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Women's Day Special: एक औरत का 'पहनावा उसे कैसे औरत बना देता है?

अगर वही लड़की ने मॉडर्न ड्रेस पहनी है या उसके कपड़ों में शरीर दिखाई दे रहा है, लोगों के सामने अपना ओपिनियन रखती है और उसे न बोलने में कोई दिक्कत नहीं होती तब ऐसी लड़कियां चरित्रहीन हो जाती हैं या उन्हें बदतमीजी का टैग दे दिया जाता है। 

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Rajveer Kaur
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(Image Credit: Pinterest)

Women's Day 2024: जब किसी महिला का रेप होता है सबसे पहले यह जानने की कोशिश की जाती है कि उसने कपड़े क्या पहने थे? क्या पहनावा था? कहीं उसने छोटे कपड़े तो नहीं पहने थें, बदन पूरा कवर था, टॉप ज्यादा छोटा तो नहीं था या फिर टांगें दिखाई दे रही थी यह सब बातें जानने की कोशिश की जाती है। अगर गलती से भी लड़की ने छोटे कपड़े पहने हुए थे तब यह कहने में देर नहीं लगती कि इसके कारण ही रेप हुआ होगा। लड़कियां अगर छोटे कपड़ा पहना बंद कर दे तो उनके साथ ऐसी घटनाएं ही नहीं होगी। इस बात पर जब यह इन लोगों से सवाल पूछा जाता है कि जब हमारे समाज में छोटी बच्चियों का रेप होता है जिनकी उम्र सिर्फ दो या तीन साल होती है। उन्हेंइसके  बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। उनकी क्या गलती थी? उनके कपड़ों में क्या खराबी थी? तब उनके पास कोई जवाब नहीं होता है। आज हम बात करेंगे कि क्यों लड़की का पहनावा उसे औरत बना देता है-

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Women's Day Special: एक औरत का 'पहनावा उसे कैसे औरत बना देता है?

सालों से ही लड़कियों के पहनावे पर बहुत चर्चा की जाती है। समय-समय पर उन्हें बताया जाता है कि उन्हें कैसे कपड़े पहनना चाहिए। आज की महिला शॉर्ट ड्रेस और क्रॉप टॉप पहन सकती है लेकिन अगर हम अपनी माता की बात करें उनके जमाने में सलवार सूट और साड़ी बहुत ज्यादा आम थी। उसके पहले की महिलाएं घूंघट पहनती थी। उनका पूरा शरीर या बदन ढक रहता था। ऐसे ही चलता आ रहा है।

समाज में यह धारणा है कि जब लड़की पूरे ढके हुए कपड़े पहनती है, उसने दुपट्टा लिया हुआ है और सबकी हां में हां मिलती है तो वह लड़की अच्छी होती है। ऐसी लड़कियां संस्कारी और चरित्र से भरपूर होती है। अगर वही लड़की ने मॉडर्न ड्रेस पहनी है या उसके कपड़ों में शरीर दिखाई दे रहा है, लोगों के सामने अपना ओपिनियन रखती है और उसे न बोलने में कोई दिक्कत नहीं होती तब ऐसी लड़कियां चरित्रहीन हो जाती हैं या उन्हें बदतमीजी का टैग दे दिया जाता है। 

कैसे लड़की का पहनावा उसे औरत बना देता है? यह हमने कैसे तय किया? हर इंसान में एक औरत छुपी हुई है। हमें बस उसे निकालने की जरूरत है। एक औरत होना शर्म की बात नहीं है। अगर कोई लड़की जैसे बिहेव कर रहा है तो वह किसी से कम नहीं है। वह कोमल, डरपोक और कमजोर नहीं है और ना ही उसे किसी के सहारे की जरूरत है। वह अपने जरूरतों का खुद ध्यान रख सकती है। किसी का पहरावा उसे औरत नहीं बनाता है। उसका व्यवहार यह तय करता है कि वह औरत है कि आदमी। वह लड़के भी औरत है जिनके अंदर संवेदनशीलता, इज्जत, इमोशंस और एक दूसरे को समझना जैसे भाव हैं। यह सब औरतें हैं और हर मर्द के अंदर भी एक औरत छुपी हुई है लेकिन उसे समाज ने दबा दिया है। 

उसकी मर्दानगी को बहुत ज्यादा ग्लोरिफाई कर दिया है जिस कारण मर्द भी अपने अंदर की औरत को दिखाने से डरता है। उसे भी रोना आता है वह भी दिल अपना खोलना चाहता है लेकिन समाज कहता है चुप कर लड़की है क्या जो रो रहा है। अगर आपको दर्द सहने की क्षमता किसी से सीखनी हो तो वह औरत से सीख लीजिए जो अपने अंदर से दूसरे जीव को भी पैदा कर देती है। उसे धैर्य के बारे में मत लेक्चर दीजिए। आगे जब भी आप किसी लड़की को उसके पहनावे से जज करते हैं कि वह लड़की है या नहीं तब आपको यह जानने की जरूरत है कि हर व्यक्ति के अंदर एक औरत छुपी हुई है उसे निकालने की जरूरत है।

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