Is The Gender Pay Gap Still Real?: भारत एवं पूरी दुनिया में महिलाओं के करियर और काम से जुड़े, उनके प्रोफेशनल या निजी जीवन में कभी न कभी एक ऐसा असमान्यता का पल ज़रूर आता है जब उसके सपनों और अचीवमेंट्स को उतनी एहमियत ना दी गयी हो या वो शाबाशी नहीं मिली हो जिसकी वो हक़दार होती हैं। ऐसा क्यों होता है? वो इसलिए क्यूंकि काम करने जैसा कांसेप्ट महिलाओं के लिए हो सकता है, यह कुछ लोग हज़म नहीं कर पातें। कुछ ऐसे पुरुष जो अपने काबिलियत को लेकर इतना इनसिक्योर हो जातें हैं कि कोई और कामियाब महिला उन्हें थ्रेट लगने लगती है। ऐसे ही लोग आज भी प्रोफेशनल दुनिया में जेंडर पे गैप जैसे चीज़ों को बरकार किये हुए हैं।
क्या Gender Pay Gap अभी भी है?
पूरी दुनिया सदियों से महिलाओं से कितनी सारी उमीदें लगाए बैठी रहती है जैसे कि उनका जन्मसिद्ध अधिकार हो महिलाओं के जीवन पर, उसके पसंद, नापसंद पर, उसके निर्णय पर तो उसके चयन पर जैसे कोई ऋण लिया हो जो कभी उतारा नहीं जा सकता लेकिन वही अगर महिलाएं दुनिया से सही और समानता की उम्मीद रख लें, तो पूरी दुनिया उन्हें निराश करने में लगी रहती है।
महिलाओं को कमज़ोर, लाचार और बेसहारा कहा जाता है इस समाज में, जिसे ऊपर आने के लिए हमेशा एक पुरुष की ज़रूरत पड़ेगी अपने जीवन में पर असल में वही औरतें जब खुदसे, बिना किसी मदद या सपोर्ट के ऊपर आती है, तब भी उसे नीचा दिखाया जाता है, उसके क्षमता पर संदेह किया जाता है और उसके सपनें और अरमानों पर सवाल उठाकर उन्हें समाज के दवाब में बेड़ियों में बाँध दिया जाता है।
Gender Pay Gap जैसी चीज़ें, जहाँ महिलाओं को उनके काबिलियत के लिए उनके हक़ की सटीक कमाई उन्हें नहीं मिलती, समाज के असामान्य सोच के कारण होता है जिसे लगता है, महिलाएं, पुरुषों से बेहतर काम करने के योग्य नहीं होती हैं। यह सिर्फ बड़े कॉर्पोरेट ऑफिसेस में ही नहीं बल्कि छोटे गाओं, दफ्तरों में भी होते आ रहा है। महिलाओं की नौकरियां चली जाती है, बहुत वेज गैप बन जाता है और उनके मेहनत की कमाई उन्हें नसीब तक नहीं होती।
लाख बदलाव की कोशिशों के बाद भी कईं सारी जगहों में आज भी यह हो रहा है और पता नहीं कबतक होते ही जाएगा।