How Do Women Get Affected By Toxic Masculinity: कबीर सिंह मूवी में कैसे दिखाया गया है की कबीर प्रीती को थप्पड़ मारता है। आजके ज़माने में रेड फ्लैग्स शब्द के बारे में ज़्यादा सोचें तो हमारे एक्स के अलावा एक कबीर सिंह नाम भी ज़रूर याद आता है। पर क्या आपने ऐसा सोचा, क्यों, ऐसे लड़कों में क्या चीज़ कॉमन होती है? इसका जवाब है टॉक्सिक मस्क्युलिनिटी। टॉक्सिक मस्क्युलिनिटी एक ऐसा बर्ताव हैं जिसमें लड़के अपने आप को खुलकर एक्सप्रेस नहीं कर पातें क्यूंकि उन्हें समाज के बनाये हुए टॉक्सिक और अनरेअलिस्टिक स्टैंडर्ड्स को फॉलो करना परता है। जहाँ उन्हें एक ही व्यहवार में रहना परता है जिसमे वो मज़बूत और ताक़तवर दिखें। इन स्टैंडर्ड्स के मुताबिक एक पुरुष को रोना नहीं चाहिए, अपने भावनाओं को ज़ाहिर नहीं करना चाहिए और न ही कमज़ोर दिखना चाहिए। बचपन से ही उनके दिमाग में जाने या अनजाने में भी ऐसी बातें डाली जाती है जिससे वो सबकॉन्सियसली भी यह मानने लगता है की अगर उसने समाज के दिए मर्दों के लिए नियम का अनुकूल नहीं किया तो समाज उसे छोटा महसूस कराएगा इसलिए ऐसी परवरिश से कभी कभी बच्चे बड़े होकर या बढ़ते उम्र में ही टॉक्सिक मस्क्युलिनिटी व्यवहार का शिकार हो जातें हैं।
कैसे करता है यह महिलाओं पर भी असर?
पुरुषों के ऐसे व्यवहार से ना तो सिर्फ वह बल्कि उनके आस पास के सभी लोग, पुरुष हो या स्त्री, बड़े हो या बच्चे, सब पर असर परता है। उनका यह समझना की उनका बिना किसी ठोस वजह के भी सारे समय टफ बनकर रहना अगर सही है, तो यह उनकी गलत फहमियां होती हैं। पुरुषों के इस बर्ताव से उनके जीवन की महिलाओं पर भी बोहोत असर परता है फिर चाहे वो उसकी बेहेन हो, बेटी हो, पत्नी,दोस्त हो या माँ।
महिलाएं अपने नम्र ह्रदय के लिए मशहूर होती हैं और अपने जीवन के किसी भी महत्वपूर्ण पुरुष से भी उसी प्रकार का नम्र और एक्सप्रेसिव व्यवहार की उम्मीद करतीं हैं जो ना मिलने पर उनके भी ह्रदय और स्वाभाव पर असर करता है। टॉक्सिक मसकीलिनिटी मर्दों को अक्सर मीसोगिनिस्ट, सेक्सिस्ट और मेल शॉविनिस्ट बना देती है जिसका सीधा असर महिलाओं पर परता है। पुरुष टॉक्सिक भी हो जातें है और साथ साथ महिलाओं के खिलाफ हिंसा और एब्यूज भी बढ़ा देते हैं।