Marriage Advice: विवाह के लिए कम उम्र होना जरूरी नहीं है, बल्कि भारत में बाल विवाह गैरकानूनी है। बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार, लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष न्यूनतम विवाह योग्य आयु निर्धारित करता है। यह कानून न सिर्फ बच्चों को विवाह के लिए मजबूर करने से रोकता है, बल्कि उन्हें शिक्षा पूरी करने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने का अवसर भी देता है। इससे शादीशुदा जिंदगी में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए वे बेहतर तरीके से तैयार हो पाते हैं।
आइए विवाह की न्यूनतम आयु से जुड़े 5 महत्वपूर्ण बातों को जाने
1. कानूनी प्रतिबंध
बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 विवाह के लिए न्यूनतम आयु स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। इस कानून के अनुसार, किसी भी व्यक्ति चाहे वह लड़का हो या लड़की, विवाह के लिए कम से कम 18 वर्ष का होना चाहिए। यह कानून न केवल बाल विवाह को रोकता है बल्कि नाबालिगों को विवाह में मजबूर करने वाले लोगों को दंडित करने का भी प्रावधान रखता है।
2. परिपक्व निर्णय
विवाह एक जटिल सामाजिक और कानूनी बंधन है। यह जीवन भर चलने वाला निर्णय होता है जिसके लिए परिपक्वता और दूरदर्शिता की आवश्यकता होती है। कम उम्र में व्यक्ति आमतौर पर भावनात्मक और आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं होता है, जो विवाह जैसे महत्वपूर्ण कदम के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
3. शिक्षा और कैरियर पर प्रभाव
बाल विवाह अक्सर बच्चों की शिक्षा और कैरियर के अवसरों को बाधित कर देता है। विशेष रूप से लड़कियों के मामले में, कम उम्र में विवाह उन्हें स्कूल छोड़ने और घरेलू दायित्वों में फंसा देता है। इससे उनका सामाजिक और आर्थिक विकास रुक जाता है।
4. स्वास्थ्य संबंधी जोखिम
कम उम्र में गर्भावस्था और प्रसव किशोर माताओं और उनके बच्चों के लिए स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा कर सकते हैं। शारीरिक रूप से परिपक्व न होने के कारण जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
5. सामाजिक परिवर्तन
भारत में बाल विवाह की प्रथा को कम करने के लिए कई सरकारी और गैर-सरकारी पहल की गई हैं। शिक्षा के प्रसार, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने और महिला सशक्तीकरण पर ध्यान देने से धीरे-धीरे सामाजिक मानसिकता में परिवर्तन आ रहा है।