Ladies Are Real Creatures, Not Just Reproductive Machines: शुरुआत से औरत की जिंदगी का एक ही मकसद समझा जाता है कि इसका जन्म बच्चा पैदा करने के लिए हुआ है। आज भी ऐसा होता है कि जब महिला के बच्चे पैदा होने वाला होता है तब उसकी केयर बहुत की जाती है ताकि बच्चे का जन्म स्वस्थ तरीके से हो सके लेकिन बच्चों के जन्म के बाद सभी का ध्यान बच्चों की तरफ शिफ्ट हो जाता है और मां की कोई 'केयर' नहीं करता है। क्या सिर्फ औरत 'बच्चे पैदा करने वाली मशीन' है? क्या उसकी जिंदगी का कोई अस्तित्व नहीं है? सब लोग यही कहते हैं कि मां की कोई जिंदगी नहीं होती है। उसका सब कुछ तो अपने बच्चों के साथ होता है। क्यों माँ का टैग लगने के बाद महिला की अपनी आइडेंटिटी कहीं खो जाती है?
महिलाएं बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं, उन्हें भी जिंदगी जीने का अधिकार
मां बनना बहुत ही सौभाग्य की बात है। यह दुनिया की ऐसी खुशी है जिसमें आप बिल्कुल निस्वार्थ हो जाते हैं। आप अपना सब कुछ बलिदान कर देना चाहते हैं ताकि आपका बच्चा अच्छा जीवन जी सके और उसे किसी भी तरीके की मुश्किल ना आए। हर मां के अंदर अपने बच्चों के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत होती है लेकिन मां की आड़ में महिलाओं को हर समय त्याग करने के लिए कहना या उनकी पहचान को खत्म कर देना सही है? क्या औरत का जन्म सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए हुआ है? देखिए, बच्चा पैदा करना किसी औरत की जिंदगी का पार्ट हो सकता है। यह उसकी पूरी जिंदगी नहीं है। आज भी बहुत सारे घरों में महिलाओं की परवरिश ही इस हिसाब से की जाती है कि उन्हें पढ़ा-लिखा कर ब्याह दिया जाता है। उसके बाद जल्दी ही उनके बच्चे हो जाते हैं। ऐसे ही उनका कोई कैरियर नहीं रहता और अपने पति पर निर्भर हो जाती है। हर बात के लिए उन्हें पति या ससुर से परमिशन लेनी पड़ती है न ही वो फाइनेंशली इंडिपेंडेंट होती है और फिर बच्चे बड़े हो जाते हैं और उस महिला की जिंदगी के ऊपर विराम भी लगा रह जाता है।
आज के समय में महिलाओं ने अपने लिए स्टैंड लेना शुरू कर दिया है। अब महिलाएं बच्चा पैदा करने को अपनी चॉइस समझती हैं और इसके इसकी सबको रिस्पेक्ट करनी चाहिए। अगर एक महिला हाउसवाइफ बनना चाहती है, घर पर रहकर बच्चे पैदा करना चाहती हैं और उनकी परवरिश के लिए अपना जीवन लगा देना चाहती हैं तो वो उनकी चॉइस है। वहीं अगर एक महिला चाहती है कि मुझे अपना कैरियर बनाना है लेकिन मैं शादी भी करना चाहती हूं पर मुझे बच्चे नहीं चाहिए तो यह भी गलत नहीं है। ऐसी महिला को जज करने का अधिकार किसी के पास नहीं है। यह दोनों महिलाएं अपनी जगह सही है। यह उनकी पर्सनल चॉइस है लेकिन अगर हम सभी महिलाओं की परवरिश ही अपने हिसाब से करेंगे कि उनका अल्टीमेटम गोल सिर्फ माँ बनना है तो हम उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
महिलाओं को भी अपनी जिंदगी सिर्फ मां बनने तक सीमित नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपने लिए छोटे-छोटे कदम उठाते रहना चाहिए। अगर वह मां बन भी गई हैं तब भी अपनी पहचान को कहीं खोने ना दें। जब भी आपको लगे कि आप की वैल्यू नहीं हो रही या फिर आपको रिस्पेक्ट नहीं किया जाता है तो तुरंत इस बात को हाइलाइट करें और अपने लिए बोलना शुरू करें। आपके लिए कोई नहीं बोलेगा। जब आप अपने लिए बोलना शुरू कर देंगे तब दूसरे भी आपको कुछ कहने से पहले एक बार तो जरूर सोचेंगे।