Why Are Body Parts Of Women Body Parts Sexualised?: हमारे समाज में सदियों से ही महिलाओं की बॉडी को sexualise किया जाता है और इसे बिल्कुल नॉर्मल माना जाता है। हम अपने आसपास भी देखे तो अगर महिलाएं जा रही है, पुरुषों की तरफ से झट से ही उन्हें कमेंट पास कर दिया जाता है जो सीधा उनकी बॉडी के ऊपर होता है। महिलाओं की बॉडी के आकार के कारण ही उन्हें ड्रेसिंग करने के लिए भी कहा जाता है। जब भी कोई महिला के साथ छेड़खानी या फिर यौन हिंसा की घटना होती है तब महिला को ही दोषी ठहराया जाता है।आइये जानते हैं ऐसा क्यों होता है-
महिलाओं के अंगों को Sexualise क्यों किया जाता है?
Objectifying Women's Body
महिलाओं के शरीर के ऊपर टिप्पणी करना बिल्कुल आम माना जाता है। इसमें सिर्फ आसपास के माहौल का योगदान नहीं है, हमारे गाने और फ़िल्में के कारण ऐसा माहौल बन गया है कि लोग अब गानों के जरिए भी महिलाओं की बॉडी को सेक्शुअलाइज करते हैं। गानों की वीडियो में महिलाओं के शरीर को ऐसा दिखाया गया है जैसे महिलाएं कोई ऑब्जेक्ट होती है। सबसे बड़ी बात महिलाओं की बॉडी को चीज समझा जाता है और लोग उसके बेसिस पर महिलाओं को जज करते हैं।
मान लीजिए अगर कोई लड़की का रंग गोरा है तो उसे सुंदर माना जाता है। अगर वही रंग काला हो जाए तो लड़की बदसूरत हो जाती है। महिला के ब्रेस्ट साइज छोटा है तो वह अट्रैक्टिव नहीं लग रही लेकिन अगर वही महिला का ब्रेस्ट का साइज बड़ा है तो वह आकर्षक लग रही है। महिला के बम की बात की जाए तो वहां पर भी ऐसा है अगर महिलाएं छोटे कपड़े या रिवीलिंग क्लॉथस पहन ले इसका मतलब है कि वह अपना शरीर मर्दों को दिखा रही है और उन्हें उकसाने के लिए ऐसा कर रही है।
क्या उनकी अपनी कोई चॉइस नहीं है?
यहाँ खत्म नहीं हुआ। इसके बाद यह भी सोच है मेकअप भी महिलाएं इसलिए करती है क्योंकि उन्हें मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करना है। क्या उनकी अपनी कोई चॉइस नहीं है? क्यों यह स्टीरियोटाइप पर थिंकिंग आज भी समाज में प्रचलित है? महिलाओं को ऐसी टिप्पणियां की जाती और उन्हें इस नजर से देखा जाता है कई बार वो असहज हो जाती है। बस में सफर करते हुए उन्हें कोई भी कहीं भी हाथ लगाकर निकल जाता है। सबसे बड़ी बात अगर महिला ब्रेस्टफीडिंग भी करें तब भी उनकी बॉडी को सेक्शुअलाइज कर दिया जाता है क्योंकि समाज में लोगों के अंदर थोड़ी भी संवेदनशीलता नहीं है। हमें बचपन से ही बच्चों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए कि महिलाओं की बॉडी कोई समान या चीज न समझना चाहिए। इसके लिए कड़े कानून होने चाहिए। इन बातों को छोटा नहीं मानना चाहिए। रोज महिलाएं के साथ ऐसे कितने वाक्य होते हैं जिनसे वह गुजरती है। कई बार बात भी नहीं कर पाती।