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(Image Credit: iStock)
How Soon Will Our Society Quit Discriminating Against Girls: हमारे समाज में बेटा और बेटी के बीच बहुत बड़ा पर फर्क किया जाता है। आज हम कहते हैं कि हमारे समाज में यह अंतर बहुत कम हो गया है और बेटियों को बेटों के समान माना जाता है लेकिन यह सब वास्तविकता नहीं है। आज भी बहुत सारे घरों में लड़कियों के लिए रूढ़िवादी सोच है जिसके अनुसार लड़के को जो वैल्यू सिखाई जाती है वो लड़कों से बहुत अलग होती है। हर जगह महिलाओं को ही कंप्रोमाइज करना सिखाया जाता है। इसके साथ ही यह भी अपेक्षा की जाती है कि चाहे महिला सही हो लेकिन झुकना उसे ही पड़ेगा क्योंकि वो पुरुषों से कम है। आज हम इस मुद्दे के ऊपर ही बात करेंगे-
कैसे बेटा और बेटी में फर्क के कारण लड़कियां आज भी आगे नहीं बढ़ पा रहीं
स्थिति वहीं लेकिन रूप में बदलाव
आजकल के समय में जो महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहा है। उसका रूप बदल गया है। आज हम उन्हें घर से बाहर निकल दे रहें है और काम भी कर रही हैं। उसके साथ ही वह फाइनेंशली इंडिपेंडेंट लेकिन यह सब चीज से आप यह नहीं कह सकते कि उनके साथ मेरा भेदभाव खत्म हो चुका है, जब भी वह ऑफिस में होती है तो वहां पर उन्हें यह महसूस कराया जाता है कि वो लड़कियां हैं। अगर वो किसी उच्च पद पर पहुंचती हैं तो उनके चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं। इसके साथ ही अगर किसी लड़की के साथ रेप हो जाता है तब भी गलती लड़की की निकाली जाती है। यह कहा जाता है कि अगर इस लड़की ने छोटे कपड़े न पहने हुए होते या फिर रात को बाहर नहीं गई होती तोऐसा नहीं होता।
अगर आज ससुराल वाले बहू को घर से बाहर जाकर काम करने की आजादी दे रहे हैं तो फिर भी यह कहा जाता है कि घर आकर खाना तो बनाना ही पड़ेगा। बच्चे तो तुम्हें ही देखने पड़ेगे तो यह सब कहना गलत होगा कि बेटा और बेटी में फर्क नहीं होता है। मां-बाप भी घर का काम सिर्फ लड़कियों को भी सिखाते हैं। लड़के आज भी कह देते हैं कि यह लड़कियों का काम है। इसे हम नहीं करेंगे। ऐसे आप नहीं कह सकते कि महिलाओं के साथ भेदभाव खत्म हो चुका है।
यह सब चीज देखने को तो हमें बहुत छोटी लगती है लेकिन इसका प्रभाव बहुत बड़ा है। इसके कारण महिलाएं बहुत ज्यादा डर में रहती हैं। उन्हें आगे पढ़ने में बहुत सारी मुश्किलें आती हैं। महिलाओं के लिए करियर ऑप्शन भी टीचर, मेकअप आर्टिस्ट, बेकिंग, कुकिंग ही होते हैं। वहीं जब इंजीनियरिंग की बात आती है, पायलट बनने की बात आती है या फिर टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ाने की बात आती तो कहा जाता है यह पुरषों के लिए हैं। ड्राइविंग को लेकर महिलाओं का कितना मजाक बनाया जाता है। इससे कॉन्फिडेंस कम हो जाता है। इस माहौल को बदलने के लिए सबसे जरूरी सोच का बदलना है।