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Patriarchy: कैसे घर से दूर करें पितरसत्तमिक माहौल को जानिए इस लेख में

ओपिनियन: हम आज भी एक मर्द प्रधान समाज में रहते हैं यहां सिर्फ औरतों को एक ऑब्जेक्ट की तरह देखा जाता है आज हम बात करेंगे ऐसी कुछ बातों की जो हमें अपने घरों में करनी चाहिए जिससे हम इस सोच को खत्म कर सकें।

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Rajveer Kaur
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घर से दूर करें पितरसत्तमिक माहौल:- सदियों से हमारे भारतीय घरों में पितरसत्तमिक  माहौल है। पितृसत्तात्मक सोच ने आज भी हमारे घरों में अपनी जगह बनाई हुई है। आज हम चाहे वैज्ञानिक युग में पहुंच गए हैं लेकिन फिर भी हमारी सोच रूढ़िवादी ही है। हम आज भी एक मर्द प्रधान समाज में रहते हैं यहां सिर्फ औरतों को एक ऑब्जेक्ट की तरह देखा जाता है  आज हम बात करेंगे ऐसी कुछ बातों की जो हमें अपने घरों में करनी चाहिए जिससे हम इस सोच को खत्म कर सकें।

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Patriarchy: कैसे घर से दूर करें पितरसत्तमिक माहौल को जानिए इस लेख में 

घर के काम सभी में बाटें 

सदियों से हमारे घरों में घर के कामों की ज़िम्मेदारी जैसे झाड़ू पोचा, बरतन, खाना बनाना और कपड़े धोना आदि सभी कामों की ज़िम्मेदारी औरतों के ऊपर है। आज भी इस माहौल में कोई ज़्यादा बदलाव नहीं है।औरतों को घर के काम के साथ-साथ बाहर के काम भी करने पड़ते है। इसलिए अगर हम इस रुडीवादी सोच को बदलना चाहते है हमें घर के कामों को बराबर बाँटना चाहिए। 

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अपने बच्चों में भेदभाव मत करें 

घर में चाहे आपका बेटा हो या बेटी  उनकी परवरिश में भेदभाव मत करें। घर में एक जेंडर नूट्रल  माहौल का निर्माण करें। 

महावारी के बारे में खुलकर बात करें

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भारतीय घरों में आज भी महावारी के बारे में खुलकर बात नहीं की जाती है हमें अभी सोच को बदलना होगा और इस टॉपिक पर खुलकर बात करनी होगी ताजा हम एक सुखद और खुशहाल माहौल प्रदान कर सके।

एलजीबीटी(LGBTQ) के बारे में बात करें

आज भी बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं जो अपने पेरेंट्स से अपनी  सेक्सुअलिटी के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाते हैं।  उनके घर में आज भी  कंजरवेटिव माहौल है । मां-बाप इस चीज के बारे में इतने जागरूक नहीं होते हैं तो कई बार बच्चे जो है वह अपनी जिंदगी खुलकर नहीं जी पाते है। 

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सेक्स को टैबू ना बनाए

सेक्स (sex) आज भी हमारे घर और स्कूलों में टैबू है। मां बाप और टीचर इसके बारे में बात करने में घबराते है। हमें इस सोच को बदलने को जरूरत है और हमें हमारी पीढ़ी को सेक्स एजुकेशन देने की जरूरत ताकि वे कोई गलत कदम न उठाए।

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