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कब तक सिर्फ एक Exam से अपनी Worth डिसाइड करते रहेंगे स्टूडेंट्स?

हमारे समाज का ढांचा ऐसा बन गया है कि स्टूडेंट्स अपनी वर्थ एक एग्जाम से डिसाइड करने लगे हैं। उन्हें लगता है कि अगर हमने इसे क्लियर नहीं किया तो हम जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे। कुछ बच्चे एग्जाम में फेल होने के बाद अपनी जान तक दे देते हैं।

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Rajveer Kaur
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Dear Students, Your Exam Do Not Decide Your Worth: हम सब यूनिक है और हमारी पोटेंशियल अलग है। हमें अलग चीजें पसंद आती हैं। अगर आप एक घर के सदस्यों को भी देखें तो उनके भी इंटरेस्ट अलग होते हैं लेकिन जब पढ़ाई की बात आती है तब हम सब चाहते हैं कि सभी स्टूडेंट्स के मार्क्स अच्छे आएं। वास्तविकता में यह संभव है नहीं लेकिन अब हमारे समाज का ढांचा ऐसा बन गया है कि स्टूडेंट्स अपनी वर्थ एक एग्जाम से डिसाइड करने लगे हैं। उन्हें लगता है कि अगर हमने इस एग्जाम को क्लियर नहीं किया तो हम जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे। कुछ बच्चे एग्जाम में फेल होने के बाद अपनी जान तक दे देते हैं। इससे बुरी बात क्या हो सकती है। यह हमारे समाज और एजुकेशन सिस्टम के मुंह पर एक चांटा है और हमें अब इसके ऊपर ध्यान देने की बहुत ज्यादा जरूरत है।

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कब तक सिर्फ एक Exam से अपनी Worth डिसाइड करते रहेंगे स्टूडेंट्स?

भारतीय घरों में बच्चों को बड़े होते समय उन्हें यह सिखाया जाता है कि वह बाकी चीजों में चाहे कितना भी अच्छा है लेकिन पढ़ाई में अच्छे मार्क्स लाने ही हैं नहीं तो समाज में उनकी इज्जत नहीं होगी। इस कारण बहुत सारे बच्चे खुद को एक्सप्लोर ही नहीं कर पाते हैं। उन्हें अपने इंटरेस्ट के बारे में नहीं पता चलता है। अगर कुछ बच्चों को अपनी इंटरेस्ट के पता भी है तो पेरेंट्स उनका साथ नहीं देते हैं और उन्हें पढ़ाई ही करने के लिए कहते हैं। पढ़ाई सबका पैशन नहीं हो सकता है।।आपको बेसिक जानकारी होनी चाहिए लेकिन अगर कोई बच्चा खेल कूद में आगे जाना चाहता है या फिर उसका कोई और इंटरेस्ट है तो तब हम क्यों नहीं उस बात को समझते हैं। हम सब यूनिक है, हमारा सबका टेस्ट अलग है तो फिर पढ़ाई के मामले में हमेशा ऐसा होता है। हम सब बच्चे को चाहते कि वह डॉक्टर या इंजीनियर भी बने लेकिन आजकल के समय में हमारे पास इतने ऑप्शंस है कि बच्चा कुछ भी करें तो सक्सेस हो ही जाएगा।

अब मां-बाप को चाहिए कि वह अपने बच्चों का उनके पैशन फॉलो करने दें। मुझे उसे दिन में आगे जाने दे जिसमें उनका मन करता है। एक एग्जाम किसी भी बच्चे की वर्थ डिसाइड नहीं करता है। आप उस एग्जाम को इसलिए दे क्योंकि इससे आप कुछ नया सीखेंगे और आपके अंदर कॉन्फिडेंस आएगा। अगर आप किसी कठिन चीज के लिए खुद को चैलेंज करते हैं तो वह बहादुरी का काम है। इसमे आपकी हार-जीत मैटर नहीं करती ब्लकि आपके इफेक्ट्स मैटर करते हैं। जिंदगी को एक्सप्लोरर करना मत छोड़े। अगर आपके लिए एक तरीका काम नहीं करता तो आप दस तरीके अपनाए लेकिन उसे अपनी वर्थ के साथ जोड़कर मत देखें।

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