⁠Indore Incident: ऑस्ट्रेलियन महिला क्रिकेटर्स के साथ हुई यौन हिंसा, महिला सुरक्षा पर उठे सवाल

इंदौर में ऑस्ट्रेलियन महिला खिलाड़ियों के साथ हुई यौन हिंसा ने महिला सुरक्षा पर गंभीर बहस छेड़ दी है। क्या सच में हमारे शहर महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं?

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Deepika Aartthiya
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Photograph: (X via CricketNDTV)

हाल ही में इंदौर में ऑस्ट्रेलिया महिला क्रिकेट टीम की दो खिलाड़ियों के साथ सड़क पर हुई यौन हिंसा ने पूरे देश में महिला सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ICC महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान दोनों खिलाड़ी होटल के पास एक कैफ़े जा रही थीं, तभी बाइक सवार युवक ने उनका पीछा किया, अभद्र हरकत की। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी अकील खान को गिरफ्तार कर लिया, जिसने अपना अपराध कबूल भी कर लिया।

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⁠Indore Incident: ऑस्ट्रेलियन महिला क्रिकेटर्स के साथ हुई यौन हिंसा, महिला सुरक्षा पर उठे सवाल

क्या सच में महिलाएं सुरक्षित हैं?

“अब महिलाएं सुरक्षित हैं” जैसे बड़े-बड़े दावे हम आए दिन सुनते रहते हैं। लेकिन इंदौर जैसे सुरक्षित माने जाने वाले शहर में विदेशी खिलाड़ियों के साथ ऐसी घटना होना बताता है कि जमीनी सच्चाई अब भी चिंताजनक है। हकीकत में महिलाएं अभी भी उतनी सुरक्षित नहीं हैं, जितनी इन दावों में दिखाई जाती हैं। अगर आईसीसी वर्ल्ड कप के दौरान इतनी हाई प्रोफाइल खिलाड़ियों के साथ सुरक्षा चूक हो सकती है, तो आम महिलाओं की सिचुएशन को इमेजिन कर पाना भी मुश्किल है।​

प्रशासन सवालों के घेरे में

​घटना के बाद प्रशासन और पुलिस तुरंत हरकत में आए और उन्होंने आरोपी को जल्द पकड़कर सराहनीय कदम उठाया। लेकिन सवाल ये है कि क्या आम महिलाओं के मामले में भी इतनी तत्परता दिखाई जाती? विदेशी खिलाड़ियों का मामला होने से ये खबर सुर्खियों में आई, जबकि देशभर में हज़ारों महिलाएं रोज़ ऐसी घटनाओं का सामना करती हैं, जिनकी आवाज़ शायद ही कभी सुनी जाती है।

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क्या ये ज़िम्मेदारी सिर्फ पुलिस की है?

महिला सुरक्षा केवल कानून या पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है। ये समाज की सोच और व्यवहार से जुड़ा मसला है। हमें अपनी सोच बदलनी होगी चाहे सड़क हो, ऑफिस या घर, हर जगह और हर परिस्थिति में महिलाओं का सम्मान जरूरी है। ​जब तक लोग ये नहीं समझेंगे तब तक सेफ्टी के सारे दावे अधूरे रहेंगे।

बदलाव की शुरुआत घर से 

समाज को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। हर घर की बेटी, बहन, मित्र महिला का सम्मान सिर्फ परिवार तक सीमित नहीं रहना चाहिए। हर महिला को बराबर रिस्पेक्ट और सेफ्टी का अधिकार मिलना चाहिए। क़ानून और सुरक्षा व्यवस्था को भी ज़्यादा असरदार बनाना ज़रूरी है। लेकिन सुरक्षा केवल कानून से नहीं आएगी, सोच बदलने से आएगी। बच्चों को बचपन से सिखाना होगा कि किसी को छेड़ना, पीछा करना, डराना कोई मज़ाक नहीं बल्कि एक क्राईम है। बदलाव की शुरुआत घर और स्कूल से ही होनी चाहिए, ताकि अगली पीढ़ी सम्मान और बराबरी का अर्थ समझे।

नामी हस्तियों की प्रतिक्रियाएं

इस घटना पर देश की कई नामी हस्तियों ने प्रतिक्रिया दी है।​ सुनील गावस्कर ने इसे “घिनौना अपराध” बताते हुए सख्त सजा की मांग की, जबकि बीसीसीआई ने पुलिस के तुरंत कार्रवाई की सराहना की। वहीं मध्यप्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि प्रशासन और खिलाड़ियों दोनों को सतर्क रहना चाहिए था। उन्होंने सुझाव दिया कि होटल से बाहर निकलते वक्त खिलाड़ियों को प्रशासन को सूचित करना चाहिए था। हालांकि उनके इस बयान की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना भी हुई।

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इंदौर की ये घटना सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि चेतावनी है कि महिला सुरक्षा अब भी अधूरी है, और असली बदलाव की शुरुआत हमें खुद से करनी होगी।

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