लड़कियों को हमेशा कभी आइटम, चीज, पटाखा आदि नामों से बुलाया जाता है। यह नाम दिखाते हैं कि कैसे औरतों को बुलाने के लिए ऐसे अपमानजनक और सेक्शुअल शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। यह हमारे समाज की मानसिकता को दिखाता है कि कैसे औरत को एक प्रॉपर्टी या चीज माना जाता है।
सबसे पहली बात औरत कोई चीज या किसी की भी कोई प्रॉपर्टी नहीं है। वह भी एक इंसान है जिसकी अपनी जरूरतें और अपनी एक राय है। उसे भी आजादी है कि वह जैसे चाहें मर्ज़ी कपड़े पहन सकती है। अपने प्रस्ताव को एक्सप्रेस कर सकती है। अपनी लाइफ अपने तरीके से जी सकती है। उसको इसके लिए किसी की परमिशन की कोई जरूरत नहीं है।
Girls are not property Boys/लड़कियां प्रॉपर्टी नहीं है
हमारे समाज में जब से लड़की पैदा होती हैं तब से ही उसे सुख सुविधाएं लड़कों से कम दी जाती है। उसको लडको से नीचे रखा जाता है। लड़कियाँ आपकी पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं है। उन पर किसी का अधिकार नहीं बनता चाहे कोई भी हो माँ-बाप, भाई, पति कोई भी उनको कंट्रोल नहीं कर सकता कि तुमने ऐसा नहीं करना, वहाँ नहीं जाना। उनको भी लड़कों की तरह अपनी लाइफ़ जीने का हक़ है।
कई बार ऐसा होता है कि लड़के लड़कियों को अपनी चीज मान लेते हैं जिस पर सिर्फ उनका ही हक है इसमें लड़की की मर्जी हो चाहे ना हो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ऐसी मानसिकता के कारण लड़कियों के साथ अपराध भी हो रहे हैं। कई बार लड़की मना भी कर रही होती है लेकिन फिर भी लड़के उसको हां ही समझते हैं। एक सिंपल सी बात है अगर लड़की नहीं कह रही है तो उसका मतलब नहीं होता है, हां नहीं होता है।
कंसेंट भी है जरुरी
अगर हम कंसेंट की भी बात करें आज भी लड़कियों की कॉन्सेंट को मैटर नहीं किया जाता है क्योंकि उन्हें तो अपनी ही प्रॉपर्टी समझ लिया जाता है। उन्हें कोई भी परमिशन या कंसेंट लेने की जरूरत नहीं है। आजकल रेप्स के केस इतने बढ़ रहे है क्योंकि लड़की की कंसेंट को मैटर ही नहीं किया जाता। किसी भी चीज चाहे वह सेक्स के लिए हो या फिर किसी रिलेशनशिप में जाने के लिए सबसे पहले लड़की की कंसेंट लेना बहुत जरूरी है।
आज लड़कियां एमपावर हो रही है अपने करियर को फॉलो कर रही है लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं यह सोच आज भी है कि लड़की सिर्फ प्रॉपर्टी है जिस पर मर्दों का हक है जैसे चाहे उनके साथ कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें किसी भी चीज का कोई डर नहीं है। सोसाइटी का इस चीज में बहुत बड़ा रोल है क्योंकि समाज में आज भी लड़कों को यह नहीं सिखाया जाता कि औरतों की इज्जत कैसे करनी है।