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जब भी महिला यौन हिंसा का शिकार होती हैं, या कोई भी उसका रेप करता हैं तो रेप करने वाले को अक्सर सजा के तौर पर विक्टिम से शादी को कहा जाता हैं। ऐसे में प्रश्न हैं कि क्या यह सजा विक्टिम को न्याय हैं या उसे उम्र कैद? क्या रेपिस्ट उम्र भर उसे रेप करता रहेगा और शादी तो भारत में वैसे भी without consent का सेक्स करने की सामाजिक अनुमति हैं तो ऐसे में क्या महिला उम्र भर यूं ही घुटती रहेंगी? और सबसे बड़ा प्रश्न हैं क्या रेप के बाद शादी महिला के अधिकार जो कानून देता हैं , "गरिमा पूर्ण जीवन का अधिकार" का उलंघन नहीं?
Marriage After Rape: विक्टिम से शादी रेपिस्ट की सजा या महिला को उम्र कैद
क्यों हैं रेप के बाद शादी समाज में स्वीकार?
समाज रेप को महिला की गलती की तरह देखता आया हैं, जब भी महिला घर से बाहर निकलती हैं तो उस पितृसत्तात्मक समाज पर समाज में बाहर निकलने, कपड़े या उसके appealing दिखने का प्रश्न लगाया जाता हैं। ऐसे में जब महिला बाजार में या घर पर भी यौन हिंसा या उत्पीड़न का शिकार होती हैं,क्योंकि पित्तृसत्तात्मक समाज समझता हैं कि महिला घर की इज्जत होती हैं और जिसने इज्ज़त पर दाग लगाया उसके साथ ही उसका विवाह होना चाहिए, ऐसे में महिला की इच्छा और जीवन के अधिकार का कोई मोल नहीं रह जाता हैं।शादी को इज्जत पर लगे धब्बे को हटाने का समाधान माना जाता हैं, क्योंकि महिला परिवार की इज्जत हैं न कि कोई भावना और चेतना युक्त प्राणी ।
कानून क्या कहता हैं?
कानून रेप को संज्ञेज अपराध मानता हैं, और विक्टिम महिला की शादी रेपिस्ट से उसके जीवन के अधिकार का अपमान मानता हैं। साथ ही कानून कहता हैं महिला की इच्छा और सहमति सर्वोच्च हैं, अगर वह उस व्यक्ति से शादी नहीं करना चाहती तो उसे पूर्ण स्वतंत्रता हैं। लेकिन जब यह मामला पंचायत या पुलिस के पास जाता हैं, तो परिवार के सदस्य इज्जत के चलते मामले को समय पर निपटाने के लिए महिला की शादी दोषी से करवा देते हैं और F.I.R. भी दर्ज नहीं करवाई जाती, इस पर कानून महिला के अधिकारों का उल्लंघन मानता हैं। कानून झूठी शादी के वादे में किए गए रेप को भी सहमति नहीं देता तो यह तो पूर्णता महिला के अधिकारों का शोषण हैं, लेकिन सामाजिक सहमति और प्रकिया के चलते महिला को कानून से न्याय नहीं मिल पाता , जिसकी वह हकदार हैं।
यह कितना हैं सही ?
महिला के जीवन में शादी का अधिकार उसका अहम और महत्वपूर्ण अधिकार हैं, वह किसी भी रूप में उससे नहीं छीना जा सकता हैं। लेकिन जब इज्जत बचाने के समाधान में समाज विक्टिम को रेपिस्ट से शादी करने को मंजूरी देता हैं तो यह रेपिस्ट की सजा नहीं उसको रेप का लाइसेंस हैं जो समाज हमेशा महिलाओं का शोषण करके पितृसत्तात्मक समाज में देता आया हैं। लेकिन क्या महिला के गरिमामय जीवन का अधिकार उसके स्वयं के निर्णय पर नहीं होना चाहिए? कब तक महिला पितृसत्तात्मक समाज की बेड़ियों में इज्जत के नाम पर घुटती रहेंगी? क्या महिला और समाज में समाज महिला मानव होने के सामान्य अधिकारों को भी जी नहीं सकती?क्या यह संस्कृति के नाम पर rape culture को बढ़ावा देना नहीं हैं?