How Sexist Jokes Normalize Misogyny: जब भी हम किसी गैदरिंग में बैठे होते हैं तब महिलाओं को अक्सर ही जोक्स के नाम पर सेक्सिट बातें सुनने को मिलती हैं। ऐसी बातचीत को बहुत ही नॉर्मल माना जाता है। अगर कोई महिला इस बात को सुनकर गुस्सा हो जाती है या फिर इसका विरोध करती है तो उसे एरोगेंट बोला जाता है। आज के समय में हम इस बात की शिकायत करते हैं कि कैसे अभी भी महिलाओं की दीशा में कोई ज्यादा फर्क नहीं आया है। आज चाहे महिलाएं पढ़-लिखकर आगे बढ़ गई हैं लेकिन उनके साथ होने वाली घटनाएं आज भी वही हैं। इसलिए हमें यह सोचने की जरूरत है कि ऐसा क्यों है, इसके पीछे यह छोटे-छोटे व्यवहार हैं जिन्हें हम नॉर्मलाइज करते रहते हैं और आगे जाकर यह बड़ा रूप धारण कर लेते हैं।
क्यों महिलाओं को बोले जाने वाले Sexist Jokes नॉर्मल माने जाते हैं?
जब भी दो-तीन कपल साथ में बैठे होते हैं तो पति अपनी पत्नियों के बारे में जोक्स करने लग जाते हैं। ऐसे ही वह उन्हें नीचा दिखाने लग जाते हैं जैसे लड़कियां तैयार होने में बहुत समय लगाती हैं, लड़कियां गोल्ड डिगर होती हैं लड़कियों को ड्राइविंग नहीं आती, लड़कियों को पॉलिटिक्स की कोई समझ नहीं होती है, लड़कियां सिर्फ पुरुषों का मनोरंजन करने के लिए होती हैं। ऐसी बहुत सारी बातें हैं और हम लोग हंसकर इन्हें टाल देते हैं। हमें यह बातें मजाक लगती हैं और बहुत सारे स्टैंड अप कॉमेडियंस भी ऐसे जोक्स का इस्तेमाल लोगों को हंसाने के लिए करते हैं। असलियत की बात की जाए तो यह सब चीज जोक्स नहीं है।।यह आप किसी के जेंडर के ऊपर सवाल उठा रहे हैं। आप जेंडर के नाम पर महिलाओं को ब्लेम कर रहे हैं कि यह होता ही ऐसे है।
इसके साथ ही सेक्सिट जोक्स इतने नॉर्मल हो गए हैं कि अब हमें इनकी पहचान करने में भी परेशानी हो रही है। हमें पता ही नहीं चलता है कि कैसे हम ऐसे व्यवहार से महिलाओं को अनकंफरटेबल महसूस करवाते हैं और महिलाओं को भी कई बार पता नहीं चलता है कि उनके साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है। क्या आप जानते हैं कि अगर कोई आपको यह भी पूछ रहा है कि आप शादी कब कर रहे हो या फिर आपके बच्चे कब होंगे तो यह भी Sexism का ही पार्ट है। इसलिए आपको इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि कब आपके साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है ताकि आप इसे पहचानकर उन्हें बता सकें कि यह सही नहीं है।
ऐसे जोक्स महिलाओं को नीचा दिखाने और उन्हें ऑब्जेक्टिफाई करने का काम करते हैं। इससे हम महिलाओं की रिस्पेक्ट और वैल्यू को कम कर देते हैं। हमें लगता है कि हम आसानी से महिलाओं का मजाक बना सकते हैं। उनके बारे में ऐसी बातें बोल सकते हैं जिससे उनकी गरिमा को ठेस पहुंचती है। इस तरह हम महिलाओं के लिए पितृसत्तात्मक समाज को बढ़ावा देते हैं जहां पर पुरुष महिलाओं को डोमिनेट करते हैं।