं हो सकते?

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Rajveer Kaur
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 What define your relationship

Photograph: (Unsplash)

Can Boys and Girls Ever Be Just Friends? "लड़का और लड़की में रोमांटिक रिलेशनशिप हो सकता है, लेकिन वे कभी दोस्त नहीं हो सकते," यह बात हमें अक्सर सुनने को मिलती है। लड़का और लड़की की दोस्ती पर हमेशा शक किया जाता है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है कि लड़का और लड़की कभी सच्चे दोस्त नहीं हो सकते? इस सवाल का जवाब कई पहलुओं से जुड़ा हुआ है, समाज की सोच, व्यक्तिगत अनुभवों और भावनात्मक समझ से।

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क्या लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते?

दोस्ती की असली परिभाषा क्या है?

सबसे पहले हमें दोस्ती की परिभाषा समझनी होगी। दोस्ती कभी भी जेंडर पर आधारित नहीं होती। यह केवल लड़कों या लड़कियों तक सीमित नहीं है। दोस्ती एक मानवीय रिश्ता है जो भरोसे, समझ और इमोशनल कनेक्शन पर टिकता है।

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एक लड़का और लड़की भी उतने ही अच्छे दोस्त हो सकते हैं, जितने दो लड़के या दो लड़कियाँ। हर बार उनके बीच रोमांस होना ज़रूरी नहीं होता। वे खुलकर बात कर सकते हैं, एक-दूसरे की भावनाओं को समझ सकते हैं और एक ऐसा रिश्ता बना सकते हैं जिसमें कोई दिखावा या गलत इरादा न हो।

समाज को क्यों होती है आपत्ति?

समाज को लड़का और लड़की की दोस्ती से अक्सर आपत्ति होती है क्योंकि हमारी परवरिश और सोच शुरू से इस तरह ढाली गई है कि "लड़का-लड़की की दोस्ती तो बहाना है, असल में कुछ और ही चल रहा है।"

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बॉलीवुड फिल्मों और टीवी शोज़ ने भी इस सोच को बढ़ावा दिया है जहाँ दोस्ती अकसर प्यार में बदल जाती है। यही कारण है कि जब भी कोई लड़का और लड़की एक-दूसरे के करीब दिखते हैं, तो लोगों को उनके रिश्ते पर शक होने लगता है।

सोच बदलने की ज़रूरत क्यों है?

अब वक्त आ गया है कि हम अपनी सोच में बदलाव लाएं। हमें समझना होगा कि हर रिश्ता लव स्टोरी नहीं होता। अगर दो लोग एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि वे प्यार में हैं। उनका रिश्ता एक गहरा इमोशनल बंधन भी हो सकता है एक ऐसा जुड़ाव जो जेंडर से ऊपर होता है।

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अंत में, हमें दोस्ती को सिर्फ जेंडर के चश्मे से देखना बंद करना होगा। लड़का और लड़की अच्छे दोस्त हो सकते हैं बिना किसी रोमांटिक भावनाओं के। जब हम बिना जज किए ऐसे रिश्तों को समझना और स्वीकार करना शुरू करेंगे, तभी समाज वाकई प्रगतिशील बन पाएगा।